Manipur : पुलिस ने सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच साठगांठ के आरोपों से किया इनकार
मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को हिंसा भड़क उठी थी।
मणिपुर पुलिस ने कुकी संगठन के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि सुरक्षा बलों की मोरेह शहर में उग्रवादी समूहों के साथ मिलीभगत थी, जहां हाल में हिंसक घटनाएं दर्ज की गयी हैं। मोरेह म्यांमा की सीमा से सटा हुआ शहर है।
राज्य सरकार का आरोप है कि पड़ोसी देश के उपद्रवी इस पूर्वोत्तर राज्य में अशांति फैला रहे हैं। पुलिस ने एक बयान में कहा, ‘‘घाटी में स्थित विद्रोही समूहों और मोरेह में सुरक्षा बल के कर्मियों के भेष में छिपे मेइती उग्रवादियों के साथ मिलीभगत के आदिवासी एकता समिति (सीओटीयू) और कुकी इनपी मणिपुर का आरोप सच नहीं है। यह आरोप निराधार और भ्रामक हैं।’’
मोरेह में 17 जनवरी को उग्रवादी हमलों में दो पुलिस कमांडो मारे गए थे जबकि कई अन्य घायल हुए थे। कुकी संगठनों ने आरोप लगाया था कि आत्मसमर्पण करने वाले घाटी स्थित विद्रोहियों को राज्य पुलिस के साथ स्वतंत्र रूप से घुलने-मिलने की अनुमति दी गई थी।
मणिपुर पिछले साल मई से जातीय संघर्ष से जूझ रहा है जिसमें 180 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किए जाने के बाद तीन मई को हिंसा भड़क उठी थी।
मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातरइंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं वे 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
अन्य न्यूज़