केजरीवाल तीन जुलाई को पार्टी कार्यालय पर केंद्र के अध्यादेश की प्रतियां जलाएंगे

Arvind Kejriwal
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पार्टी ने 11 जून को अध्यादेश के खिलाफ महारैली भी आयोजित की थी। बता दें कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में आईएएस और दूसरे अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती को मंजूरी देने वाला एक अध्यादेश पारित किया था, जिसे पार्टी ने सेवाओं के नियंत्रण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को कुचलने वाला अध्यादेश करार दिया था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तीन जुलाई को मध्य दिल्ली के पार्टी कार्यालय में केंद्र के अध्यादेश की प्रतियां जलाएंगे। आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने यहां संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय राजधानी की सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में अध्यादेश की प्रतियां जलाई जाएंगी। उन्होंने कहा, ‘‘तीन जुलाई को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कैबिनेट मंत्री और सभी विधायक आईटीओ स्थित पार्टी कार्यालय पर इस काले अध्यादेश की प्रतियां जलाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि उसके बाद 5 जुलाई को सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में अध्यादेश की प्रतियां जलाई जाएंगी। 6 जुलाई से 13 जुलाई के बीच दिल्ली के हर नुक्कड़ और कोने में अध्यादेश की प्रतियां जलाई जाएंगी।

केजरीवाल मंत्रिमंडल में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि सभी सात उपाध्यक्ष ये सुनिश्चि करेंगे कि दिल्ली के हर इलाके में प्रतियां जलाई जाएं।भारद्वाज ने आरोप लगाया कि केंद्र इस काले अध्यादेश के माध्यम से दिल्ली पर अवैध तरीके से नियंत्रण करने का प्रयास कर रही है। पार्टी उपाध्यक्ष दिलीप पांडे, जरनैल सिंह, गुलाब सिंह, जितेंद्र तोमर, रितुराज झा, राजेश गुप्ता और कुल्दीप कुमार इस संवाददाता सम्मेलन में मौजूद थे, जहां ये घोषणा की गई। पार्टी ने 11 जून को अध्यादेश के खिलाफ महारैली भी आयोजित की थी। बता दें कि केंद्र सरकार ने दिल्ली में आईएएस और दूसरे अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती को मंजूरी देने वाला एक अध्यादेश पारित किया था, जिसे पार्टी ने सेवाओं के नियंत्रण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को कुचलने वाला अध्यादेश करार दिया था।

यह अध्यादेश, दिल्ली में सेवाओं का नियंत्रण राज्य सरकार को सौंपने के फैसले के एक सप्ताह बाद पारित किया गया था। इस फैसले में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और जमीन से जुड़े मामलो को बाहर रखा गया था।निर्वाचित सरकार ने समूह ए अधिकारियों के स्थानांतरण और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण गठित करने की भी मांग की थी। उच्चतम न्यायालय के 11 मई के फैसले से पहले दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण के अंतर्गत आती थीं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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