Article 370 हटाने से पहले आलू पराठा और ढोकला पर क्यों और किससे चर्चा कर रहे थे अमित शाह?

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के.जे.एस. ढिल्लों ने अपनी आने वाली पुस्तक में दावा किया है कि 26 जून 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की श्रीनगर यात्रा का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के संकल्प को अंतिम रूप देना था
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कुछ भी घोषणा करते हैं या कोई बड़ा फैसला करते हैं तो वह अचानक नहीं करते। पहले वह अपना होमवर्क पूरा करते हैं उसके बाद अपने फैसले पर आने वाली संभावित प्रतिक्रियाओं पर गौर करते हैं और फिर उनका जवाब देने की तैयारी करते हैं। साल 2019 के मई महीने में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान देश के गृह मंत्री का कार्यभार संभालने वाले अमित शाह ने प्रधानमंत्री के निर्देश पर पहले दिन से ही जम्मू-कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय की दिशा में काम करना शुरू कर दिया था। यही कारण है कि जून महीने के अंत तक वह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की पूरी तैयारी कर भी चुके थे जिसका ऐलान पांच अगस्त, 2019 को कर दिया गया।
हम आपको बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के.जे.एस. ढिल्लों ने अपनी आने वाली पुस्तक में दावा किया है कि 26 जून 2019 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की श्रीनगर यात्रा का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मोदी सरकार के संकल्प को अंतिम रूप देना था। ढिल्लों द्वारा लिखित ‘कितने गाजी आए कितने गाजी गए’ पुस्तक में इस बात का दावा किया गया है। इस पुस्तक का विमोचन 2019 में दक्षिण कश्मीर के लेथपोरा के पास एक आत्मघाती हमले में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवानों के सम्मान में 14 फरवरी को किया जाएगा।
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टाइनी ढिल्लों के नाम से मशहूर ढिल्लों ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि 26 जून, 2019 को अमित शाह की यात्रा को एक नाटकीय घोषणा का पूर्व संकेत माना जा रहा था। उन्होंने पुस्तक में लिखा है- “मुझे तड़के दो बजे फोन आया, जिसमें मुझसे सुबह सात बजे गृह मंत्री से मिलने के लिए कहा गया था।” गृह मंत्री के साथ अपनी बैठक के बारे में ज्यादा कुछ बताए बिना उस समय थलसेना के श्रीनगर स्थित 15 कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल रहे ढिल्लों ने लिखा, “हमारी मुलाकात के दौरान ‘आलू पराठा’ और प्रसिद्ध गुजराती व्यंजन ‘ढोकला’ सहित स्वादिष्ट भोजन के अलावा कई संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की गई।” उन्होंने लिखा है, “चर्चा में, एक महत्वपूर्ण घोषणा पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को समझना भी शामिल था।’’ सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों ने लिखा है, “मैं यह उल्लेख करना चाहूंगा कि कि गृह मंत्री एजेंडा से पूरी तरह से अवगत थे...उन्होंने स्पष्ट रूप से व्यापक शोध और मंथन किया था।”
ढिल्लों ने अपनी पुस्तक में लिखा है, “बैठक के समापन पर मुझसे मेरे स्पष्ट और व्यक्तिगत विचार के बारे में पूछा गया था तथा मेरी प्रतिक्रिया यह थी कि ‘अगर इतिहास लिखना है, तो किसी को इतिहास रचना पड़ेगा (हम इतिहास तभी लिख सकते हैं जब हम इतिहास रचते हैं)।’’ हम आपको बता दें कि सरकार द्वारा पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा किये जाने से पहले श्रीनगर में हुई यह आखिरी बैठक थी। इस प्रावधान को निरस्त किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने बताया कि सीमा पार से फैलाए जा रहे झूठ के कारण अधिकारियों को इंटरनेट बंद करना पड़ा था तथा इसके अलावा यह सुनिश्चित करना पड़ा कि जान-माल को कोई नुकसान न हो।
हम आपको यह भी बता दें कि कश्मीर में अपने सैन्य कार्यकाल के दौरान ढिल्लों ने पाकिस्तान की ओर से होने वाले घुसपैठ के हर प्रयास को करारा जवाब देना सुनिश्चित किया था। यही नहीं, पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने बालाकोट पर हमला किया था तब भी हालात को संभालने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था। ढिल्लों ने घाटी में ‘ऑपरेशन मां’ भी शुरू किया था जोकि काफी लोकप्रिय रहा था। इस ऑपरेशन के तहत भटके हुए युवाओं की माताओं से संपर्क कर उनसे अपने बच्चों को मुख्यधारा में लौटने की अपील कराई जाती थी जोकि कई मामलों में सफल भी रही थी।
-गौतम मोरारका
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