Poorvottar Lok: Assam CM के प्रयासों से मातृ-शिशु मृत्यु दर घटी, Mizoram में नयी विधानसभा का पहला सत्र, Manipur हो रहा है शांत
हिमंत बिस्व सरमा ने लोगों से अपील की कि वे स्वदेशी आबादी की संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए "संदिग्ध विदेशी" को अपनी जमीन न बेचें। शर्मा ने किसी भी समुदाय की प्रगति के लिए वित्तीय विकास के महत्व पर जोर देते हुए लोगों, विशेषकर युवाओं से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने का आग्रह किया।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के प्रयासों से राज्य में जहां मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है वहीं मणिपुर में हालात इस सप्ताह सामान्य रहे और मुख्यमंत्री ने सभी से अपील की है कि वह एक दूसरे को दुश्मन के तौर पर नहीं देखें। मिजोरम में नई विधानसभा का पहला सत्र शुरू हुआ तो दूसरी ओर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को जिंदा दफनाने के लिए माकपा ने जमीन पर गड्ढे खोदे थे। इसके अलावा भी पूर्वोत्तर भारत से कई प्रमुख समाचार रहे। आइये सब पर डालते हैं एक नजर लेकिन सबसे पहले बात करते हैं असम की।
असम
असम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि इस साल राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई शुरू होने के बाद से मातृ मृत्यु दर में 33 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और शिशु मृत्यु दर में लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट हुई है। उन्होंने 2026 तक बाल विवाह की सामाजिक बुराई को खत्म करने की राज्य सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। राज्य में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई में 5,000 से अधिक लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने ‘एक्स’ पर कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है, जो शिशु और मातृ मृत्यु की उच्च दर का कारण बनता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी कार्रवाई से महिला एवं बाल स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्साहजनक परिणाम मिले हैं। 2026 तक, असम इस घृणित प्रथा को समाप्त कर देगा।’’ शर्मा ने कहा कि असम में शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) और मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) राष्ट्रीय औसत से अधिक है, और यह ‘‘राज्य के अन्य जिलों की तुलना में कुछ जिलों में अधिक है।’’ उन्होंने कहा कि उच्च आईएमआर और एमएमआर का मुख्य कारण बाल विवाह है।
इसके अलावा, असम की उत्तरी कछार पर्वतीय स्वायत्त परिषद (एनसीएचएसी) के चुनाव के लिए मतदान अगले साल आठ जनवरी को होगा। असम राज्य चुनाव आयोग (एएसईसी) ने यह जानकारी दी। राज्य चुनाव आयुक्त आलोक कुमार ने आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मतदान मतपत्रों के माध्यम से कराया जाएगा, क्योंकि वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की अनुपलब्धता के कारण इनसे मतदान नहीं कराया जा सकता। उन्होंने बताया कि सभी 28 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 दिसंबर तय की गई है। आवेदनों की जांच अगले दिन 22 दिसंबर को होगी। राज्य निर्वाचन आयुक्त के मुताबिक दिमा हसाओ जिले में फैले निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं की कुल संख्या 1,41,124 है, जिनमें 70,485 पुरुष और 70,639 महिलाएं शामिल हैं। कुमार ने कहा, ‘‘उम्मीदवार के नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 22 दिसंबर है और वैध उम्मीदवारों की सूची उसी दिन प्रकाशित की जाएगी। मतदान आठ जनवरी को सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक होगा, जबकि मतगणना 12 जनवरी को होगी।’’ उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर पुनर्मतदान 10 जनवरी को कराया जाएगा।
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इसके अलावा, असम पुलिस के पांच कर्मियों को राज्य के कछार जिले में सुपारी तस्करों से कथित सांठगांठ रखने को लेकर निलंबित कर दिया गया है। कछार के पुलिस अधीक्षक नुमल महत्ता ने जिले से होते हुए तस्करी की सुपारी किए जाने पर पांच कांस्टेबल को निलंबित कर दिया है। जिला पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पुलिस कर्मी असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा पर गुमराह पुलिस जांच केंद्र के तहत आने वाले डिगोरखल जांच चौकी पर तैनात थे। उन्होंने बताया कि सुपारी लदे एक ट्रक को इन पुलिस कर्मियों की सांठगांठ से ‘टोल गेट’ से होकर जाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘यह ट्रक दो कथित तस्करों से संबद्ध था। वाहन के वहां से निकलने के बाद गुमराह पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी ने उसका पीछा किया और मेघालय सीमा के पास उसे रोक लिया।’’ पुलिस ने चालक को गिरफ्तार कर लिया, जिसने उसे तस्करों तक पहुंचाने में सहायता की। दोनों तस्करों को शनिवार रात गिरफ्तार किया गया। अधिकारी ने बताया, ‘‘पुलिस कर्मियों के पास से 1.48 लाख रुपये जब्त किये गए। जांच में खुलासा हुआ कि यह रकम उन्हें रिश्वत के रूप में मिली थी।''
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने असमिया लोगों से अपील की कि वे स्वदेशी आबादी की संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए किसी भी "संदिग्ध विदेशी" को अपनी जमीन न बेचें। शर्मा ने किसी भी समुदाय की प्रगति के लिए वित्तीय विकास के महत्व पर जोर देते हुए लोगों, विशेषकर युवाओं से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने का आग्रह किया। गुवाहाटी के बोरागांव में असम आंदोलन के शहीदों की याद में मनाए गए 'स्वाहिद दिवस' कार्यक्रम में शर्मा ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि अगर हर असमवासी अपनी जमीन किसी संदिग्ध विदेशी को नहीं बेचने की प्रतिज्ञा करें, तो हमारी 'जाति' सुरक्षित रहेगी। कुछ परिवार आर्थिक लाभ के लिए अपनी ज़मीन बेच देते हैं, लेकिन कई परिवारों को पैसे की ज़रूरत भी नहीं होती है और फिर भी वे इसे संदिग्ध विदेशियों को बेच देते हैं।’’ उन्होंने कहा, 'आइए हम अपनी जमीन अब किसी भी संदिग्ध विदेशी को नहीं बेचने की प्रतिज्ञा करें।' शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार वैष्णव संस्कृति के केंद्र माजुली, बारपेटा और बटाद्रवा जैसी जगहों पर 'बाहरी लोगों' को जमीन की बिक्री पर रोक लगाने वाला कानून लाएगी। उन्होंने अवैध प्रवासियों के खिलाफ छह साल तक चले असम आंदोलन के साथ अपने जुड़ाव का जिक्र किया जिसकी परिणति अगस्त 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी। शर्मा ने कहा, ‘‘आंदोलन सिर्फ भावनाओं पर आधारित नहीं था, बल्कि तर्क पर भी आधारित था। आंदोलन के कई नेताओं ने असम को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा था और उस समय के युवाओं ने भी छोटी-मोटी नौकरियां करके इसका जवाब दिया था।’’ उन्होंने दावा किया, "लेकिन अब ऐसा नहीं है। असमिया युवाओं की काम करने की इच्छा की कमी का फायदा उठाकर संदिग्ध विदेशियों ने महत्वपूर्ण स्थानों पर व्यापार और वाणिज्य पर कब्जा कर लिया है।" यह उल्लेख करते हुए कि आर्थिक आत्मनिर्भरता उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी संस्कृति और भाषा की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम, मुख्यमंत्री ने युवाओं से अधिक परिश्रमी बनने और श्रम की गरिमा को महत्व देने का आग्रह किया।
इसके अलावा, अमस के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा के कार्यकाल के दूसरे वर्ष पर आधारित दो पुस्तकों का विमोचन किया गया है जिनमें राज्य के शासन में रोज आने वाली चुनौतियों से लेकर अहम मुद्दों पर दिए गए उनके भाषण शामिल हैं। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने ‘मुख्यमंत्री डायरी 2’ और ‘मुख्यमंत्री वक्तृता संकलन 2’ का विमोचन किया। पहली पुस्तक मुख्यमंत्री द्वारा लिखी गयी है जिसमें उनके दैनिक कार्यों की बारीकियों और पेचीदगियों का उल्लेख है। इसमें मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज में आने वाली चुनौतियों, लिए गए फैसलों और समग्र गतिशीलता का वर्णन है। दूसरी पुस्तक उनके कार्यकाल के दूसरे वर्ष के दौरान विभिन्न अवसरों पर दिए गए चुनिंदा 65 भाषणों का संग्रह है। इस अवसर पर कटारिया ने कहा कि यह दोनों पुस्तकें भावी पीढ़ी के लिए एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड साबित होंगी। उन्होंने कहा कि किताब से पाठकों को सरकारी प्रशासन और मुख्यमंत्री कार्यालय के कामकाज के बारे में जानने का मौका मिलेगा। शर्मा ने उम्मीद जतायी कि ये पुस्तकें भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित होंगी। उन्होंने कहा कि डायरी के पहले भाग की बिक्री से होने वाली कमायी मुख्यमंत्री राहत कोष में दी जाएगी।
मणिपुर
मणिपुर से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में जातीय हिंसा के दौरान मारे गए 64 लोगों के शव बृहस्पतिवार को उनके परिजनों को सौंप दिए गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ये शव अस्पताल के मुर्दाघर में रखे हुए थे। मई में मणिपुर में शुरू हुई हिंसा के दौरान मारे गए इन लोगों में से 60 लोग कुकी समुदाय से थे। अधिकारियों ने बताया कि चार अन्य शव मेइती समुदाय के लोगों के हैं जिन्हें चुराचांदपुर के अस्पतालों में रखा गया था। उन्होंने बताया कि शव ‘‘शांतिपूर्वक’’ परिजनों को सौंप दिए गए हैं। मणिपुर में इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच मई में जातीय हिंसा भड़क गयी थी।
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने मिजोरम के अपने समकक्ष लालदुहोमा से राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने का अनुरोध किया। सिंह ने कहा कि पड़ोसी राज्य मणिपुर में जातीय संघर्ष के समाधान के लिए अपना समर्थन दे सकते हैं। लेकिन उन्होंने मिजोरम के मुख्यमंत्री से दूसरे राज्य के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने से बचने की अपील की। सिंह ने एक कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा था, “मैंने मिजोरम के नवनियुक्त मुख्यमंत्री की एक टिप्पणी के बारे में सुना है जिसमें उन्होंने कहा है कि राज्य की पुलिस को मोरेह में उनके लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए। मुझे लगता है कि यह उनके संवैधानिक अधिकारों से थोड़ा बाहर है। यह मणिपुर सरकार का आंतरिक मामला है।” मोरेह एक सीमावर्ती कस्बा है जो मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में भारत-म्यांमार सीमा पर स्थित है। इससे पहले, एक सभा को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, “मैंने हमारे राज्य में जातीय हिंसा के बारे में असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो से बात की और उन्होंने इस मुद्दे को सुलझाने व शांति बहाल करने के लिए अपना समर्थन देने की पेशकश की।” सिंह ने कहा, “मैंने त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम के मुख्यमंत्रियों से भी बातचीत की और उन्होंने भी राज्य में स्थिति सामान्य बनाने के लिए मदद का हाथ बढ़ाया।” सिंह ने जोर देकर कहा, “मैं यह सब इसलिए बता रहा हूं क्योंकि मणिपुर और मिजोरम के बीच कोई असहमति या झगड़ा नहीं है। मिजोरम में मेइती और मणिपुर में मिजो लोग हैं। असम और त्रिपुरा में भी एक लाख से अधिक मेइती हैं। पूर्वोत्तर में हम सभी साथ रहते हैं।”
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने मंगलवार को कहा कि आम लोगों को कानून लागू करने वालों की भूमिका नहीं निभानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने हर किसी को दुश्मन की तरह न देखने की अपील करते हुए कहा कि लोगों को बेवजह परेशान नहीं करना चाहिए और उन पर हमला नहीं करना चाहिए। विभिन्न हलकों में आरोप लगे थे कि कई क्षेत्रों की सुरक्षा करने वाले स्वयंसेवक उन लोगों से पूछताछ करते हैं, जिन्हें वे संदिग्ध मानते हैं और उनके साथ मारपीट भी करते हैं। मुख्यमंत्री ने एक योजना की भी घोषणा की जिसके तहत एक निश्चित श्रेणी की महिलाओं को सरकार से प्रति माह 500 रुपये मिलेंगे। सिंह ने यहां एक समारोह में कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति के कारण लोगों का संदेह करना समझ में आता है और कुछ बुनियादी सवाल पूछना ठीक है। हालांकि, अपमानजनक कृत्य बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा कि एक आम व्यक्ति कानून लागू करने वाले की भूमिका नहीं निभा सकता और दूसरों से बेवजह पूछताछ नहीं कर सकता या उन पर हमला नहीं कर सकता। सिंह ने हाल की एक घटना पर भी निराशा व्यक्त की जिसमें थौबल जिले के लाइमनाई क्षेत्र की दो महिलाओं पर बिष्णुपुर जिले के एक स्थान पर कुछ लोगों द्वारा कथित तौर पर हमला किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘बिना किसी कारण के दोनों महिलाओं पर हमला क्यों किया गया? मामला तुरंत पता चल गया और सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया। इसे तूल दिया जा सकता था।’’ सिंह ने लोगों से कानून अपने हाथ में नहीं लेने की भी अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब भी नशीले पदार्थों की जब्ती हो या लूटपाट की आशंका हो, कृपया कानून अपने हाथ में न लें क्योंकि इससे तनाव पैदा होगा। बल्कि उन्हें (आरोपियों को) पुलिस को सौंप दें।’’ सिंह ने औपनिवेशिक युग के दौरान अंग्रेजों के खिलाफ मणिपुरी महिलाओं के प्रदर्शन ‘नुपी लान’ की स्मृति में आयोजित समारोह के दौरान एक योजना की भी घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘नयी योजना उन महिलाओं के लिए लागू की गई है जो 40 वर्ष और उससे अधिक उम्र की हैं, जिनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और वे किसी अन्य योजना के अंतर्गत नहीं आती हैं। योजना के तहत लाभार्थियों को 500 रुपये प्रति माह मिलेंगे।’’ अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के बाद भड़की हिंसा में 180 से अधिक लोग मारे गए थे।
मिजोरम
मिजोरम से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जीवन और सरकारी सेवाओं से भ्रष्टाचार को खत्म करने के मिशन को दृढ़ता से लागू किया जाएगा। राज्य विधानसभा को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, 'मेरी सरकार राज्य को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए प्रतिबद्ध है और वह इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व्यापक और प्रभावी होगी।' उन्होंने कहा कि राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को मंजूरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अदरक, हल्दी, मिर्च और झाड़ू जैसे चार कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य तय किए जाएंगे और राज्य सरकार चालू वित्त वर्ष से ऐसे कृषि उत्पादों की खरीद शुरू करेगी।
इसके अलावा, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य की वित्तीय हालत को सुधारने के लिए विधायकों को पहले से मिल रही कुछ सुविधाएं खत्म करने के साथ मितव्ययता कदमों का सख्ती से पालन करेगी। विधानसभा सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सदन के सदस्यों से ऐसी पहलों को लागू करने में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों को पहले मिल रही कई सुविधाएं बंद कर जाएंगी तथा उनके वेतन एवं भत्तों में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान वेतनमान के अनुसार विधायक प्रतिमाह डेढ़ लाख रुपये का वेतन एवं भत्ते पा रहे हैं। लालदुहोमा ने सदस्यों से अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास का सूत्रपात करने के लिए स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भी अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार समान विकास सुनिश्चित करने के लिए दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी सदस्यों की मदद करेगी।
इसके अलावा, ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट के विधायक लालबियाकज़ामा को मंगलवार को निर्विरोध मिजोरम विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया। अठ्ठावन वर्षीय नेता सात नवंबर को हुए चुनाव में चाल्फिह सीट से पहली बार राज्य विधानसभा के लिए चुने गए हैं। अस्थायी अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर) लालफामकिमा ने कहा कि विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष लिए कोई उम्मीदवार नहीं उतारा लिहाज़ा लालबियाकज़ामा को निर्विरोध चुने जाने की घोषणा की जाती है। नई विधानसभा का पहला सत्र मंगलवार को शुरू हुआ और अस्थायी अध्यक्ष ने सदन के सदस्यों को शपथ दिलाई। विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद लालबियाकज़ामा ने कहा कि वह सदन में निष्पक्षता बनाए रखेंगे। उन्होंने सदन के सदस्यों से शिष्टाचार बनाए रखने का आग्रह किया ताकि राज्य विधानमंडल देश के सर्वश्रेष्ठ विधानमंडलों में शामिल रहे। लालबियाकज़ामा ने सदस्यों से व्यक्तिगत मामलों पर दूसरों पर हमला करने से बचने की भी अपील की। मुख्यमंत्री लालदुहोमा, मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) से विपक्ष के नेता लालछंदामा राल्ते, गृह मंत्री के सपडांगा, भाजपा विधायक दल के नेता के. बेइचुआ, कांग्रेस के एकमात्र विधायक सी नगुनलियानचुंगा ने उन्हें अध्यक्ष चुने जाने पर बधाई दी।
त्रिपुरा
त्रिपुरा से आये समाचारों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को जिंदा दफनाने के लिए जमीन पर गड्ढे खोदे थे। हम आपको याद दिला दें कि राज्य में इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव हुए थे। माणिक साहा ने खोवाई जिले में बाजार कॉलोनी में एक कार्यक्रम में कहा कि वामपंथियों की साजिश नाकाम हो गई क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पांच साल के अंतराल के बाद फिर से चुनाव जीता। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे पास खुफिया जानकारी थी कि भाजपा नेताओं की चुनिंदा हत्या के लिए कई कब्र खोदी गई थीं और उन्हें जिंदा दफनाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन, लोगों ने इसे नाकाम कर दिया क्योंकि भाजपा ने चुनावी लड़ाई जीत ली।’’ माकपा ने भाजपा के इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि गैर-भाजपा दलों के बीच मतों के विभाजन के कारण भाजपा ने चुनाव जीता।
इसके अलावा, भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने सोमवार को कहा कि वह क्रिकेट में आगे बढ़ने के लिए त्रिपुरा की मदद करना चाहते हैं। एक प्रेस कांफ्रेंस में गांगुली ने कहा कि वह त्रिपुरा के क्रिकेट खिलाड़ियों पर नजर रखते हैं और मणिशंकर मूरासिंह से प्रभावित हैं। गांगुली ने कहा, ‘‘मैं एक क्रिकेटर हूं और राज्य क्रिकेट इकाई की मदद करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि राज्य बड़े मुकाबलों की मेजबानी के लिए स्टेडियम का निर्माण करे। अगर गुवाहाटी भारतीय टीम के मैचों की मेजबानी कर सकता है तो फिर त्रिपुरा क्यों नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं त्रिपुरा के लिए खेलने वाले खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर रखता हूं और विभिन्न टूर्नामेंट में मणिशंकर मूरासिंह के खेलने के तरीके से प्रभावित हूं। उम्मीद करता हूं कि वह आईपीएल में खेलेगा क्योंकि उसे छांटी गई सूची में जगह मिली है।’’ गांगुली ने उज्जयंता पैलेस में राज्य के पर्यटन मंत्री सुशांत चौधरी के साथ करार पर हस्ताक्षर किए। इस करार के तहत वह त्रिपुरा पर्यटन के ब्रांड दूत होंगे।
इसके अलावा, त्रिपुरा के राज्यपाल इंद्रसेन रेड्डी ने सोमवार को कहा कि राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी में मदद करने वालों का सामाजिक रूप से बहिष्कार कर उन्हें ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ माना जाना चाहिए। इंद्रसेन रेड्डी ने राजभवन में 'विकसित भारत 2047' नामक विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘मादक पदार्थ म्यांमा से आ रहे हैं और कुछ स्थानीय लोग इसकी तस्करी में मदद कर रहे हैं। वे लोग देश के खिलाफ अपराध कर रहे हैं। मैं सभी से अपील करता हूं कि ऐसे लोगों का सामाजिक रूप से बहिष्कार करें और उन्हें राष्ट्रविरोधी मानें।’’ राज्यपाल ने कहा कि मादक पदार्थ रोधी अभियान को लेकर पुलिस बेहतरीन काम कर रही है और नशीले पदार्थों की तस्करी में सहायता करने वालों के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार अभियान शुरू करने की आवश्यकता है। त्रिपुरा पुलिस की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल अगस्त तक स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत दर्ज 445 मामलों के संबंध में कुल 746 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। इस दौरान हेरोइन सहित 91.84 करोड़ रुपये मूल्य के प्रतिबंधित पदार्थ जब्त किए गए हैं।
नगालैंड
नगालैंड से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य में इस वर्ष विदेशी और घरेलू पर्यटकों सहित 1.54 लाख से अधिक लोगों ने सुरम्य नगा विरासत गांव ‘किसामा’ का दौरा किया। इस गांव में इस वर्ष हॉर्नबिल उत्सव का आयोजन किया गया था। दस-दिवसीय वार्षिक पर्यटन कार्यक्रम की शुरुआत एक दिसंबर को हुई थी। नगालैंड सरकार की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम को ‘उत्सवों का उत्सव’ माना जाता है। राज्य पर्यटन विभाग ने कहा कि इस साल महोत्सव में 1,54,057 पर्यटक आए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13,758 अधिक है। इसमें कहा गया है कि महोत्सव में कुल मिलाकर 1,14,860 स्थानीय, 37,089 घरेलू और 2,108 विदेशी पर्यटक शामिल हुए। पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू पर्यटकों की संख्या में 11,000 से अधिक की भारी गिरावट दर्ज की गई। विभाग के मुताबिक पिछले वर्ष यह संख्या 48,413 थी। पर्यटन विभाग ने कहा कि उत्सव के आखिरी दिन रविवार को सबसे अधिक 23,583 पर्यटक मौजूद रहे, इससे पहले तीन दिसंबर को 18,002 पर्यटक कार्यक्रम में मौजूद थे।
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश से आये समाचार की बात करें तो आपको बता दें कि केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रीजीजू ने अरुणाचल प्रदेश के लोगों को राज्य के वेस्ट कामेंग जिले में ‘डॉपलर रडार प्रणाली’ स्थापित किए जाने सहित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति का आश्वासन दिया है। रीजीजू ने जिला मुख्यालय बोमडिला में स्थित एक स्थायी भूकंप वेधशाला का उद्घाटन किया और कहा कि डॉपलर प्रणाली की परिकल्पना बारिश, तापमान और आर्द्रता का पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को उनकी खेती संबंधी योजना बनाने में सहायता मिलेगी। सरकारी महाविद्यालय बोमडिला में स्थापित वेधशाला अरुणाचल प्रदेश के लिए बहुत महत्व रखती है, क्योंकि यह भूकंप के प्रति संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र- पांच में स्थित है। रीजीजू ने पृथ्वी विज्ञान विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और भूकंप का पता लगाने में वेधशाला के संभावित लाभों पर प्रकाश डाला। मंत्री ने विज्ञान के योगदान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, "देश का भविष्य हमारे हाथों में है।" मंत्री ने जिले के निर्वाचित प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों से अगले 25 वर्षों में भारत को एक विकसित देश बनाने के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आह्वान किया।
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