आ गया समंदर का शहंशाह 'विक्रांत'... आंख दिखाने की कोशिश मत करना ऐ दुश्मनों...

INS Vikrant
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आईएनएस विक्रांत के निर्माण के साथ ही भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे युद्धपोत से ज्यादा तैरता हुआ एयरफील्ड बताया, जो तैरते हुए शहर से कम नहीं। उन्होंने कहा कि इसमें जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है।

भारत का पहला विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इसे देश के सामर्थ्य का प्रतीक बताया। आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत में महिला सैनिकों की भी तैनाती होगी। इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नए भारत की बुलंद पहचान बन रही है।

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उन्होंने कहा कि अब नौसेना ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। जो पाबन्दियां थीं वो अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिए कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिए भी अब कोई दायरे या बंधन नहीं होंगे।

आत्मनिर्भर भारत की बड़ी सफलता

आईएनएस विक्रांत के निर्माण के साथ ही भारत उन देशों के एलीट समूह में शामिल हो गया, जो एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे युद्धपोत से ज्यादा तैरता हुआ एयरफील्ड बताया, जो तैरते हुए शहर से कम नहीं। उन्होंने कहा कि इसमें जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फ़ील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं।

क्यों खास है INS विक्रांत

आईएनएस विक्रांत सिर्फ एक एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं बल्कि दुश्मनों के खात्मे का प्रतीक है, आत्मनिर्भर भारत की पहचान है। आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत के 76 फीसदी से ज्यादा उपकरण भारत में ही बनाए गए हैं। इसे तकरीबन 20 हजार करोड़ रुपए की लगात से तैयार किया गया है। INS विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है। इसी वजह से यह दो फुटबॉल फील्ड से भी बड़ा है। एयरक्राफ्ट कैरियर 28 नॉट्स की अधिकतम रफ्तार के साथ एक बार में 7,500 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है।

आईएनएस विक्रांत की सबसे खास बात यह है कि इसका नामकरण भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर किया गया है। जिसने 1971 में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में निर्णायक भूमिका अदा की थी। इसमें 2400 कंपार्टमेंट्स हैं। इसके अलावा महिला सैनिकों की तैनाती को ध्यान में रखते हुए कैबिन तैयार किए गए हैं।

एयरक्राफ्ट कैरियर अत्याधुनिक उपकरणों और प्रणालियों से लैस है। इसमें चिकित्सा उपकरण सुविधाओं के साथ एक पूर्ण अत्याधुनिक चिकित्सा परिसर है जिसमें ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, आईसीयू, प्रयोगशालाएं, सीटी स्कैनर, एक्स-रे मशीन, समेत इत्यादि सुविधाएं मौजूद हैं। यह स्वदेश निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर (एएलएच) और हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के अलावा मिग-29 के लड़ाकू जेट, कामोव-31 और एमएच-60आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम है।

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दुश्मनों को करेगा नेस्तनाबूत

दुश्मनों से मुकाबले के लिए भी एयरक्राफ्ट कैरियर को सक्षम बनाया गया है। इसमें ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती की जा सकती है। इसके अलावा मिडियम रेंज मिसाइल की भी तैनाती होगी, जो अपने लक्ष्य को भेदने में कारगर है।

PM मोदी ने युद्धपोत का किया निरीक्षण

प्रधानमंत्री मोदी ने युद्धपोत का निरीक्षण किया और फिर देश के पहले स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना को समर्पित किया। इस मौके पर रक्षा मंत्री भी उनके साथ मौजूद रहे। इससे पहले नौसेना ने प्रधानमंत्री मोदी को आईएनएस विक्रांत का प्रतीक चिन्ह भेंट किया।

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