'Operation Bhediya’: जानलेवा हमलों के बाद बहराइच में पकड़ा गया 5वां भेड़िया

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रितिका कमठान । Sep 10 2024 10:27AM

पिछले कुछ महीनों में बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों के हमले में नौ बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से सात मौतें 17 जुलाई से 2 सितंबर के बीच 47 दिनों की अवधि में हुई हैं।

उत्तर प्रदेश के बहराइच में वन विभाग की टीम हत्यारे भेड़ियों को पकड़ने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। वन विभाग की टीम ने छह भेड़ियों के एक झुंड से पांचवें भेड़िये को पकड़ लिया है। इन भेड़ियों ने अब तक बहराइच में कम से कम दस लोगों की हत्या कर दी है। इनके हमलों से कई लोग घायल भी हुए है।

पिछले कुछ महीनों में बहराइच के महसी तहसील क्षेत्र में भेड़ियों के हमले में नौ बच्चों समेत 10 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से सात मौतें 17 जुलाई से 2 सितंबर के बीच 47 दिनों की अवधि में हुई हैं। हालांकि वन विभाग की टीम ने छह भेड़ियों में से पांच को पकड़ लिया है, लेकिन इलाके में हमले जारी हैं। सरकार ने इलाके में पीएसी और वन विभाग की टीमों के साथ भारी पुलिस बल तैनात किया है।

निवासियों को असुरक्षित परिस्थितियों से बचाने के लिए पंचायत भवन और प्राथमिक विद्यालयों को रैन बसेरों में बदल दिया गया है। लगभग 35 प्रभावित गांवों को तीन सेक्टरों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक सेक्टर के लिए अलग-अलग टीमें नियुक्त की गई हैं। बहराइच के जिला वन अधिकारी (डीएफओ) अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि भेड़िये को पकड़ने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। भेड़िये की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए थर्मल ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं, साथ ही उसके पैरों के निशान पहचानने और निवासियों से जानकारी जुटाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

भेड़ियों का आखिरी हमला 3 सितंबर को गिरधरपुर में हुआ था, जिसमें 5 साल की अफसाना घायल हो गई थी। इससे पहले 2 सितंबर को नौवां गरेठी गांव में भेड़ियों के हमले में ढाई साल की अंजलि की मौत हो गई थी। वन अधिकारियों ने यह भी कहा कि क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रम लगातार चलाए जा रहे हैं और रात्रि गश्त में कोई कमी नहीं की गई है। अधिकारियों ने बताया कि संभागीय स्तर पर स्थापित कमांड सेंटर चौबीसों घंटे सूचनाएं एकत्रित करता है और सूचना के अनुसार कार्रवाई की जाती है।

सभी एहतियाती उपायों के साथ-साथ गश्ती दल अत्यधिक संवेदनशील प्रभावित गांवों के बाहरी इलाकों में भेड़ियों को आवासीय क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोकने के लिए पटाखे जला रहे थे।

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