Prabhasakshi NewsRoom: Mathura मामले में भी सुगबुगाहट शुरू, कोर्ट ने पूछा- बांके बिहारी मंदिर के नाम दर्ज जमीन कब्रिस्तान के नाम पर कैसे दर्ज हुई?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की बात करें तो आपको बता दें कि न्यायालय ने मथुरा की छाता तहसील के तहसीलदार को यह बताने का निर्देश दिया है कि बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज जमीन कैसे 2004 में कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज हो गई।
अयोध्या का मामला सुलझ गया है। भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण तेजी से चल रहा है। इसके अलावा भव्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बन चुका है। ज्ञानवापी परिसर का सर्वे चल रहा है। माना जा रहा है कि यह मामला भी जल्द ही सुलझ जायेगा। इसके साथ ही अब मथुरा-वृंदावन मामले में भी सुगबुगाहट तेज हो चली है। एक दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट और मथुरा की स्थानीय कोर्ट में जो कुछ हुआ वह काफी सकारात्मक रहा। इसके अलावा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास से जो अतिक्रमण हटाने का काम चल रहा है उसके लिए भी योगी सरकार की जमकर सराहना हो रही है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने क्या कहा?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की बात करें तो आपको बता दें कि न्यायालय ने मथुरा की छाता तहसील के तहसीलदार को यह बताने का निर्देश दिया है कि बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज जमीन कैसे 2004 में कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज हो गई। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया। हम आपको बता दें कि यह रिट याचिका, छाता के राजस्व अधिकारियों को याचिकाकर्ता के आवेदन पर निर्णय करने का निर्देश देने के अनुरोध के साथ दायर की गई है। आवेदन में राजस्व प्रविष्टि सही करने की प्रार्थना की गई है जिसमें जमीन बांके बिहारी जी महाराज की जगह अवैध रूप से कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज कर दी गई है। राज्य सरकार की ओर से स्थायी अधिवक्ता ने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित करना चाहा कि कब्रिस्तान का नाम दर्ज करने के लिए भी एक आवेदन लंबित है क्योंकि प्रविष्टियां अब कब्रिस्तान से पुरानी आबादी में बदल दी गई हैं।
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हम आपको याद दिला दें कि अदालत ने पिछले बृहस्पतिवार को अपने आदेश में कहा, “तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए तहसीलदार को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर छाता तहसील के शाहपुर गांव में भूखंड संख्या 1081 पर उपलब्ध प्रविष्टियां बदलने के लिए राजस्व अधिकारियों द्वारा समय समय पर जो भी कार्यवाही की गई है, उसका उल्लेख करने का निर्देश दिया जाता है।” उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता ने कहा है कि भूखंड संख्या 1081 मूल रूप से बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम दर्ज था जोकि 1375-1377एफ के अधिकारों के रिकॉर्ड से स्पष्ट है। बाद में वर्ष 2004 में इसे बदलकर कब्रिस्तान के नाम कर दिया गया। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 17 अगस्त, 2023 निर्धारित की है।
मथुरा कोर्ट में नयी याचिका दाखिल
दूसरी ओर, श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही मस्जिद ईदगाह विवाद के एक दर्जन से अधिक मुकदमों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने के बाद मथुरा की स्थानीय अदालत में यह घोषित करने के लिए एक याचिका दायर की गई है कि संपूर्ण श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर याचिकाकर्ता देवताओं का है। जिले के सरकारी वकील (सिविल) संजय गौड़ ने कहा, ‘‘यह आदेश पारित करने की प्रार्थना की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मथुरा का पूरा परिसर याचिकाकर्ता देवताओं का है।’’ उन्होंने बताया कि मुकदमा सिविल न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) मथुरा की अदालत में दायर किया गया है। सरकारी वकील संजय गौड़ ने कहा, ‘‘इस मुकदमे में पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच मुसलमानों को भी शामिल किया गया है।’’
अतिक्रमण पर चला बुलडोजर
इसके अलावा, मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास अतिक्रमण हटाने का काम भी तेजी से जारी है। जन्मभूमि के पास स्थित नयी बस्ती क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर बने कई मकानों को ध्वस्त किये जाने के एक दिन बाद बृहस्पतिवार को बचे हुए मकानों में रह रहे लोगों को नोटिस भेजकर उन्हें तीन दिन के अंदर इलाका खाली करने को कहा गया है। आगरा के मंडलीय रेल प्रबंधक कार्यालय में मुख्य अभियंता नितिन गर्ग ने बताया, "बुधवार को रोका गया ध्वस्तीकरण का काम तीन दिन बाद फिर से शुरू होगा।' उन्होंने बताया कि अब तक 60 मकानों को तोड़ा जा चुका है जबकि 135 मकानों को तोड़ने का नोटिस दिया गया है। नितिन गर्ग ने कहा कि वे मकान पिछले पांच दशकों के दौरान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और अमरनाथ स्कूल के बीच रेलवे लाइन के दोनों किनारों पर अवैध रूप से बनाए गए थे। रेलवे की जमीन खाली करने के लिए तीन बार नोटिस दिए गए मगर अतिक्रमणकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
दूसरी ओर, नोटिस पाने वाले लोगों के वकील याकूब खान ने दावा किया कि विध्वंस अभियान अवैध है क्योंकि मामला अदालत में लंबित है और उसकी अगली सुनवाई आगामी 21 अगस्त को होनी है। उन्होंने कहा कि वह विध्वंस कार्य के खिलाफ अवमानना का मामला दायर करेंगे। जिन घरों को ध्वस्त किया गया और जिन्हें खाली करने का नोटिस दिया गया, उनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोगों के हैं। उधर, मंडल मुख्य अभियंता नितिन गर्ग ने अदालत में किसी कानूनी विवाद के लंबित होने से इनकार किया है। अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश घरों के मालिकों के अनुरोध पर विध्वंस कार्य को फिलहाल रोक दिया गया था। इससे पहले, कुछ महिलाओं ने काम रोकने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय पुलिस, पीएसी, आरपीएफ और जीआरपी को देखकर उन्होंने ज्यादा प्रतिरोध नहीं किया।
इस बीच, मथुरा से भाजपा सांसद हेमा मालिनी के प्रतिनिधि जनार्दन शर्मा ने बताया कि 12 किलोमीटर लंबी मीटर गेज रेल लाइन को ब्रॉड गेज में बदलने के लिए जमीन खाली कराई जा रही है। इसमें पांच स्टेशन स्थापित करने और हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए बुनियादी ढांचा बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि इससे तीर्थयात्रियों को मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर ट्रेन बदले बिना वृन्दावन जाने की सुविधा मिलेगी। रेल अधिकारियों के मुताबिक दोनों तरफ का ट्रैक साफ होने तक ध्वस्तीकरण का काम जारी रहेगा।
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