वक्फ एक्ट के खिलाफ SC का दरवाजा खटखटाएगी नेशनल कॉन्फ्रेंस, उमर अब्दुल्ला ने कही बड़ी बात

Omar Abdullah
ANI
अंकित सिंह । Apr 9 2025 4:18PM

उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया कि क्या आप गैर-हिंदुओं को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड या श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की गतिविधियों पर नज़र रखने की अनुमति देते हैं? क्या वे किसी गैर-सिख को एसजीपीसी की गतिविधियों पर नज़र रखने की अनुमति दे सकते हैं?

वक्फ एक्ट के खिलाफ नेशनल कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट में जाएगी। इस बात की जानकारी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दी। उन्होंने कहा कि देश का एक बड़ा वर्ग इस बिल से नाराज़ है और उन्हें लगता है कि सरकार उनके धार्मिक मामलों में दखल दे रही है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम की कोई ज़रूरत नहीं थी। एक धर्म को निशाना बनाया जा रहा है। गैर-मुस्लिमों को वक्फ गतिविधियों की समीक्षा करने की अनुमति दी जा रही है। 

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उमर अब्दुल्ला ने सवाल किया कि क्या आप गैर-हिंदुओं को श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड या श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड की गतिविधियों पर नज़र रखने की अनुमति देते हैं? क्या वे किसी गैर-सिख को एसजीपीसी की गतिविधियों पर नज़र रखने की अनुमति दे सकते हैं? उन्होंने आगे कहा कि पार्टी ने शायद यह तय कर लिया है कि वे वक्फ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। वहीं, उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को  एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की। विपक्षी दलों ने इस मुलाकात की कड़ी आलोचना की और इसे "वक्फ कानून के प्रति सौहार्दपूर्ण रवैया" करार दिया। 

इस मुलाकात के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी मौजूद थे। जम्मू-कश्मीर में विपक्षी दलों ने श्रीनगर में एशिया के सबसे बड़े ट्यूलिप गार्डन में केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू के साथ शामिल होने पर सीएम उमर अब्दुल्ला और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला पर कटाक्ष किया। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं ने उमर अब्दुल्ला पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है और कहा है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने संसद में वक्फ विधेयक पेश किया और उमर उनके लिए लाल कालीन बिछा रहे हैं।

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वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय में 15 अप्रैल को सुनवाई होने की संभावना है। हालांकि, केंद्र ने मंगलवार को शीर्ष अदालत में एक ‘कैविएट’ दायर की और इन याचिकाओं पर कोई आदेश पारित किए जाने से पहले सुनवाई किये जाने का अनुरोध किया। ‘कैविएट’ किसी पक्षकार द्वारा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए। इस बीच, एक सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025, जिसे पिछले सप्ताह संसद द्वारा पारित किया गया था, मंगलवार से लागू हो गया। 

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