मध्य प्रदेश सरकार ने दी उद्योगों को राहत, प्रोत्साहन योजना व भू-भाटक में मिली रियाय
सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र में एमपीआईडीसी द्वारा स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आवंटियों से प्रभार्य वार्षिक भू-भाटक को कोविड-19 संक्रमण के दृष्टिगत एक मार्च-2020 से 31 दिसम्बर-2020 तक भुगतान करने की सुविधा अब बिना ब्याज-जुर्माना या विलम्ब शुल्क के प्रदान की गई है।
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने उद्योगों को कई रियायतें देने का निर्णय किया है। कोविड-19 संकट के कारण उद्योगों को हो रही कठिनाइयों को दूर करने के लिये प्रदेश शासन ने उद्योगों को अनेक रियायतें देने जा रही है। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिये हैं। उद्योग संवर्धन नीति में प्रावधानित सुविधाएँ प्राप्त करने के लिये अब विनिर्माण वृहद इकाईयों को, जिन्होंने एक जनवरी से 31 दिसम्बर, 2020 के मध्य वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ किया हो, के लिये समय-सीमा 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी गई है। ऐसी सुविधाएँ प्राप्त करने के इच्छुक उद्योगों को इकाई से उत्पादन प्रारंभ किये जाने की सांकेतिक सूचना देना होगी।
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इसी तरह निवेश प्रोत्साहन योजना का उद्योगों को लाभ देने के लिये भी महत्वपूर्ण रियायत दी गई है। इसके तहत ऐसी पात्र वृहद श्रेणी की औद्योगिक इकाईयाँ, जिनका उत्पादन प्रारंभ वर्ष 2020-21 है, को सुविधा का लाभ प्राप्ति के लिये स्थापित क्षमता 40 प्रतिशत के स्थान पर माह सितम्बर-2020 तक 30 प्रतिशत की गई है। लॉकडाउन की अवधि सितंबर 2020 के बाद भी बढ़ती है, तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित साधिकार समिति में अनुमोदन में प्रति तिमाही 5 प्रतिशत कम मान्य होगा। ऐसी इकाईयाँ, जो पूर्व में निवेश प्रोत्साहन सहायता योजना का लाभ प्राप्त कर रही हैं, उन्हें वर्ष 2020-21 के क्लेम राशि की गणना में पूर्वगामी वर्षों की उच्चतम सकल आपूर्ति राशि के 35 प्रतिशत मान्य किया जायेगा।
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सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र में एमपीआईडीसी द्वारा स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आवंटियों से प्रभार्य वार्षिक भू-भाटक को कोविड-19 संक्रमण के दृष्टिगत एक मार्च-2020 से 31 दिसम्बर-2020 तक भुगतान करने की सुविधा अब बिना ब्याज-जुर्माना या विलम्ब शुल्क के प्रदान की गई है। इसी तरह मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम के तहत भू-आवंटियों के लिये विभिन्न प्रयोजन के लिये निर्धारित समय अवधि में एक मार्च से 30 जून-2020 तक चार माह की अवधि को गणना में नहीं लिये जाने का भी निर्णय लिया गया है।
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