Maharashtra: अजित पवार को मिल सकता है वित्त विभाग, देवेंद्र फडणवीस के लिए होगा झटका

Devendra Fadnavis
ANI
अंकित सिंह । Jul 13 2023 2:17PM

खबर यह है कि वित्त मंत्रालय अजित पवार को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह देवेंद्र फडणवीस के लिए बड़ा झटका होगा। फडणवीस फिलहाल वित्त मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। तो एनसीपी को महत्वपूर्ण वित्त विभाग का आवंटन अजित पवार के लिए एक बड़ी जीत होगी।

महाराष्ट्र में मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर खींचतान की स्थिति लगातार बनी हुई है। जबसे अजित पवार एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस वाले सरकार में शामिल हुए हैं तब से मंत्रालय और कैबिनेट विस्तार को लेकर अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं। अजित पवार और उनके खेमे के विधायकों ने मंत्री पद की शपथ तो ले ली है लेकिन उन्हें अब भी विभागों का इंतजार है। इन सबके बीच खबर यह है कि वित्त मंत्रालय अजित पवार को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह देवेंद्र फडणवीस के लिए बड़ा झटका होगा। फडणवीस फिलहाल वित्त मंत्रालय भी संभाल रहे हैं। तो एनसीपी को महत्वपूर्ण वित्त विभाग का आवंटन अजित पवार के लिए एक बड़ी जीत होगी। 

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हर खेमें में नाखुशी

यह भाजपा विधायकों के लिए एक झटका भी होगा जो अपने नए गठबंधन सहयोगी को ज्यादा महत्व देने को तैयार नहीं हैं। अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा गुट के सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा बनने के बाद से फड़णवीस और शिंदे खेमे के विधायकों के बीच असंतोष की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र कैबिनेट विस्तार में देरी का कारण अजित पवार के खेमे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच वित्त और योजना विभागों को लेकर गतिरोध है। सूत्रों ने कहा कि पवार राकांपा के लिए वित्त और सहकारी मंत्रालय सुरक्षित करने पर अड़े हुए हैं, लेकिन शिंदे खेमा इससे नाखुश है। माना जा रहा है कि 10-11 जुलाई को शिंदे, उनके डिप्टी फडणवीस और अजित पवार के बीच देर रात हुई बातचीत में यह झगड़ा सुलझ गया होगा।

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सहकारिता मंत्रालय पर खींचतान

वर्तमान के राजनीतिक हालात को देखें तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के लिए यह इतना आसान नहीं रहने वाला है। अजित पवार गुट अहम मंत्रालयों की मांग पर अड़ा हुआ है जिसमें वित्त, गृह और सहकारिता मंत्रालय भी शामिल है। वित्त और सहकारिता मंत्रालय को लेकर अजित पवार गुट और शिंदे गुट में खींचतान है। शिंदे गुट सहकारिता मंत्रालय किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहता है। एनसीपी गुट इस मंत्रालय को लेने पर अड़ा हुआ है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि दर्जन भर से अधिक एनसीपी नेता सहकारी या निजी चीनी कारखाने चला रहे हैं। उनका सहकारी बैंकों पर भी नियंत्रण है। वहीं शिंदे गुट अपनी जमीनी पकड़ को मजबूत रखने की वजह से इस मंत्रालय को देना नहीं चाहता है।

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