संचार उपकरणों की निगरानी का मुद्दा: जेटली बोले- राई के बिना ही पहाड़ बना रही कांग्रेस
उच्च सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद एवं कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर अरुण जेटली ने कहा कि बेहतर होता कि विपक्ष इस मुद्दे को उठाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लेता।
नयी दिल्ली। कंप्यूटर एवं अन्य संचार उपकरणों को केन्द्रीय एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के आदेश का कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के राज्यसभा में भारी विरोध पर सदन के नेता अरुण जेटली ने स्पष्ट किया कि सरकार ने इस मामले में कुछ भी नया नहीं किया है तथा इन एजेंसियों को संप्रग सरकार के कार्यकाल में ऐसी ही जिम्मेदारी दी गयी थी। जेटली ने कांग्रेस पर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया। जेटली ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर राई के बिना ही पहाड़ बना रही है।
FM Arun Jaitley in Rajya Sabha responds to Congress leader Anand Sharma over MHA order allowing ten agencies to monitor any computer: On 20 December, same order of authorisation was repeated that was existing since 2009. You are making a mountain where a molehill does not exist pic.twitter.com/sTcY3bqGOE
— ANI (@ANI) December 21, 2018
उच्च सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद एवं कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा द्वारा यह मुद्दा उठाये जाने पर अरुण जेटली ने कहा कि बेहतर होता कि विपक्ष इस मुद्दे को उठाने से पहले पूरी जानकारी प्राप्त कर लेता। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष के नेता जो भी विषय उठाते हैं, उसका एक मूल्य होता है, वह काफी मूल्यवान होता है।’’ उन्होंने कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा की इस बात को सिरे से गलत बताया कि इस आदेश के तहत हर कंप्यूटर एवं टेलीफोन की निगरानी की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आज से करीब 100-150 साल पहले एक कानून बना था, टेलीग्राफ अधिनियम। यह कानून पिछली कई सरकारों के कार्यकाल में चलता रहा। जहां जहां राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले आते हैं इस कानून के तहत कुछ एजेंसियों को निगरानी रखने का अधिकार रहा है। इसके लिए एजेंसियां अधिसूचित होती हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच काफी प्रगति हुई। कंप्यूटर आदि आए। आतंकवादी कंप्यूटर आदि के माध्यम से भी काम कर सकते हैं। जेटली ने कहा कि 18 साल पहले आईटी कानून आया। संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जो पाबंदियां लगायी गयी हैं, उन्हें आईटी कानून की धारा 69 में पूरी तरह शामिल कर लिया गया। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा आदि शामिल हैं।
जेटली ने कहा कि जब कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा आदि के साथ खिलवाड़ कर रहा होगा तो इन एजेंसियों को अधिकार दिया गया है वे उस व्यक्ति की निगरानी कर सकती हैं। जेटली ने कहा, ‘‘ आईटी कानून के तहत यह अधिकार एजेंसियों को ठीक वैसे ही दिया गया है जैसे टेलीग्राफ कानून में है। उसके नियम जब आनंद शर्मा जी सरकार में थे तब बनाये गये कि किन एजेंसियों को इसके लिए अधिकृत किया जाए। 2009 में इसके नियम बने। एजेंसियां वही हैं..आईबी, रॉ, डीआरआई आदि।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि निगरानी का काम कोई भी व्यक्ति नहीं कर सकता। किसी भी व्यक्ति या कंप्यूटर की निगरानी नहीं की जा सकती है। यदि आतंकवादी गतिविधि, कानून व्यवस्था, देश की अखंडता से जब जुड़ा मामला हो तो अधिसूचित एजेंसियां संबंधित व्यक्ति के उपकरणों की निगरानी कर सकती हैं।
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वित्त मंत्री ने कहा कि इन एजेंसियों के बारे में वही आदेश बार बार जारी किया जाता है जो 2009 में बना था। उन्होंने कहा कि 20 दिसंबर को भी वही आदेश जारी किया गया। उन्होंने कहा कि इसमें लोगों की निजता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं किया गया है। जेटली ने कहा, ‘श्रीमान् आनंद शर्मा, आप वहां पहाड़ बनाने का प्रयास कर रहे हैं, जहां राई भी नहीं है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। इससे पहले यह मुद्दा उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष आजाद ने कहा कि सरकार ने इस आदेश के माध्यम से देश में अघोषित आपातकाल लगा दिया है। कांग्रेस के उपनेता शर्मा ने कहा कि इस आदेश के माध्यम से लोगों की निजता के मूलभूत अधिकार पर हमला किया गया है। उल्लेखनीय है कि गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक आदेश में खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, रॉ, ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को देश में चलने वाले सभी कंप्यूटरों की निगरानी करने का अधिकार दिया गया है।
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