Shaurya Path: Red Sea, Israel-Hamas, Russia-Ukraine, China-US, Jaishankar Nepal Visit से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

brigadier ds tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूती विद्रोही कौन हैं? तो इसका जवाब यह है कि हूतिये यमन के शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक, ज़ैदीस के एक उप-संप्रदाय का एक सशस्त्र समूह है। वे अपना नाम आंदोलन के संस्थापक हुसैन अल हौथी से लेते हैं।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह लाल सागर में हूतियों के बढ़ते हमलों, इजराइल-हमास संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात, अमेरिका और चीन के रिश्तों और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की नेपाल यात्रा से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ बातचीत की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार- 

प्रश्न-1. लाल सागर में हूतियों के बढ़ते हमलों से दुनिया परेशान है। इस समस्या का कारण और निवारण क्या है?

उत्तर- हूतियों के हमले 7 अक्टूबर को इजराइल-हमास युद्ध शुरू होने के बाद शुरू हुए। उन्होंने कहा कि हूतियों ने हमास के लिए अपना समर्थन घोषित किया और कहा कि वे इज़राइल जाने वाले किसी भी जहाज को निशाना बनाएंगे। उन्होंने कहा कि नवंबर में उन्होंने एक इज़रायली मालवाहक जहाज़ को ज़ब्त कर लिया था तब से उन्होंने ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों से कई वाणिज्यिक जहाजों पर हमला किया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हूतियों के हमलों के जवाब में, अमेरिका ने जहाजों की सुरक्षा के लिए एक अंतरराष्ट्रीय नौसैनिक अभियान शुरू किया है। इसमें यूके, कनाडा, फ्रांस, बहरीन, नॉर्वे और स्पेन सहित कई देश शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी, मेर्स्क, हापाग-लॉयड और तेल कंपनी बीपी सहित प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने कहा है कि वे जहाजों को लाल सागर से दूर ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन ने ईरान पर लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों के खिलाफ अभियान की योजना बनाने में "गहराई से शामिल" होने का आरोप लगाया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूती विद्रोही कौन हैं? तो इसका जवाब यह है कि हूतिये यमन के शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक, ज़ैदीस के एक उप-संप्रदाय का एक सशस्त्र समूह है। वे अपना नाम आंदोलन के संस्थापक हुसैन अल हौथी से लेते हैं। इस समूह का गठन 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह के भ्रष्टाचार से निपटने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब की सेना द्वारा समर्थित राष्ट्रपति सालेह ने 2003 में हूती विद्रोहियों को खत्म करने की कोशिश की थी लेकिन हूतियों ने उन दोनों को खदेड़ दिया था। उन्होंने कहा कि हूती विद्रोही 2014 से यमन सरकार के खिलाफ गृह युद्ध लड़ रहे हैं। यमन सरकार को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व वाले अरब देशों के गठबंधन द्वारा हूतियों के खिलाफ समर्थन दिया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2022 की शुरुआत तक, यमन युद्ध में अनुमानित 377,000 मौतें हुईं और चार मिलियन लोग विस्थापित हुए। उन्होंने कहा कि हूती खुद को हमास और हिजबुल्लाह के समकक्ष मानते हैं और इजरायल, अमेरिका और व्यापक पश्चिम के खिलाफ ईरानी नेतृत्व वाली "प्रतिरोध की धुरी" का हिस्सा घोषित कर चुके हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूती विद्रोहियों का समर्थन कौन करता है? तो इसका जवाब यह है कि हूती विद्रोही खुद को लेबनान के शिया सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह की तर्ज पर बना हुआ संगठन बताते हैं। अमेरिकी अनुसंधान संस्थान, कॉम्बेटिंग टेररिज्म सेंटर के अनुसार, हिजबुल्लाह उन्हें 2014 से व्यापक सैन्य विशेषज्ञता और प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। हूती विद्रोही ईरान को भी सहयोगी मानते हैं, क्योंकि सऊदी अरब उनका साझा दुश्मन है। उन्होंने कहा कि ईरान पर हूती विद्रोहियों को हथियार मुहैया कराने का संदेह है और अमेरिका का कहना है कि जहाजों को निशाना बनाने में उन्हें सक्षम बनाने के लिए ईरान की ओर से खुफिया जानकारी दी जाती है। हालांकि ईरान लाल सागर में हूतियों के हमलों में शामिल होने से इंकार करता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिका और सऊदी अरब का कहना है कि ईरान ने उन बैलिस्टिक मिसाइलों की आपूर्ति की थी जिन्हें हूतियों ने 2017 में सऊदी राजधानी रियाद पर दागा था, लेकिन उन्हें मार गिराया गया था। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब ने ईरान पर क्रूज़ मिसाइलों और ड्रोनों की आपूर्ति के लिए भी आरोप लगाया था जिनका इस्तेमाल हूतियों ने 2019 में सऊदी तेल प्रतिष्ठानों पर हमला करने के लिए किया था। उन्होंने कहा कि हूतियों ने सऊदी अरब में कम दूरी की दस हजार मिसाइलें दागी हैं और संयुक्त अरब अमीरात में भी ठिकानों पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से उन्होंने इज़राइल की ओर बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन भी दागे हैं। उन्होंने कहा कि इन हथियारों की आपूर्ति संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध का उल्लंघन है इसलिए ईरान ने ऐसा करने से हमेशा इंकार किया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक यह सवाल है कि हूतियों का यमन के कितने भाग पर नियंत्रण है? तो इसका जवाब यह है कि यमन की अधिकांश आबादी हूती आंदोलन के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहती है। उन्होंने कहा कि यमन की आधिकारिक सरकार राष्ट्रपति नेतृत्व परिषद है, जिसे राष्ट्रपति अब्दरब्बुह मंसूर हादी ने अपनी शक्तियां हस्तांतरित कर दी थीं। हालाँकि, 2015 में हादी के वहाँ से भाग जाने के बाद सरकार सऊदी की राजधानी रियाद में स्थित है। उन्होंने कहा कि यमन की अधिकांश आबादी हूती नियंत्रण वाले क्षेत्रों में रहती है। सना और यमन के उत्तर के साथ-साथ हूती विद्रोहियों का लाल सागर तट पर नियंत्रण है। उन्होंने कहा कि यह समूह कर एकत्र करता है और पैसा भी छापता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा था कि 2010 तक हूतियों के 100,000 से 120,000 अनुयायी थे। उन्होंने कहा कि यह एक साधन संपन्न सशस्त्र संगठन है इसलिए इसके हमलावर कभी हेलिकॉप्टर से हमला करते हैं तो कभी ड्रोन से। उन्होंने कहा कि इन्होंने दो भारतीय जहाजों को भी निशाना बनाया था लेकिन वह हमला विफल रहा। इसके बाद से भारतीय नौसेना ने भी गश्ती बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि इन विद्रोहियों पर लगाम लगानी होगी क्योंकि यदि लाल सागर का दूसरा विकल्प ढूँढ़ा गया तो परिवहन भाड़ा बढ़ेगा जिससे महंगाई बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सभी देशों को मिलकर इन विद्रोहियों को ऐसा सबक सिखाना चाहिए जिससे दोबारा सर उठाने की इनकी हिम्मत नहीं पड़े।

प्रश्न-2. इजराइल-हमास संघर्ष के ताजा हालात क्या हैं? क्या जिस तरह हमास के आतंकियों का सफाया हो रहा है उसको देखते हुए संघर्षविराम की कोई उम्मीद आपको नजर आती है?

उत्तर- इजराइल जिस तरह हमास को खत्म करने के जुनून में गाजा में मानवता के खिलाफ काम कर रहा है उसको देखते हुए पूरी दुनिया में उसके प्रति नाराजगी बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इजराइल के समर्थन में जो देश शुरू में खड़े भी थे अब उनके सुर भी धीमे पड़ गये हैं क्योंकि जिस तरह गाजा में जानमाल की बर्बादी हो रही है वह एक बड़ी त्रासदी है। उन्होंने कहा कि हमास के बड़े कमांडरों को जिस तरह लगातार खत्म किया जा रहा है उससे ईरान भी अपनी रणनीति बदल रहा है।

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi Exclusive: Russia-Ukraine War के दो साल पूरे होने को आये, Putin ने बमबारी तेज करके Zelensky के होश उड़ाये

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने जो घोषणा की है वह दर्शा रही है कि संघर्षविराम की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि इजराइल के रक्षा मंत्री ने युद्ध के अगले चरण के लिए अपनी योजनाओं और भविष्य की व्यवस्था के बारे में अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया है जिसके तहत संपूर्ण इजरायली सुरक्षा नियंत्रण के तहत उस क्षेत्र पर शासन चलाया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह एक तरह से गाजा पर कब्जा करने के समान है जबकि अमेरिका भी कह चुका है कि गाजा फिलस्तीन का भाग है। उन्होंने कहा कि यह घोषणा तब हुई जब इज़राइल ने बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद हजारों आरक्षित सैनिकों को लौटने की अनुमति दी और गाजा में अपनी सेना को हटाना जारी रखा।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा मंत्री गैलेंट के कार्यालय ने एक बयान में कहा, "गाजा पट्टी के उत्तरी क्षेत्र में हम युद्ध दृष्टिकोण में बदलाव करेंगे।" उन्होंने कहा कि इस बयान ने युद्ध के अगले चरणों के लिए गैलेंट के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करने वाले मार्गदर्शक सिद्धांतों को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन में छापेमारी, सुरंगों को ध्वस्त करना, हवाई और जमीनी हमले और विशेष बलों के ऑपरेशन शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि घिरे हुए इलाके के दक्षिण में जहां गाजा की 2.3 मिलियन आबादी का अधिकांश हिस्सा अब रह रहा है, वहां लोग तंबू और अन्य अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं, वहां भी हमास नेताओं को खत्म करने और इजरायली बंधकों को बचाने के लिए ऑपरेशन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि इजराइली रक्षा मंत्री के कार्यालय से जारी बयान में साफ कहा गया है कि अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक जरूरी समझा जाएगा, इससे आप समझ सकते हैं कि संघर्षविराम की कोई संभावना नहीं है।

प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात क्या हैं? यहां हम यह भी जानना चाहते हैं कि हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस की यात्रा पर होकर आये और अब उन्हें यूक्रेन के विदेश मंत्री का भी फोन आया। क्या इस युद्ध को समाप्त करवाने या थमवाने के लिए भारत कोई प्रयास कर रहा है?

उत्तर- रूस-यूक्रेन युद्ध में एक नया मोड़ आ गया है क्योंकि ऐसा लगता है कि रूस ने बहुत-से हथियार जुटा लिये हैं तभी वह यूक्रेन पर लगातार हमले किये जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में व्हाइट हाउस ने कहा है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने के लिए उत्तर कोरियाई बैलिस्टिक मिसाइलों और मिसाइल लॉन्चरों का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी का यह कहना चौंकाता है कि पिछले सप्ताह के भीतर यूक्रेन पर दो हमलों में रूस द्वारा लगभग 900 किमी (550 मील) की दूरी वाली मिसाइलें दागी गईं। ब्रिटेन ने भी कहा कि वह रूस द्वारा उत्तर कोरियाई मिसाइलों के इस्तेमाल की "कड़ी निंदा" करता है और इसे "विश्व मंच पर [रूस] के अलग-थलग होने का लक्षण और उसकी हताशा का संकेत" मानता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से खबर दी है कि रूस ईरान से कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें खरीदने की भी योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा कदम है जो यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने की मास्को की क्षमता को बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यूक्रेनी वायु सेना के कमांडर मायकोला ओलेशचुक ने कहा है कि यूक्रेन ने गुरुवार को रूस के कब्जे वाले क्रीमिया में येवपटोरिया के पास एक रूसी सैन्य इकाई पर हमला किया। वहीं रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि उसकी सेना ने प्रायद्वीप पर यूक्रेनी मिसाइलों को मार गिराया।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा यूक्रेन की सैन्य खुफिया एजेंसी ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें कहा गया है कि रूस के अंदर एक एयरबेस पर एक रूसी Su-34 फाइटर जेट को आग लगाते हुए दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी भी खबरें हैं कि यूक्रेन के अभियोजक जनरल एंड्री कोस्टिन ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत के साथ मिलकर खार्किव क्षेत्र में नागरिक बुनियादी ढांचे पर रूस के हमलों के स्थलों का दौरा किया है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा पिछले हफ्ते एक रूसी मिसाइल हमले में कीव में 32 लोग मारे गए। इस बारे में अधिकारियों ने कहा है कि युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेनी राजधानी पर सबसे घातक हमले में मरने वालों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मध्य यूक्रेन के क्रोपिव्नित्सकी पर रूसी मिसाइल हमले में एक नागरिक की मौत हो गई और आठ घायल हो गए। उन्होंने कहा कि इस हमले से ऊर्जा कंपनी की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं और बिजली और पानी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह भी खबर है कि भारी रूसी हवाई हमलों की हालिया कार्रवाई के बाद, नाटो प्रमुख जेन्स स्टोलटेनबर्ग 10 जनवरी को नाटो राजनयिकों और अधिकारियों की एक बैठक बुलाएंगे। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि बैठक में यूक्रेन को और मदद दिये जाने का आह्वान किया जायेगा क्योंकि इस युद्ध का पलड़ा अब रूस की ओर झुकता दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि एक और बड़ी खबर यह है कि व्लादिमीर पुतिन ने एक आदेश जारी कर यूक्रेन में रूस के लिए लड़ने वाले विदेशी नागरिकों और उनके परिवारों को रूसी नागरिकता प्राप्त करने की अनुमति दे दी है।

प्रश्न-4. पिछले दिनों चीनी राष्ट्रपति का अमेरिका दौरा हुआ। अब चीन-अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर दोनों देशों के राष्ट्रपतियों ने एक-दूसरे को बधाई देते हुए अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई है। क्या आपको लगता है कि अमेरिका और चीन के संबंध अब सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं?

उत्तर- इसमें कोई दो राय नहीं कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस सप्ताह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आश्वासन दिया कि वह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का पूरी जिम्मेदारी के साथ प्रबंधन करने और उन्हें आगे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। शी जिनपिंग और जो बाइडन ने सोमवार को चीन-अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों की 45वीं वर्षगांठ के अवसर पर एक-दूसरे को बधाई दी। दोनों राष्ट्रपतियों ने सेन फ्रांसिस्को में एपीईसी शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की थी और दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते तनाव को कम करने पर सहमति जताई थी। बाइडन ने इस अवसर पर चिनफिंग को भेजे अपने संदेश में कहा कि 1979 में राजनयिक संबंधों की शुरुआत के बाद से अमेरिका और चीन के बीच संबंधों ने दोनों देशों तथा दुनिया के लिए समृद्धि और अवसरों को सुविधाजनक बनाया है। उन्होंने कहा कि चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक बाइडन ने कहा कि वह दोनों देशों के इस महत्वपूर्ण रिश्ते को जिम्मेदारी से प्रबंधित करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने की दिशा में वह दोनों नेताओं के पूर्ववर्तियों द्वारा की गई प्रगति और दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच कई बैठकों और चर्चाओं के आधार पर अमेरिका-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। इस दौरान शी ने अमेरिका से नवंबर में अपने शिखर सम्मेलन के परिणामों को ‘‘ईमानदारी से लागू’’ करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि शी ने अपने संदेश में कहा कि चीन और अमेरिका के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में एक अहम घटना है। उन्होंने कहा कि शिन्हुआ के मुताबिक शी ने कहा कि पिछले 45 वर्षों में चीन-अमेरिका संबंध उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं और समग्र रूप से आगे बढ़े हैं, जिससे न केवल दोनों देशों के लोगों को लाभ पहुंचा है, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि को भी बढ़ावा मिला है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि शिखर सम्मेलन के दौरान शी और बाइडन उच्च-स्तरीय सैन्य संचार को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए, जो 2022 में अमेरिकी संसद की तत्कालीन स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे के बाद लगभग टूट गया था। चीन, ताइवान को अपना हिस्सा होने का दावा करता है। दोनों देशों में बढ़ी तल्खी के बीच शी और बाइडन के बीच लगभग एक साल बाद आमने-सामने की बैठक हुई थी। उन्होंने कहा कि पिछले साल फरवरी में जब अमेरिका ने चीन पर उसके हवाई क्षेत्र में जासूसी गुब्बारा भेजने का आरोप लगाया, तो संबंधों में तल्खी और बढ़ गई थी।

प्रश्न-5. विदेश मंत्री एस. जयशंकर के नेपाल दौरे को आप कैसे देखते हैं? 

उत्तर- विदेश मंत्री जयशंकर का नेपाल दौरा काफी सार्थक रहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की तथा इस दौरान दोनों पक्षों ने सदियों पुराने, विशिष्ट तथा बहुआयामी नेपाल-भारत संबंधों पर व्यापक चर्चा की। इस साल अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत सुबह नेपाल पहुंचे जयशंकर ने प्रधानमंत्री प्रचंड से उनके कार्यालय सिंहदरबार में मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामना प्रेषित की। उन्होंने कहा कि बैठक के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री प्रचंड से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कीं। जून 2023 में हुई उनकी सफल भारत यात्रा का स्मरण किया जिसने हमारे संबंधों को नयी गति प्रदान की है।’’ उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल संबंध वास्तव में विशिष्ट हैं और हमारी साझेदारी क्रमिक रूप से सफलता की ओर बढ़ रही है। वहीं प्रचंड ने कहा कि बैठक में दोनों नेताओं ने सदियों पुराने, विशिष्ट और बहुआयामी नेपाल-भारत संबंधों पर व्यापक रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया। इसके अलावा जयशंकर ने पूर्व प्रधानमंत्रियों शेर बहादुर देउबा, केपी शर्मा ओली और माधव कुमार नेपाल से भी अलग-अलग मुलाकात की।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जयशंकर ने नेपाल क्रिकेट टीम के सदस्यों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत पिछले साल आए भूकंप से प्रभावित नेपाल के पश्चिमी जिले में बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए 7.5 करोड़ डॉलर का वित्तीय पैकेज देगा। जयशंकर ने यह टिप्पणियां काठमांडू में नेपाल के अपने समकक्ष एनपी सौद के साथ त्रिुभवन विश्वविद्यालय केंद्रीय पुस्तकालय और अन्य पुनर्निर्माण परियोजनाओं का संयुक्त रूप से उद्घाटन करने के दौरान कीं। ये परियोजनाएं नेपाल में 2015 में आए भूकंप के बाद शुरू की गयी थीं। जयशंकर ने कहा, ‘‘हम नेपाल के लोगों के साथ खड़े हैं और इस पर नेपाल सरकार के प्रयासों में मदद करते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान शिव के दर्शन किए और दोनों देशों के लोगों की कुशलक्षेम तथा भारत-नेपाल संबंधों के लिए प्रार्थना की।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़