असम में मेलमोरा जिले में ग्रामीण पर्यटन उपक्रमों में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं

Assam Women
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यह असम के किसी भी ग्रामीण परिवार का दृश्य हो सकता है, सिवाय इसके कि ये महिलाएं गोलाघाट जिले के एक आंतरिक हिस्से में बसे एक पर्यटन स्थल पर गतिविधियों में व्यस्त हैं।

असम जिले के मेलमोड़ा के एक अनूठे गांव में प्रणिता सब्जियां छीलने और काटने में व्यस्त हैं, जबकि एक अन्य महिला पास के तालाब में नाव साफ कर रही है और दो अन्य प्रवेश द्वार पर बैठकर आपस में बातें कर रही हैं। यह असम के किसी भी ग्रामीण परिवार का दृश्य हो सकता है, सिवाय इसके कि ये महिलाएं गोलाघाट जिले के एक आंतरिक हिस्से में बसे एक पर्यटन स्थल पर गतिविधियों में व्यस्त हैं। प्रणिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम 20 महिलाओं का एक समूह हैं, जो यहां मेलमोड़ा में स्थित एक पर्यटन पार्क की देखभाल करती हैं।

हम सभी सुबह परिसर को साफ करने के लिए इकट्ठा होती हैं और बाकी समय, बारी-बारी से आगंतुकों की जरूरतों का ध्यान रखने के मकसद से छह के समूहों में विभाजित हो जाती हैं।’’ उन्होंने बताया कि खुमताई के विधायक मृणाल सैकिया द्वारा बंजर सरकारी भूमि के एक भूखंड पर पार्क का निर्माण किया गया है, जिसका संचालन अब गांव की महिलाओं को सुपुर्द कर दिया गया है। प्रणिता ने कहा, ‘‘कुल कमाई में से दो-तिहाई महिलाओं में बांट दी जाती है और एक-तिहाई इसके रखरखाव के लिए रखी जाती है।

अच्छी खासी संख्या में लोग आ रहे हैं, विशेष रूप से सर्दियों में। कठिन काम में स्थानीय पुरुष भी हमारी मदद करते हैं।’’ लोगों के आराम करने के लिए शांत स्थानों के अलावा, इसमें एक बच्चों का खंड, नौका विहार की सुविधा और एक भोजनालय है। खुमताई में ग्रामीण पर्यटन उपक्रमों से सक्रिय रूप से जुड़े एक स्थानीय व्यक्ति प्रद्युत खौंड ने बताया कि दो और ऐसे स्थान हैं, जिन्हें विधायक की पहल पर विकसित किया गया है और वे अब आसपास में रहने वाले परिवारों के लिए जीविका के साधन बन गए हैं।

उन्होंने बताया, ‘‘जोगीबील में एक उद्यान है, जो गोलाघाट शहर के करीब है। दूसरा पार्क मिसामोरा मुदोई गांव क्षेत्र में है। जोगीबील अपने प्रवासी पक्षियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसका रखरखाव अब उचित तरीके से किया गया है।’’ मेलमोरा पार्क के पास एक ‘‘चंग घोर’’ (स्टिल्ट हाउस) है, जिसे इसके मालिक ने ‘‘मेलुहा’’ नाम दिया है, यह भी पर्यटकों के प्रमुख आकर्षण के केंद्रों में शामिल है। खौंड ने बताया कि जिज्ञासु दर्शक घर को देखने आते हैं, जो दुनिया भर की कलाकृतियों से सजा है और विभिन्न प्रजातियों के पौधों और पेड़ों से घिरा हुआ है।

इन ग्रामीण पर्यटन पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सैकिया ने कहा, ‘‘हम इन उपक्रमों को चलाने में स्थानीय समुदाय को शामिल करना चाहते थे। यह स्थानों का बेहतर रखरखाव सुनिश्चित करता है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने इन उपक्रमों के लिए महिलाओं और युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा है। महिलाओं ने स्वयं संसाधनों को एकत्र किया और यह देखने गईं कि मेघालय में ऐसे पर्यटन स्थलों का रखरखाव कैसे किया जाता है। बाद में हमने युवाओं के लिए ऐसी यात्रा का आयोजन किया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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