हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ? पाकिस्तान और चीन के नापाक मंसूबों से संतरी की तरह करता है भारत की रक्षा

देश के जो पर्वत होते हैं वह हमेशा देश की रक्षा करते हें दूसरे देश के नापाक मंसूबों से। भारत का हिमालय पर्वत भी उन्हीं में से एक हैं तो पाकिस्तान और चीन की सीमा पर भारत के संतरी जैसे खड़ा हुआ है और हमारे देश की रक्षा कर रहा हैं।
हिमालय भारत में स्थित एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला है। हिमालय को पर्वतराज भी कहते हैं जिसका अर्थ है पर्वतों का राजा। कालिदास तो हिमालय को पृथ्वी का मानदंड मानते हैं। हिमालय की पर्वतश्रंखलाएँ शिवालिक कहलाती हैं। सदियों से हिमालय की कन्दराओं (गुफाओं) में ऋषि-मुनियों का वास रहा है और वे यहाँ समाधिस्थ होकर तपस्या करते हैं। देश के जो पर्वत होते हैं वह हमेशा देश की रक्षा करते हें दूसरे देश के नापाक मंसूबों से। इसके अलावा पर्वतों से निकले वाली नदियां और झीलें मानव जीवन के लिए हितकारी होती हैं। भारत का हिमालय पर्वत भी उन्हीं में से एक हैं तो पाकिस्तान और चीन की सीमा पर भारत के संतरी जैसे खड़ा हुआ है और हमारे देश की रक्षा कर रहा हैं। हिमालय को पार कर के किसी भी देश के अंदर घुसकर घुसपैठ करना काफी मुश्किल है। हिमालय मे आज भी गति हो रही हैं और आज भी हर दिन हिमालय का विकास हो रहा है। हिमालय को दुनिया के सबसे युवा पर्वतों में से एक माना जाता है। दुनिया के सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट को अपने में समेटे हुए इस पर्वत की चट्टानें कई जगहों पर काफी कमजोर और भुरभुरी हैं. इसके बावजूद दुनिया के सबसे नये पर्वतों में शुमार हिमालय के आसपास काफी सघन आबादी रहती है. इसकी वजह हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं से निकलने वाली नदियां हैं. ये नदियां दुनिया की आबादी के करीब पांचवें हिस्से को पानी देती हैं।
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कैसे बना हमारा हिमालय?
कहते है कि इस पृथ्वी पर केवल एक ही महाद्वीप पेंजिया था और पूरी पृथ्वी पर केवल एक ही सागर था जिसे पेंथालासा कहते थे। लेकिन बाद से भू-भाग के अंदर होने वाली हलचलों के कारण ये महाद्वीप दो भागों में विभाजित उत्तर में अंगारालैन्ड और दक्षिण में गोन्ड्वानालैन्ड। इन दोनों के बी टेथिस सागर ना निर्माण हुआ। धरती के अंदर हुई हलचल के कारण गोन्ड्वानालैन्ड से कई अन्य भू भाग भी अलग हो रहे थे ऐसे में भारत का भू खंड भी गोन्ड्वानालैन्ड से धीरे-धीरे अलग होता रहा और आज से लगभग 13.5 करोड़ साल पहले एक समय ऐसा आया कि भारतीय भूखंड और यूरेशिया की प्लेटे आपस में टकरा गयी और टेथिस सागर के अंदर जो मिट्टी, कन्कड, बजरी, गाद आदि से हिमालय का निर्माण हुआ। कर्क रेखा से उपर होने के कारण हिमालय से काफी ठंडा है और यहां हमेशा बर्फ जमी होती हैं। इसके अलावा समुद्र तल से इसकी औसतन उंचाई 8000 मीटर है। इस लिए यहां पर ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है।
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हिमालय से जुड़े फेक्ट
हिमायल जब बना तो उसके शीष्ट टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे जिन्हें शिवालिक पहाड़ियां कहा जाता है। भूगोल शास्त्री जब हिमालय का अध्ययन करते है तो वह हिमालय को चार भागो में विभाजित करते हैं। सबसे उंचा महान हिमायय है जिसे ग्रेट हिमालय भी कहा जाता है । ग्रेट हिमालय में ही माउंट एवरेस्ट की चोटी हैं और कंचनजंगा, धौलागिरी जैसी उंची पवर्त चोटियां हैं। इसके बाद लघु हिमालय आते हैं। लघु हिमालय वह पर्वत होते हैं जहां सबसे ज्यादा पर्यटक घूमने के लिए आते हैं जैसै कुल्लू मनाली... इसकी औसतन उंचाई 1500 से 4000 मीटर है। इसके बाद आती हैं 300 से 500 मीटर उंची शिवालिक पहाड़ियां यह पहाड़ियां हिमालय के शीर्ष से बनीं हैं। इसके अलावा ग्रेट हिमालय के पीछे वाला हिस्सा ट्रांस हिमालय में आता है, जिसमें कराकोरम पर्वत चोटी आती हैं।
हिमालय की औसतन उंचाई 8000 मीटर है और लंबाई 2400 किलोमीटर हैं। और इसकी चौडाई 500 किलोमीटर हैं। यह जम्मू कश्मीर के नंगा पर्वत से अरूणाचल प्रदेश के नामचा बरुआ तक फैला माना जाता है। इन्हीं दो केंद्रो पर हिमालय सिनटेक्जिअल बेंड बनाता है। हिलालय और आगे तक भी है लेकिन वह भारत का भाग नहीं हैं।
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