Shaurya Path: Defence Reforms, China-Taiwan, Russia-Ukraine War और Myanmar Situation से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नवंबर महीने में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ट्रंप के तीन करीबी स्रोतों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी थी कि यूक्रेन में संघर्ष विराम की योजनाओं में कीव की नाटो सदस्यता में 20 साल की देरी शामिल है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह भारत में रक्षा क्षेत्र में होने वाले बड़े सुधारों, चीन की ओर से ताइवान को दी गयी धमकी, रूस-यूक्रेन युद्ध और म्यांमार की स्थिति से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है। इस साल रक्षा क्षेत्र में क्या बड़े सुधार किये जाने वाले हैं?

उत्तर- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रक्षा मंत्रालय ने 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है। इस साल रक्षा क्षेत्र में क्या बड़े सुधार किये जाने वाले हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि भारत ने 2025 को रक्षा सुधारों का वर्ष घोषित करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए एकीकृत सैन्य कमान शुरू करना तथा सेना को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध के लिए तैयार बल में बदलना है। उन्होंने कहा है कि रक्षा मंत्रालय ने जिन सुधारों की योजना बनाई है उनका व्यापक उद्देश्य रक्षा अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सरल और समयबद्ध बनाना, प्रमुख हितधारकों के बीच गहन सहयोग सुनिश्चित करना, बाधाओं को दूर करना, अक्षमताओं को समाप्त करना और संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि ये सुधार देश की रक्षा तैयारियों में ‘‘अभूतपूर्व’’ प्रगति की नींव रखेंगे और 21वीं सदी की चुनौतियों के बीच भारत की सुरक्षा एवं संप्रभुता सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि सैन्य कमान को लेकर रक्षा मंत्रालय की यह योजना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे 2025 में सुधार उपायों को लागू करने की योजना का संकेत मिलता है। उन्होंने कहा कि एकीकृत सैन्य कमान मॉडल के तहत सरकार सेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को एकीकृत करना चाहती है तथा युद्ध एवं अभियानों के दौरान उनके संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहती है। उन्होंने कहा कि एकीकृत सैन्य कमान योजना के अनुसार प्रत्येक सैन्य कमान में सेना, नौसेना और वायु सेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए एक इकाई के रूप में काम करेंगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सेना, नौसेना और वायु सेना के अलग अलग कमान हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में वर्ष 2025 को सुधार वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस बैठक के बाद रक्षा मंत्रालय ने कहा कि 2025 में साइबर और अंतरिक्ष जैसे नए क्षेत्रों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ‘मशीन लर्निंग’, ‘हाइपरसोनिक’ और ‘रोबोटिक्स’ जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने कहा है कि सुधार का वर्ष सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा और भविष्य के सुधारों को गति देने के लिए सर्वसम्मति से 2025 को ‘सुधारों के वर्ष’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने बयान में कहा है कि सुधारात्मक उपायों को सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध के लिए तैयार ऐसे बल में बदलने के लिए लागू किया जाएगा, जो बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय के अनुसार, राजनाथ सिंह के नेतृत्व में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इन सुधारों का उद्देश्य एकजुटता और एकीकरण की पहल को और मजबूत करना तथा एकीकृत सैन्य कमान की स्थापना को सुगम बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि भविष्य में संभावित युद्धों को जीतने के लिए आवश्यक रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाएं भी विकसित की जानी चाहिए।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बैठक में अंतर-सेवा सहयोग और प्रशिक्षण के माध्यम से संचालन आवश्यकताओं और संयुक्त संचालन क्षमताओं की साझा समझ विकसित करने का भी आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि बैठक में तीव्र एवं मजबूत क्षमता विकास के लिए अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सरल एवं समयबद्ध तरीके से करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया। उन्होंने कहा कि रक्षा सुधारों का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र और असैन्य क्षेत्र के उद्योगों के बीच प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एवं ज्ञान साझा करने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए कदम उठाना तथा व्यापार को आसान बनाकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि बैठक में रक्षा तंत्र में विभिन्न हितधारकों के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने और विभागों के बीच विभाजन को सीमित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रिपोर्टों के मुताबिक बैठक में कहा गया है कि मंत्रालय को भारत को रक्षा उत्पादों के एक विश्वसनीय निर्यातक के रूप में स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए तथा भारतीय उद्योगों और विदेशी मूल उपकरण निर्माताओं के बीच अनुसंधान एवं विकास और साझेदारी को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बैठक में भारतीय संस्कृति और विचारों के प्रति गौरव की भावना पैदा करने, स्वदेशी क्षमताओं के माध्यम से वैश्विक मानकों को प्राप्त करने में विश्वास को बढ़ावा देने और देश की परिस्थितियों के अनुकूल आधुनिक सेनाओं से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने पर भी जोर दिया गया।

प्रश्न-2. चीन के राष्ट्रपति ने कहा है कि चीन के साथ ताइवान के फिर से एकीकरण को कोई नहीं रोक सकता, इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नव वर्ष पर दिये गए अपने संदेश में कहा है कि चीन के साथ ताइवान के पुन: एकीकरण को कोई कभी नहीं रोक सकता। उन्होंने अर्थव्यवस्था में जारी मंदी को लेकर देश में बढ़ती चिंताओं और अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बीच यह बात कही। उन्होंने कहा कि ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान बीजिंग के खिलाफ दंडात्मक आयात शुल्क और व्यापार उपाय लागू करने की पहले ही धमकी दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि शी ने सरकारी टीवी चैनल पर प्रसारित अपने नए साल-2025 के संबोधन में कहा कि ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों किनारों पर रहने वाले हम चीनी एक ही परिवार के हैं। कोई भी हमारे बीच नातेदारी के बंधन को कभी भी खत्म नहीं कर सकता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन स्व-शासित द्वीप ताइवान को अपनी मुख्य भूमि का हिस्सा होने का दावा करता है और एक अनिवार्य राजनयिक नीति के रूप में ताइवान को अपने हिस्से के रूप में मान्यता देते हुए ‘एक चीन’ की बात करता है। उन्होंने कहा कि अपने तीसरे पंचवर्षीय कार्यकाल के तहत शासन कर रहे शी ने हाल के वर्षों में ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने के प्रयासों को तेज करने के लिए इसे एक प्रमुख सैन्य और राजनयिक पहल बनाया। उन्होंने कहा कि विदेश नीति के मोर्चे पर, शी ने वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा देने और विश्व शांति और स्थिरता कायम रखने में योगदान देने के लिए चीन की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि शी ने कहा कि परिवर्तन और अशांति दोनों की दुनिया में, चीन एक जिम्मेदार प्रमुख देश के रूप में, सक्रिय रूप से वैश्विक शासन सुधार को बढ़ावा दे रहा है और ‘ग्लोबल साउथ’ के बीच एकजुटता और सहयोग को प्रगाढ़ कर रहा है। उन्होंने कहा कि शी के नए साल के संदेश का एक अन्य मुख्य ध्येय चीनी जनता को अर्थव्यवस्था के बारे में आश्वस्त करना था, जो कि कोविड-19 के बाद काफी धीमी हो गई है, जिसके परिणामस्वरूप आकर्षक रियल एस्टेट क्षेत्र धराशायी हो गया है और देश भर में व्यवसायों के बंद होने के कारण लोगों की नौकरी चली गई है। उन्होंने कहा कि शी ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है और यह प्रगति के पथ पर है। उन्होंने कहा कि 2024 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 130 ट्रिलियन-युआन (लगभग 18.08 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) के आंकड़े को पार करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि शी ने अपने संबोधन में कहा कि अनाज उत्पादन 70 करोड़ टन से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि, चीन ई-वाहनों के अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय संघ ने उससे आयात पर भारी शुल्क लगा दिया है। उन्होंने कहा कि हालांकि, शी के लिए मुख्य चुनौती ट्रंप की वापसी से है। चीन के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाने की धमकी देने वाले ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका का राष्ट्रपति पद दोबारा संभालेंगे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने 2018-19 में चीनी आयात पर 380 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का आयात शुल्क लगाकर चीन के खिलाफ व्यापार युद्ध शुरू कर दिया और कहा कि अमेरिका को चीन धोखा दे रहा है। उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन ने भी आयात शुल्क को जारी रखा, जिससे चीन के मुनाफे पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि अपने चुनाव अभियान के दौरान भी ट्रंप ने चीनी आयात पर 60 प्रतिशत से अधिक शुल्क लगाने की धमकी दी, जो पिछले साल 427.2 अरब अमेरिकी डॉलर था। उन्होंने कहा कि चीनी तकनीक कंपनियों पर पाबंदी लगाने सहित ट्रंप द्वारा अपनाई गई कई नीतियों को लेकर चीन-अमेरिका संबंध तनावपूर्ण हो गए। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि ट्रंप ने कोविड-19 महामारी के लिए भी चीन को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि यह वायरस वुहान की एक बायो-लैब से निकला है।

प्रश्न-3. रूस ने यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के संबंध में डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। क्या थे वह प्रस्ताव और क्यों इन्हें खारिज किया गया?

उत्तर- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूस ने यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के संबंध में डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। क्या थे वह प्रस्ताव और क्यों इन्हें खारिज किया गया? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी मीडिया के अनुसार, रूस ने युद्धविराम के बदले कीव की नाटो सदस्यता को स्थगित करके रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप की टीम द्वारा पेश की गई योजना को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि साथ ही ट्रंप की ओर से पद संभालने पर एक दिन के भीतर युद्ध समाप्त करने के वादे ने नाटो सहयोगियों के बीच उन समझौतों के बारे में चिंता पैदा कर दी है जो वह यूक्रेन के लिए करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रंप की टीम द्वारा युद्धविराम के लिए जो प्रस्ताव भेजा गया था उसमें रूस को अपनी शर्तों पर युद्ध की समाप्ति की गारंटी दी गई थी। उन्होंने कहा कि ट्रंप अपनी योजना के बारे में ज्यादा खुलासा शायद इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि यदि उन्होंने अभी सारे प्रस्ताव सार्वजनिक कर दिये तो सत्ता में आने पर वह क्या प्रस्ताव पेश कर पाएंगे।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि नवंबर महीने में वॉल स्ट्रीट जर्नल ने ट्रंप के तीन करीबी स्रोतों का हवाला देते हुए रिपोर्ट दी थी कि यूक्रेन में संघर्ष विराम की योजनाओं में कीव की नाटो सदस्यता में 20 साल की देरी शामिल है। ट्रंप के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने सितंबर में प्रसारित शॉन रयान शो के लिए एक साक्षात्कार में ट्रंप की योजना के संभावित विवरण का खुलासा किया था। वेंस ने कहा था कि रूस और यूक्रेन के बीच सीमांकन की वर्तमान रेखा एक "विसैन्यीकृत क्षेत्र" बन जाएगी, जिसे मजबूत किया जाएगा ताकि रूस फिर से आक्रमण न कर सके। उन्होंने कहा कि रिपोर्टों में बताया गया था कि यह विसैन्यीकृत क्षेत्र लगभग 1,290 किमी (800 मील) तक फैला होगा। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्षेत्र की रक्षा कौन करेगा? उन्होंने कहा कि वेंस ने यह भी सुझाव दिया था कि योजना के तहत, यूक्रेन को अपने कब्जे वाले कुछ क्षेत्रों को रूस को सौंपना होगा, जिसमें लुहान्स्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज़िया के कुछ हिस्से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि रूस ने 2014 के बाद से यूक्रेन के करीब 20 फीसदी इलाके पर कब्जा कर लिया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा, 27 नवंबर को ट्रंप ने सेवानिवृत्त जनरल कीथ केलॉग को रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए अपना विशेष दूत नामित किया था। अप्रैल में, केलॉग ने एक रणनीति पत्र का सह-लेखन किया था जिसमें सुझाव दिया गया कि अमेरिका यूक्रेन को हथियार देना जारी रख सकता है, बशर्ते कि कीव मास्को के साथ शांति वार्ता में भाग लेने के लिए सहमत हो। उन्होंने कहा कि केलॉग के पेपर ने अतिरिक्त रूप से सुझाव दिया कि नाटो यूक्रेन की सदस्यता को रोक सकता है और रूस को शांति वार्ता में भागीदारी के बदले में कुछ प्रतिबंधों से राहत की पेशकश की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा टाइम मैगजीन को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने पिछले महीने रूसी क्षेत्र में मिसाइलें लॉन्च करने के लिए यूक्रेन की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान रखना चाहिए कि 26 दिसंबर को अपनी वार्षिक प्रेस वार्ता में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस विचार को खारिज कर दिया था कि नाटो में यूक्रेन की सदस्यता को स्थगित करना मॉस्को के लिए काफी संतोषजनक होगा। उन्होंने कहा कि पुतिन ने कहा था कि हालांकि उन्हें ट्रंप की योजना के बारे में विशेष जानकारी नहीं है, लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने 2021 में यूक्रेन के नाटो में प्रवेश को 10 से 15 साल के लिए टालने के लिए इसी तरह का सुझाव दिया था।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि फिलहाल तो रूस ने ट्रंप के दो विचारों को पूरी तरह खारिज करते हुए अमेरिका को स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध पर न तो किसी तरह का समझौता किया जायेगा और न ही यूक्रेन में बाहरी देशों की सेना का आना मंजूर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर कब्जे की जंग को और तेज कर दिया है। देखना होगा कि ट्रंप जब 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालेंगे तो स्थितियां क्या नया मोड़ लेती हैं।

प्रश्न-4. म्यांमार में जुंटा के वेस्टर्न कमांड हेडक्वॉर्टर में विद्रोही सैन्य समूह का कब्जा हो गया है। इससे भारत के लिए क्या संभावित खतरे उत्पन्न हो गये हैं?

उत्तर- पश्चिमी म्यांमार में एक शक्तिशाली जातीय सशस्त्र समूह अराकान आर्मी ने रखाइन राज्य में जुंटा के पश्चिमी कमान मुख्यालय पर कब्जा करके महत्वपूर्ण सैन्य जीत हासिल की है। उन्होंने कहा कि पिछले अगस्त में पूर्वोत्तर कमान पर म्यांमार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सेना के कब्जे के बाद, यह पांच महीनों में जातीय विद्रोहियों के कब्जे में आने वाली दूसरी क्षेत्रीय कमान है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि पश्चिमी कमान के पतन से रखाइन राज्य के अधिकांश हिस्से पर अराकान आर्मी का नियंत्रण मजबूत हो गया है, जिससे ग्वा टाउनशिप में केवल एक ही जुंटा का गढ़ बचा है। उन्होंने कहा कि हालात यह हैं कि पड़ोसी मैग्वे क्षेत्र में भी अराकान आर्मी के संभावित आक्रमणों की आशंका जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि गहन लड़ाई और प्रमुख सैन्य नेताओं को पकड़ने वाला यह ऑपरेशन अराकान आर्मी के बढ़ते रणनीतिक प्रभुत्व और परिचालन क्षमता को रेखांकित करता है। उन्होंने का कि अपने तात्कालिक सैन्य निहितार्थों से परे, यह जीत जुंटा के मनोबल और नियंत्रण को एक गंभीर झटका देती है, राज्य की राजधानी को अलग-थलग कर देती है तथा महत्वपूर्ण चीन और भारत समर्थित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं तक पहुंच को जटिल बना देती है। उन्होंने कहा कि स्थितियां दर्शा रही हैं कि अराकान आर्मी एक अग्रणी खिलाड़ी बन चुका है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारतीय सीमाओं को अराकान आर्मी से खतरे की बात है तो हमारे सुरक्षा बल पूरी तरह मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी हर तरह के प्रयास विफल किये गये हैं और आगे भी किसी भी संभावित हमले या घुसपैठ को विफल करने के लिए हमारे सुरक्षा बल सतर्क हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर हमें बांग्लादेश के हालात को देखते हुए वहां से होने वाली घुसपैठ रोकनी है तो दूसरी ओर म्यांमार से होने वाली घुसपैठ रोकने की भी बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि सीमा पर हमारे कई गांव म्यांमार के एकदम निकट हैं इसलिए हमारे बल काफी सतर्कता बरत रहे हैं ताकि म्यांमार क्षेत्र में होने वाला आपसी संघर्ष कहीं हमें कोई नुकसान नहीं पहुँचाए।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत को सर्वाधिक खतरा चिन नेशनल आर्मी से है क्योंकि यह भारत विरोधी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कई मिजो ग्रुप भी खतरा पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन्हीं लोगों का हाथ मणिपुर में अशांति पैदा करने में भी है इसलिए भारत सीमाओं पर हर हरकत पर नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा कि हमारे लिये चुनौतियां कई हैं इसलिए पाकिस्तान, चीन, म्यांमार और बांग्लादेश सीमाओं पर कड़ी चौकसी बरती जा रही है।

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