'अपने कुकर्मों को छुपाने के लिए पाकिस्तान ने लगाए झूठे आरोप', आतंकवाद और बातचीत एक साथ संभव नहीं- UN में भारत का करारा जवाब
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए फिर से संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल किया। ऐसे में भारतीय राजनयिक ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को तीखा जवाब दिया।
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए फिर से संयुक्त राष्ट्र के मंच का इस्तेमाल किया। ऐसे में भारतीय राजनयिक ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को तीखा जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ के बयानों के जवाब के भारत के अधिकार का प्रयोग करते हुए, प्रथम सचिव मिजिटो विनिटो ने कहा कि पाकिस्तान के पीएम के दावे केवल 'अपने ही देश में कुकर्मों को छिपाने और भारत के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराने' के लिए हैं। यह खेदजनक है कि पाक पीएम ने भारत के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए इस सभा का मंच चुना। उन्होंने ऐसा अपने ही देश में कुकृत्यों को छिपाने और भारत के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराने के लिए किया है।
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पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) सत्र को अपने संबोधन में कश्मीर मुद्दा उठाया और कहा कि जम्मू की विशेष स्थिति को बदलने के लिए 5 अगस्त, 2019 को भारत ने अवैध और एकतरफा" कार्रवाई की। अब कश्मीर में शांति की संभावनाओं को और कमजोर हो गयी है। भारत की कार्रवाई ने क्षेत्रीय तनावों को भड़का दिया है।
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युवा भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘शरीफ ने यह आरोप लगाया है, ताकि वह अपने देश के गलत कृत्यों को छिपा सकें और भारत के खिलाफ उठाए गए कदमों को न्यायोचित ठहरा सकें, जिन्हें दुनिया अस्वीकार्य मानती है।’’ गौरतलब है कि शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महारासभा को संबोधित करते हुए दोहराया था कि पाकिस्तान भारत के साथ शांति चाहता है, लेकिन शांति तभी ‘सुनिश्चित हो सकती है और उसकी गांरटी तभी’ हो सकती है, जब संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत कश्मीर मुद्दे का समाधान हो।
भारत ने शरीफ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘एक ऐसा देश, जो अपने पड़ोसियों के साथ शांति कायम करने का दावा करता है, वह कभी सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित नहीं करेगा, न ही मुंबई के भयावह आतंकवादी हमले के साजिशकर्ताओं को आश्रय देगा और उसने विश्व समुदाय के दबाव के बाद ही हमलावरों के मुल्क में होने की जानकारी सार्वजनिक की।’’ विनितो ने कहा कि ऐसा देश पड़ोसी मुल्क की जमीन पर न तो अन्यायपूर्ण और अस्पष्ट दावा करेगा, न ही उसकी जमीन को कब्जे में लेने या उसे गैर-कानूनी तरीके से खुद में मिलाने की कोशिश करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हमने आज सिर्फ पड़ोसी के सबंध में ही झूठे दावे नहीं सुने हैं, बल्कि मानवाधिकार, अल्पसंख्यकों के अधिकार और मौलिक सुचिता के बारे में भी झूठ सुना है।’’
विनितो ने कहा, ‘‘जब अल्पसंख्यक समुदाय की हजारों युवतियों का अपहरण एसओपी (मानक परिचालन प्रक्रिया) हो गया हो है तो उनकी मानसिकता को रेखांकित करने के लिए हम क्या आकलन करें?’’ भारत ने जोर देकर कहा कि वह भारतीय उपमहाद्वीप में शांति, सुरक्षा और प्रगति का इच्छुक है, जिसे मूर्त रूप दिया जा सकता है। भारतीय राजनयिक ने कहा, ‘‘यह निश्चित तौर पर हो सकता है, अगर सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां खत्म हों, सरकारें विश्व समुदाय और अपनी जनता के प्रति ईमानदार हों, अल्पसंख्यक समुदायों का उत्पीड़न न हो और सबसे अहम इस महासभा के समक्ष हम इन वास्तविकताओं को मान्यता दें।’’ पाकिस्तान ने इसके बाद भारत की टिप्पणी पर जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल किया।
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