चुनाव बाद हिंसा रोकने में नाकाम ममता को शांति सम्मेलन में शामिल होने का अधिकार नहीं: शुभेंदु
भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का यह बयान मुख्यमंत्री की उस टिप्पणी के जवाब रूप में देखा जा रहा है, जिसमें बनर्जी ने केंद्र पर रोम में होने वाले शांति सम्मेलन में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोलते हुए रविवार को कहा कि वह चुनाव बाद राज्य में हिंसा रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहीं इसलिए उन्हें रोम में आयोजित होने वाले वैश्विक शांति सम्मेलन में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं है।
शुभेंदु अधिकारी का यह बयान मुख्यमंत्री की उस टिप्पणी के जवाब रूप में देखा जा रहा है, जिसमें बनर्जी ने केंद्र पर रोम में होने वाले शांति सम्मेलन में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया है।
अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी)सुप्रीमो पर पूर्बा मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम और खेजुरी के अलावा राज्य के अन्य स्थानों में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया।
भवानीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रत्याशी प्रियंका टिबरेवाल के समर्थन में चुनाव प्रचार के दौरान शुभेंदु ने ममता पर हमला बोलते हुए कहा, “आप एक शांति सम्मेलन में शामिल होने लायक नहीं हैं। आपने हमारे कार्यकर्ताओं पर हमला करने वालों को उकसाने और टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा हिंसक कृत्यों का समर्थन करने का काम किया है।”
दरअसल, भवानीपुर सीट से ममता बनर्जी भी चुनाव लड़ रही हैं। विपक्षी नेता ने कहा, “हमारी ओर से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद आपका प्रशासन चुप रहा। फिर आप शांति सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व करने के बारे में कैसे सोच सकती हैं?”
मुख्यमंत्री ने कहा था कि भाजपा उनसे ईर्ष्या करती है, इसीलिए उन्हें शांति सम्मेलन में जाने की अनुमति नहीं दी गयी। मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया था कि उन्हें वैश्विक शांति सम्मेलन में भाग लेने के लिए अक्टूबर के पहले सप्ताह में रोम आमंत्रित किया गया था, जिसमें पोप, अन्य धार्मिक प्रमुख, विभिन्न देशों के गणमान्य व्यक्ति भाग लेने के लिए तैयार हैं, जहां वह एकमात्र भारतीय और एकमात्र हिंदू महिला होतीं।
भाजपा नेता ने ममता को तानाशाह करार देते हुए कहा, “याद रखें कि आपने 2017 में आदेश दिया था कि विजयदशमी पर कोई दुर्गा मूर्ति विसर्जन नहीं होगा और इस मामले में अदालत को हस्तक्षेप करना पड़ा था।
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