प्रशांत किशोर के लिए कांग्रेस की राह कितनी आसान ? क्या जी-23 के नेता कर पाएंगे स्वीकार ?
माना जा रहा है कि इसी मीटिंग में प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच उनकी भूमिका को लेकर भी चर्चा हुई। सूत्र बता रहे हैं कि गांधी परिवार प्रशांत किशोर की एक रणनीतिकार के तौर पर सेवा लेने की बजाय उन्हें पार्टी में शामिल कर बड़ा पद देने के पक्ष में है।
इन दिनों चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की खबरें हो उड़ रही हैं। चर्चा है कि राहुल गांधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने के प्रस्ताव पर चर्चा की थी। उनमें से ज्यादातर नेताओं ने प्रशांत किशोर को पार्टी में शामिल करने को लेकर हरी झंडी दे दी है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कभी भी प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। माना जा रहा है कि हाल में ही प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी जिसमें वर्चुअल रूप से सोनिया गांधी भी जुड़ी थीं। यह मुलाकात आने वाले चुनाव और 2024 के एजेंडे को लेकर काफी अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि इसी मीटिंग में प्रशांत किशोर और गांधी परिवार के बीच उनकी भूमिका को लेकर भी चर्चा हुई। सूत्र बता रहे हैं कि गांधी परिवार प्रशांत किशोर की एक रणनीतिकार के तौर पर सेवा लेने की बजाय उन्हें पार्टी में शामिल कर बड़ा पद देने के पक्ष में है।
इसे भी पढ़ें: पेगासस मामला और अन्य मुद्दों को लेकर विपक्षी सदस्यों का हंगामा, लोकसभा की कार्यवाही बाधित
प्रशांत किशोर की कार्यशैली को देखते हुए यह सवाल अहम हो जा रहा है कि क्या उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक रहेगा? जानकार इससे सहमत नहीं है। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक धड़ा ऐसा भी है जो प्रशांत किशोर को पसंद नहीं करता है। प्रशांत किशोर की कार्यशैली को देखें तो वह अपने काम में किसी की दखलंदाजी नहीं चाहते और अपनी जवाबदेही को सिर्फ शिर्ष लोगों तक ही रखने की कोशिश करते हैं। हमने देखा किस तरह से जदयू में वह शामिल हुए तो बड़ा पद मिला लेकिन नीतीश कुमार के अलावा वह किसी की नहीं सुनते थे। तृणमूल कांग्रेस के रणनीति बनाते हुए उन पर आरोप लगे कि वह बड़े नेताओं के नहीं सुन रहे हैं। उन्हें दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं। यही कारण है कि कांग्रेस के कुछ नेता पीके को पार्टी में शामिल किए जाने के पक्ष में नहीं है।
इसे भी पढ़ें: दुनियाभर में हो रही है पेगासस की चर्चा, क्यो डरे हुए हैं PM मोदी: अधीर रंजन
हालांकि हम यह भी जानते हैं कि अगर गांधी परिवार ने एक बार कह दिया तो कोई नेता खुलकर विरोध नहीं करेगा। लेकिन पीके को पसंद नहीं करने वाले नेताओं का कहना है कि 2017 में उत्तर प्रदेश चुनाव में प्रशांत किशोर ने रणनीति बनाई थी। लेकिन पार्टी को कुछ भी फायदा नहीं हुआ। उल्टा पार्टी को अपनी पुरानी सीटे भी गवांनी पड़ी। दूसरी ओर प्रशांत किशोर भी यह कह चुके हैं कि कांग्रेस में फैसला लेने की प्रक्रिया जटिल है और पुरानी है। यूपी चुनाव के वक्त में हमने देखा किस तरह से प्रशांत किशोर की गुलाम नबी आजाद व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के साथ बातचीत बंद हो गई थी। उस दौरान हमने देखा कि किस तरह से प्रशांत किशोर ने जब कांग्रेस के लिए काम करना शुरू किया तो वार रूम बनाया गया। हालांकि नेताओं से दूरी के बाद प्रशांत किशोर वार रूम में बैठना बंद कर दिया। माना जा रहा है कि जी- 23 के नेता प्रशांत किशोर को लेकर सहज नहीं होंगे। वह पार्टी में हायरिंग की बजाए संगठन को मजबूत करने के पक्षधर हैं।
अन्य न्यूज़