उर्दू पत्रकारिता में शोध के लिए IIMC और MANUU करेंगे मिलकर प्रयास: प्रो. संजय द्विवेदी
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि यह समझौता दक्षिण और उत्तर का मिलन है। अब हम मिलकर एक-दूसरे की विशेषताओं को साझा करेंगे और संकल्पों को साथ मिलकर पूरा करेंगे। हिंदुस्तानी जब मिलकर काम करते हैं, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं। हमें सुनिश्चित करना होगा कि यह समझौता पत्र महज कागजों तक ही सीमित न रहे।
नई दिल्ली। भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) और हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) के बीच गुरुवार को ज्ञान, संसाधन और अनुसंधान गतिविधियों को साझा करने के लिए समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए। एमओयू पर आईआईएमसी की ओर से महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी और एमएएनयूयू की ओर से कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता तीन वर्ष के लिए किया गया है। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि यह समझौता दक्षिण और उत्तर का मिलन है। अब हम मिलकर एक-दूसरे की विशेषताओं को साझा करेंगे और संकल्पों को साथ मिलकर पूरा करेंगे। हिंदुस्तानी जब मिलकर काम करते हैं, तो किसी भी लक्ष्य को हासिल कर लेते हैं। हमें सुनिश्चित करना होगा कि यह समझौता पत्र महज कागजों तक ही सीमित न रहे।
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प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आज भारतीय भाषाओं का स्वर्णिम काल है। उर्दू भाषा के अखबार देश में भर में पढ़े जाते हैं, लेकिन प्रिंट से डिजिटल की ओर हो रहे बदलाव ने उर्दू जैसी भाषाओं को अपनी पहुंच को और ज्यादा व्यापक बनाने का सुनहरा अवसर दिया है। अनुवाद भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उर्दू के जिन शायरों की रचनाओं का अनुवाद हिंदी में हुआ, वे बहुत लोकप्रिय हुए हैं। उन्होंने कहा कि जैसे हिंदी ने उर्दू के लिए अपने दरवाजे खोले हैं, वैसी ही उदारता उर्दू को भी दिखाने की जरुरत है।
प्रो. द्विवेदी ने बताया कि एमओयू का उद्देश्य आईआईएमसी और एमएएनयूयू के बीच संकाय, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों का आदान-प्रदान करना, शोध परियोजनाओं का संयुक्त कार्यान्वयन, दस्तावेज़ों, वैज्ञानिक जानकारी और प्रकाशनों का आदान-प्रदान करना, सम्मेलनों, संगोष्ठियों, कार्यशालाओं और बैठकों के माध्यम से संवाद करना, अध्ययन के संयुक्त कार्यक्रम तैयार करना और उर्दू पत्रकारिता के विद्यार्थियों को स्नात्तकोत्तर की पढ़ाई में सहायता प्रदान करना है।
उन्होंने कहा कि एमओयू को कार्यान्वित करने के लिए आईआईएमसी के ‘अपर महानिदेशक’ और एमएएनयूयू के कुलसचिव/ओएसडी (प्रशासन) को संपर्क अधिकारी बनाया गया है। प्रत्येक पक्षकार अपने संबंधित विधानों और विनियमों के अनुसार, दूसरे पक्षकार के संकाय, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को सहायता और प्रोत्साहन प्रदान करना सुनिश्चित करेगा।
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इस अवसर पर मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने कहा कि आज सरकार भी शिक्षा में ‘क्लस्टर सिस्टम’ की बात कर रही है। दो शैक्षणिक संस्थान मिलकर शैक्षणिक कार्यक्रम चला सकते हैं तथा विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान कर सकते हैं। ऐसे में आईआईएमसी और एमएएनयूयू को मिलकर इस दिशा में प्रयास करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि वह आईआईएमसी को यकीन दिलाना चाहते हैं कि इसमें एमएएनयूयू पीछे नहीं रहेगा और इस दिशा में बढ़-चढ़ कर प्रयास करेगा। समझौता पत्र पर हस्ताक्षर के दौरान आईआईएमसी के डीन अकादमिक प्रो. गोविंद सिंह, उर्दू पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार, एमएएनयूयू की ओर से रजिस्ट्रार प्रो. इश्तियाक अहमद, स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन के डीन प्रो. एहतेशाम अहमद खान और दिल्ली क्षेत्रीय केंद्र की प्रमुख रुचिका केम भी उपस्थित थे।
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