Prabhasakshi NewsRoom: पहले Beijing में Vasant Mela, फिर दोनों देशों के बीच अहम मुद्दों पर वार्ता, अब जयशंकर का बयान, तेजी से करीब आ रहे हैं India-China

S. Jaishankar
ANI

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत और चीन 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों से तनाव के बाद संबंधों को फिर से स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि तनावपूर्ण संबंध किसी भी पक्ष के लिए फायदेमंद नहीं होंगे।

भारत और चीन के संबंध तेजी से मधुर होते जा रहे हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के साथ संबंधों के महत्व और उसमें आ रही गर्मजोशी को लेकर एक बयान दिया था और अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि दोनों देश अपने संबंधों को फिर से सुधारने के प्रयास कर रहे हैं। इस बीच, भारत और चीन ने बीजिंग में हुई एक बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की और यह वार्ता सकारात्मक रही। यही नहीं, हाल ही में बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास में जो वसंत मेला लगाया गया था उसमें भी चीनी अधिकारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। उम्मीद है कि अपने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ मनाने जा रहे भारत और चीन के संबंध इसी तरह बेहतरी की राह पर आगे बढ़ते रहेंगे।

विदेश मंत्री का बयान

जहां तक विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा है कि भारत और चीन 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़पों से तनाव के बाद संबंधों को फिर से स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि तनावपूर्ण संबंध किसी भी पक्ष के लिए फायदेमंद नहीं होंगे। प्रमुख ‘‘थिंक-टैंक’’ एशिया सोसाइटी द्वारा आयोजित एक संवाद सत्र में जयशंकर ने कहा कि निकट भविष्य में भी भारत और चीन के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें विवाद नहीं बनना चाहिए। गलवान घाटी में हुई झड़पों का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में जो कुछ हुआ, वह ‘‘वास्तव में रिश्ते के लिए बहुत अफसोसजनक था। एशिया सोसाइटी के अध्यक्ष और सीईओ तथा दक्षिण कोरिया के पूर्व विदेश मंत्री क्यूंग-व्हा कांग द्वारा संचालित सत्र में उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल टकराव नहीं था, यह लिखित समझौतों की अवहेलना थी...जिन शर्तों पर सहमति बनी थी, उनसे काफी दूर चले गए।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘हम अभी भी इसके कुछ हिस्सों से निपट रहे हैं, ऐसा नहीं है कि यह मुद्दा पूरी तरह से खत्म हो गया है।’’ उन्होंने कहा कि पिछले साल अक्टूबर से भारत-चीन संबंधों में कुछ सुधार हुआ है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हम इसके विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे हैं। मैं अपने (चीनी) समकक्ष से कई बार मिल चुका हूं, मेरे अन्य वरिष्ठ सहयोगी भी उनसे मिल चुके हैं।’’ 

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भारत-चीन वार्ता

जहां तक भारत और चीन के बीच हुई वार्ता की बात है तो आपको बता दें कि भारत और चीन ने सीधी उड़ानें और इस वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने की व्यवस्था समेत भावी संबंधों को बेहतर बनाने के तरीकों पर बुधवार को विचार किया और लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए प्रयास शुरू करने पर सहमति व्यक्त की। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक बीजिंग में हुई बैठक में दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के हित और चिंता के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर गौर करने और रिश्तों को अधिक स्थिर और बेहतरी के रास्ते पर ले जाने के लिए ‘‘चरण-दर-चरण’’ तरीके से वार्ता तंत्र को बहाल करने पर भी चर्चा की। 

हम आपको बता दें कि यह बैठक विदेश मंत्रालय के पूर्वी एशिया प्रभाग के संयुक्त सचिव गौरांगलाल दास और चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक लियू जिनसोंग के बीच हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस वर्ष कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर भी प्रगति की है। इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत और चीन के नेताओं की बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुए विकास पर सकारात्मक रूप से गौर किया। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस बीच विदेश मंत्रियों की दो बार बैठक हो चुकी है, जबकि भारत-चीन सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक हो चुकी है।’’ बयान में कहा गया, ‘‘इन उच्चस्तरीय बैठकों ने संबंधों को स्थिर करने तथा आगे विकसित करने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया है।’’ दास और लियू के बीच बुधवार की वार्ता, भारत और चीन के बीच बीजिंग में परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत राजनयिक वार्ता के एक दिन बाद हुई। दास ने डब्ल्यूएमसीसी बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ''बैठक में दोनों पक्षों ने रणनीतिक दिशा को लागू करने के लिए की गई कार्रवाई की समीक्षा की तथा जनवरी में विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री के बीच हुई बैठक में संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण के लिए सहमत हुए विशिष्ट कदमों की भी समीक्षा की।’’ इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने लोगों के बीच आदान-प्रदान को और अधिक सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने, मीडिया और ‘थिंक-टैंक’ के बीच बातचीत और राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाने की व्यवस्था शामिल है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर प्रगति की है।’’ बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों ने इस वर्ष नियोजित आदान-प्रदान और गतिविधियों का जायजा लिया।

भारत के वसंत मेले में झूम उठा चीन

हम आपको यह भी बता दें कि चीन की राजधानी बीजिंग में राजनयिक परिसर गत शनिवार को तीसरे वसंत मेले में 4000 से अधिक चीनियों के पहुंचने के साथ ही जीवंत हो उठा। यह चीन-भारत संबंधों में एक ‘‘नई शुरुआत’’ का संकेत है क्योंकि दोनों देश चार साल के तनाव को दूर करते हुए रिश्ते को सामान्य बनाने में जुटे हैं। भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इस मेले में भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य नजर आया। उसमें विभिन्न भारतीय नृत्य प्रस्तुत किए गए और भारतीय लजीज व्यंजन भी उपलब्ध थे। विभिन्न प्रकार के भारतीय नृत्य प्रस्तुत करने वालों में अधिकतर चीनी उत्साही लोग थे जो विविध भारतीय कलाओं में प्रशिक्षित थे। इस वर्ष मेले में भारत-चीन सौहार्द की झलक देखने को मिली। चीनी विदेश मंत्रालय अधिकारी लियू जिनसोंग ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। लियू और वहां उपस्थित विशाल चीनी जनसमूह का स्वागत करते हुए चीन में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने कहा था कि वसंत ऋतु “नयी शुरुआत, संबंधों को मजबूत करने और भारत के सार को अनुभव करने का अवसर” है। हम आपको बता दें कि इस वर्ष मेला भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध पर चार साल से संबंधों में चल रहे खटास को समाप्त करने की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया है। कार्यक्रम में राजदूत प्रदीप कुमार रावत ने अपनी पत्नी श्रुति रावत, उपराजदूत अभिषेक शुक्ला और वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों के साथ आगंतुकों का अभिवादन किया और उनसे बातचीत की।

याद रहे

हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछले साल अक्टूबर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक से इस खटास को दूर करने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस बैठक के बाद विभिन्न स्तरों पर उच्च स्तरीय वार्ता हुई, जिससे दोनों विशाल पड़ोसियों के बीच बिगड़े संबंधों में नई शुरुआत शुरू हुई।

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