Rajasthan Chunav: राजस्थान विधानसभा चुनाव में 'जाट' और 'किसान' निभाएंगे किंगमेकर की भूमिका, 'गेमचेंजर' हैं ये 82 सीटें

Rajasthan Assembly Elections
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राजस्थान में 82 विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं। बता दें कि इन सीटों पर जात और किसानों की संख्या ज्यादा है। भाजपा और कांग्रेस भी इन सीटों पर अपनी जीत पक्की करने के लिए जाट और किसानों का समर्थन हासिल कर उन्हें अपने पाले में करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

राजस्थान में 82 विधानसभा की ऐसी सीटें हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं। बता दें कि इन सीटों पर जात और किसानों की संख्या ज्यादा है। ऐसे में किसान और जाट जिस पार्टी का समर्थन करते हैं, वह चुनाव के फाइनल नतीजे में निर्णायक साबित होते हैं। जाट और किसान ने पिछले दो विधानसभा चुनावों में परिणामों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2013 में कांग्रेस से नाराज होकर जाटों ने बीजेपी को समर्थन दिया था। इससे बीजेपी को भारी जीत मिली और सत्ता पर काबिज हुई। 

वहीं साल 2018 में किसानों ने कांग्रेस पार्टी की ओर अपना समर्थन दिखाया तो अशोक गहलोत राज्य के सीएम बनें। ऐसे में इस बार यानी की साल 2023 के विधानसभा चुनाव में जाट और किसानों की भूमिका फिर से किंगमेकर वाली है। वहीं भाजपा और कांग्रेस भी इन सीटों पर अपनी जीत पक्की करने के लिए जाट और किसानों का समर्थन हासिल कर उन्हें अपने पाले में करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

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बीजेपी ने बनाई रणनीति

राजस्थान के चुनाव में बीजेपी ने जाटों और किसानों को फिर से पार्टी के पक्ष में लाने के लिए दांव चल दिया है। बीजेपी के तरफ से सतीश पूनियां को उप नेता प्रतिपक्ष बनाया है। बता दें कि पुनिया जाट नेता हैं और वह जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। वहीं सतीश पुनिया जाटों को बीजेपी पार्टी से जोड़ने का काम कर रहे हैं। वहीं किसानों के लिए भी बीजेपी ने कई अहम और कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। ताकि चुनाव में किसान बीजेपी की ओर अपना समर्थन रखें।

राजस्थान की राजनीति के बारे में अच्छी समझ रखने वाले लोगों की मानें तो उनका कहना है कि भाजपा को साल 2018 के विधानसभा चुनावों में जाट की वजह से नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसे में जाट समुदाय की नाराजगी के कारण बीजेपी ने सत्ता खो दी थी। पार्टी से जाट समुदाय दूर हो गया है, ऐसे में सतीश पुनिया जाट समुदाय और बीजेपी के बीच इस गैप को भरने का काम कर रहे हैं।

कांग्रेस ने भी बनाई रणनीति

वहीं विधानसभा चुनावों में जाटों और किसानों का समर्थन पाने के लिए कांग्रेस भी कड़ी मेहनत कर रही है। कांग्रेस पार्टी ने जाट नेताओं को अहम पद भी दिए हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने किसानों के लिए कई विकास योजानाओं की भी शुरूआत की है। बता दें कि जाट और किसानों के प्रभाव वाली सीटों पर कांग्रेस की तरफ से अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा भी दौरे कर रहे हैं।

अभी स्थिति नहीं है स्पष्ट

अभी भी 2023 के चुनाव में जाट और किसान नेता अपनी स्थिति के बारे में स्पष्ट नहीं हैं। जाट नेताओं का मानना है कि बीजेपी पार्टी जाट समुदाय का विश्वास जीतने में सक्षण होगी। तो वहीं अन्य नेताओं का मानना है कि जाट समुदाय कांग्रेस की तरफ हैं। वहीं किसान नेता किसी भी पार्टी को अभी समर्थन करने के लिए राजी नहीं है। जाट महासभा की तरफ से कहा जा रहा है कि अभी राजस्थान विधानसभा चुनाव में काफी समय है। ऐसे में समय आने पर तय किया जाएगा कि हमें अपना समर्थन किस ओर देना है।

किसान और जाटों के प्रभाव वाली 82 सीटें

राजस्थान के मारवाड़ जोन में जोधपुर, पाली, जालोर, नागौर, बाड़मेर, जैसलमेर और सिरोही जिले आते हैं। इन जिलों में 42 विधानसभा सीटें हैं। यह सारी सीटें जाट और किसान समुदाय के प्रभाव वाली सीटें हैं। माना जाता है कि यहां पर जाट और किसान जिस भी पार्टी के पक्ष में अपना समर्थन देते हैं, उसी पार्टी का पलड़ा भारी हो जाता है। इस साल के अंत में राजस्थान विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में राजनैतिक पार्टियों ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं।

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