सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, एक मंत्री, दो पदाधिकारियों ने भी पद छोड़ा
चंडीगढ़ में अटकलों के अनुसार, हाल में अन्य नियुक्तियां हुई हैं, जिससे सिद्धू नाराज हो सकते हैं। राणा गुरजीत सिंह को पार्टी के कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। सिद्धू को इस बात से भी नाखुश बताया जाता है कि विधायक कुलजीत सिंह नागरा को चन्नी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।
नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद कुछ अन्य लोगों के इस्तीफे के कारण राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पार्टी में एक नया संकट पैदा हो गया है।
सिद्धू के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में 18 सदस्यीय नये मंत्रिमंडल में शामिल रजिया सुल्ताना ने भी पूर्व क्रिकेटर के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपना इस्तीफा दे दिया।
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पंजाब की कांग्रेस इकाई के महासचिव योगिन्दर ढिंगरा और कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इस राजनीतिक संकट के बीच कई नेता आज सिद्धू के पटियाला स्थिति आवास पर उनसे मिलने भी पहुंचे।
राज्य में नयी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों के आवंटन के तुरंत बाद सिद्धू (57) ने पद छोड़ दिया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा है कि वह पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे। सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के साथ नेतृत्व को लेकर खींचतान के बीच इसी साल जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था।
अमरिंदर सिंह ने दस दिन पहले पार्टी आलाकमान पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने यह नहीं बताया कि उन्होंने इस्तीफा क्यों दिया। लेकिन पार्टी हलकों में इसकी वजह नये मुख्यमंत्री द्वारा उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह विभाग आवंटित किए जाने, नए कार्यवाहक पुलिस प्रमुख और राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति पर उनकी नाराजगी मानी जा रही है।
सिद्धू ने सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में कहा, ‘‘किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में गिरावट समझौते से शुरू होती है, मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता हूं।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। कांग्रेस की सेवा करना जारी रखूंगा।’’ सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद मंगलवार को पार्टी नेतृत्व पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही बता दिया था कि सिद्धू स्थिर व्यक्ति नहीं हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैंने आपसे कहा था... वह स्थिर व्यक्ति नहीं है और सीमावर्ती राज्य पंजाब के लिए वह उपयुक्त नहीं है।’’ अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को ‘‘खतरनाक’’ और ‘‘राष्ट्र-विरोधी’’ बताया था। उनका इस्तीफा अचानक उस दिन हुआ जब अमरिंदर सिंह दिल्ली के लिए रवाना हुए। सिंह की यात्रा की योजना से उन अटकलों को बल मिला था कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं से मिल सकते हैं।
हालांकि, उनके मीडिया सहयोगी ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंह निजी दौरे पर राजधानी आए हैं और ‘कपूरथला हाउस’ खाली करेंगे, जहां पंजाब के मुख्यमंत्री दिल्ली के दौरे के दौरान रुकते हैं। दिल्ली में, आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि सिद्धू ने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि एक गरीब व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाया गया था।
पिछले सप्ताह कार्यभार संभालने वाले चरणजीत सिंह चन्नी राज्य में अनुसूचित जाति के पहले मुख्यमंत्री हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी को भेजे त्यागपत्र में सुल्ताना ने कहा, ‘‘मैं, रजिया सुल्ताना पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और राज्य के लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता दिखाते हुए पंजाब में कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे रही हूं।’’
सुल्ताना को सिद्धू की करीबी माना जाता है। उनके पति मोहम्मद मुस्तफा सिद्धू के प्रधान रणनीतिक सलाहकार हैं जो भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी रह चुके हैं। इससे पहले आज दिन में सुल्ताना को जल आपूर्ति और स्वच्छता, सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास तथा मुद्रण एवं स्टेशनरी विभागों का प्रभार सौंपा गया था।
अमरिंदर सिंह नीत सरकार में वह परिवहन मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। कभी सिद्धू के करीबी माने जाने वाले चन्नी ने दावा किया कि उन्हें उनके इस्तीफे की जानकारी नहीं है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, मुझे ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सिद्धू रंधावा को गृह विभाग आवंटित करने और कुछ अन्य नियुक्तियों से नाराज हैं, उन्होंने कहा, “हम सिद्धू साहब के साथ बैठेंगे और उनसे बात करेंगे। वह हमारे अध्यक्ष और एक अच्छे नेता हैं। ऐसा कहा जाता है कि इससे पहले सिद्धू ने मुख्यमंत्री के रूप में रंधावा की नियुक्ति का विरोध किया था और अंतत: चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया।
चंडीगढ़ में अटकलों के अनुसार, हाल में अन्य नियुक्तियां हुई हैं, जिससे सिद्धू नाराज हो सकते हैं। राणा गुरजीत सिंह को पार्टी के कुछ नेताओं के विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। बालू-खनन ठेकों की नीलामी में अनियमितता के आरोपों को लेकर उन्हें अमरिंदर सिंह मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। सिद्धू को इस बात से भी नाखुश बताया जाता है कि विधायक कुलजीत सिंह नागरा को चन्नी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।
इसके बाद ए पी एस देओल को राज्य का नया महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में देओल पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी के वकील थे। ऐसा कहा जाता है कि सिद्धू ने इस पद के लिए डी एस पटवालिया का समर्थन किया था।
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कुछ दिन पहले, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब के पुलिस महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। इस तरह की खबरें थी कि सिद्धू 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय का समर्थन कर रहे थे।
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