Telangana Elections 2023: तेलंगाना राज्य का सपना पूरा करने में KCR की भूमिका अहम, तीसरी बार लगा सकते हैं हैट्रिक

Chandrashekhar Rao
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इस साल यानी की 2023 के अंत तक तेलंगाना विधानसभा चुनाव होने हैं। तेलंगाना राज्य के इतिहास में सीएम कल्वाकुंतला चन्द्रशेखर राव उस व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा। जिन्होंने 14 साल पहले तेलंगाना को अलग राज्य बनाए जाने के लिए आंदोलन को पुनर्जीवत कर अहम भूमिका निभाई थी।

इस साल के अंत तक तेलंगाना विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी राजनैतिक पार्टियां अपनी-अपनी तैयारी के साथ मैदान में उतर गई हैं। बता दें कि तेलंगाना के भारत के 29वें राज्य बनने के साथ ही राज्य के सीएम कल्वाकुंतला चन्द्रशेखर राव उस व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा। जिन्होंने 14 साल पहले तेलंगाना को अलग राज्य बनाए जाने के लिए आंदोलन को पुनर्जीवत करके अहम भूमिका निभाई थी। केसीआर ने तेलंगाना राज्य का सपना पूरा करने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में नई भूमिका तलाश की है। केसीआर ने साल 1980 के दशक में कांग्रेस पार्टी से सियासी पारी शुरू की थी। वर्तमान में वह तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने अपनी पार्टी का नाम भारत राष्ट्र समिति कर दिया है। 

जन्म और शिक्षा

तेलंगाना के चंतामदका में 17 फरवरी 1954 को चंद्रशेखर राव का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम राघवार राव और माता का नाम वेंकटम्मा था। केसीआर ने सिद्धिपेट डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने उस्मानिया विश्वविद्यालय हैदराबाद से एमए की पढ़ाई की है। सीएम केसीआर का विवाह कल्वाकुंतला शोभा से हुई है। केसीआर के बेटे केटी राम राव तेलंगाना सरकार में मंत्री हैं और उनकी बेटी कविता एमएलसी है।

राजनीति में आगाज

चंद्रशेखर राव की सियासी पारी छात्र जीवन से शुरू हुई थी। केसीआर ने सिद्धिपेट डिग्री कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था। हालांकि इस दौरान उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि केसीआर की सहपाठी नंदिनी सिद्ध रेड्डी के अनुसार, एक बार कांग्रेस नेता अनंतु मदन मोहन ने उन्हें नौकरी दिलाए जाने की पेशकश की थी। लेकिन उन्होंने यह कहते हुए नौकरी से इंकार कर दिया कि वह राजनीति में जाना चाहते हैं। 

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दिल्ली में सियासत की चाह

पढ़ाई पूरी होने के बाद केसीआर दिल्ली की सियासत में अपनी किस्मत आजमाना चाहते थे। इसके लिए वह साल 1975 में दिल्ली भी गए थे। उस दौरान देश में आपातकाल की स्थिति थी। इस दौरान केसीआर संजय विचार मंच में शामिल हो गए। हालांकि संजय गांधी की मौत के बाद केसीआर सिद्धिपेट लौट गए। एक किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए सीएम मैरी चेन्ना रेड्डी सिद्धिपेट गए थे। तब केसीआर मंच पर भाषण दे रहे थे। केसीआर के भाषण खत्म होने के दौरान सीएम रेड्डी ने कहा कि उस युवक का भाषण चलने दो, क्योंकि वह अच्छा बोल रहा है। इसके बाद चेन्ना रेड्डी केसीआर के घर आने-जाने लगे। बता दें कि सीएम केसीआर फिल्मों के काफी ज्यादा शौकीन हैं। बताया जाता है कि केसीआर एनटीआर की पौराणिक फिल्में देखना पंसद करते थे।

सियासी पारी

साल 1980 में केसीआर संजय गांधी के मार्गदर्शन में आंद्र प्रदेश युवा कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके बाद वह साल 1982 में केसीआर को राघवपुर प्राथमिक कृषि सहकारी समिति, सिद्धिपेट के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। इसी दौरान वह युवा कांग्रेस के उपाध्यक्ष बनें। लेकिन उनका जल्द ही कांग्रेस से नाता टूट गया। इसके बाद साल 1985 में वह तेलुगुदेशम पार्टी में शामिल हो गए और इसी साल वह सिद्धिपेट से विधायक बनें। 

इसके बाद साल 1987 में केसीआर को राज्यमंत्री बनाया गया। फिर साल 1989 में वह एक बार फिर सिद्धिपेट से विधायक बनें। वह साल 1989 से 1993 तक टीडीपी के जिला अध्यक्ष पद पर भी रहे। फिर साल 1993 में उन्हें टीडीपी का राज्य सचिव बनाया गया। अपनी काबिलियत के दम पर वह लगातार सिय़ासत की सीढ़ियां चढ़ते चले गए। इस बाद आंध्र प्रदेश सरकार में साल 1997 में परिवहन मंत्री बनाए गए। जिसके बाद साल 1999 में केसीआर विधानसभा के उपसभापति बनाए गए। केसीआर ने विधायक और उपसभापति पद से साल 2001 में इस्तीफा दे दिया।

टीआरएस की स्थापना

इसके बाद केसीआर ने तेलंगाना को आंध्रप्रदेश से अलग कर राज्य बनाए जाने की मांग को शुरू करने का फैसला लिया। टीडीपी से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने नई पार्टी बनाने का निर्णय लिया। वहीं साल 2001 में चन्द्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति का गठन किया। साल 2004 के चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन कर टीआरएस लोकसभा की 5 और विधानसभा की 26 सीटें जीतने में सफल रही। 

इसके बाद साल 2004 में चंद्रशेखर राव करीमनगर से लोकसभा चुनाव लड़कर संसद पहुंच गए। फिर उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में स्थान मिला। हालांकि साल 2006 में उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। फिर केसीआर ने उपचुनावों में भारी मतों से जीत हासिल की और साल 2008 में केसीआर ने पार्टी के 3 सांसदों और 16 विधायकों के साथ मिलकर फिर से इस्तीफा दे दिया। अगली बार केसीआर फिर सांसद चुने गए। साल 2009 तक केसीआर यूपीए सरकार में रहे। लेकिन यूपीए की तेलंगाना राज्य बनाने को लेकर उदासीनता को देखते हुए उन्होंने अपना गठबंधन तोड़ दिया। 

तेलंगाना के लिए भूख हड़ताल

तेलंगाना राज्य की मांग को लेकर आंदोलन तेज होने पर केसीआर ने आमरण अनशन पर बैठने का फैसला किया। जिसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2009 से आमरण अनशन शुरू कर दिया। वहीं केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2009 को तेलंगाना राज्य के गठन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की। इसके बाद केंद्र सरकार ने श्रीकृष्ण समिति गठित की और तेलंगाना राज्य बनाने का फैसला लिया गया। लोकसभा से 18 फरवरी 2014 को तेलंगाना विधायक पास हो गया। कई प्रक्रियाओं के होने के बाद 2 जून 2014 को तेलंगाना राज्य का गठन किया गया। राज्य के अस्तित्व में आने के बाद केसीआर तेलंगाना के पहले सीएम बनें और तब के लेकर आज तक वह तेलंगाना की सत्ता में बने हुए हैं।

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