बहुत खास होती है कश्मीर की काराकुल टोपी, भीषण से भीषण ठंड से भी बचाने की रखती है क्षमता

हम आपको बता दें कि कारकुल शब्द भेड़ की 'काराकुल' नस्ल से लिया गया है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह टोपी भेड़ और बकरियों के ऊन से बनाई जाती है। कराकुल मेमने की खाल से बनी यह टोपी कश्मीर में बहुत लोकप्रिय है।
ठंड के मौसम में सर्दी से बचने के लिए हर कोई गर्म कपड़े पहनता है। खासतौर पर सर को ठंड से बचाने के लिए गर्म टोपी पहनी जाती है। यह गर्म टोपी तमाम तरह के डिजाइन और क्वालिटी की होती हैं लेकिन कश्मीर की पारम्परिक गर्म टोपी का कोई जवाब नहीं है। यदि आपने यह पहन ली तो फिर ठंड आपका कुछ नहीं कर सकती। आज बात करेंगे कश्मीरी टोपी बनाने वाले श्रीनगर के कारीगर मुजफ्फर जान से। कश्मीर के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक टोपी को स्थानीय भाषा में "काराकुली" के नाम से जाना जाता है। कश्मीर की शाही टोपी मानी जाने वाली टोपी कश्मीरियों के लिए सम्मान का प्रतीक भी है।
हम आपको बता दें कि कारकुल शब्द भेड़ की 'काराकुल' नस्ल से लिया गया है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह टोपी भेड़ और बकरियों के ऊन से बनाई जाती है। कराकुल मेमने की खाल से बनी यह टोपी कश्मीर में बहुत लोकप्रिय है। यह मखमली अहसास वाली चमकदार टोपी होती है। चमड़े की गुणवत्ता के आधार पर, एक टोपी की कीमत ₹6,000 से ₹30,000 तक होती है। अक्सर देखा गया है कि ज्यादातर मुख्यधारा के राजनेता काराकुल टोपी को पहनना पसंद करते हैं। यही नहीं, एक कश्मीरी दूल्हे के लिए अपनी दुल्हन के ससुराल आने का इंतजार करते हुए अपनी दस्तर को उतारना और उसकी जगह काराकुल टोपी पहनने का भी प्रचलन है।
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श्रीनगर के नवां बाजार इलाके में मशहूर दुकान 'जॉन कैप हाउस' इसी अनोखी टोपी की 125 साल पुरानी दुकान है। मुजफ्फर जॉन, जो अब इन टोपियों की चौथी पीढ़ी के निर्माता हैं, वह बताते हैं कि इस विशेष टोपी की तीन मूल शैलियाँ हैं। पहली जिन्ना शैली, दूसरी अफगान काराकुल और तीसरी रूसी कराकुल। मुजफ्फर का कहना है कि उनकी दुकान में बनी टोपियां मुहम्मद अली जिन्ना और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई प्रमुख हस्तियों ने पहनी हैं। उनका कहना है कि "मेरे दादाजी ने 1944 में जिन्ना के लिए एक काराकुल टोपी बनाई थी, उनके पिता ने 1984 में राजीव गांधी के लिए एक काराकुल टोपी बनाई थी, और मैंने 2014 में डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, मीरवाइज, गुलाम नबी आजाद और अन्य लोगों के लिए एक काराकुल टोपी बनाई थी।'' उन्होंने कहा कि मैंने यह टोपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी बनायी थी। उनका कहना है कि भले ही टोपी की इस खास शैली का चलन कम हो रहा हो लेकिन अब वर्तमान पीढ़ी इसे पहनने में काफी रुचि ले रही है।
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