Andhra Pradesh Assembly Elections : अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रहे धर्मावरम के बुनकरों को नई सरकार से है काफी उम्मीद
पारपंरिक रूप से हथकरघा से साड़ी बुनने में यहां के बुनकरों को महारत हासिल है और यह धर्मावरम के ही बुनकर थे जिन्होंने पहली बार 1918 में ऐसी साड़ी बुनी थी जिसे माचिस की डिब्बी में रखा जा सकता था। हाल ही में यहां के बुनकरों ने अयोध्या में नवनिर्मित रामलला के मंदिर के लिए 180 फीट लंबी और 16 किलोग्राम वजनी साड़ी बुनी थी।
धर्मावरम। आंध्र प्रदेश की रेशम नगरी के रूप में प्रसिद्ध धर्मावरम के बुनकर अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन विधानसभा चुनाव से उनमें उम्मीद जगी है कि उनकी आवाज भी सत्ता के गलियारे में सुनी जाएगी। पारपंरिक रूप से हथकरघा से साड़ी बुनने में यहां के बुनकरों को महारत हासिल है और यह धर्मावरम के ही बुनकर थे जिन्होंने पहली बार 1918 में ऐसी साड़ी बुनी थी जिसे माचिस की डिब्बी में रखा जा सकता था। हाल ही में यहां के बुनकरों ने अयोध्या में नवनिर्मित रामलला के मंदिर के लिए 180 फीट लंबी और 16 किलोग्राम वजनी साड़ी बुनी थी।
धर्मावरम के बुनकरों को शानदार डिजाइन और बेहतर गुणवत्ता की साड़ी बुनने के लिए जाना जाता है और इसलिए उनकी बुनी साड़ियों की तुलना तमिलनाडु के कांचीपुरम में बुनी जाने वाली प्रतिष्ठित कांजीवरम साड़ियों से की जाती है। धर्मावरम में एक समय हथकरघा उद्योग फल-फूल रहा था जो अब कई समस्याओं का सामना कर रहा है जिनमें ‘पावरलूम’ के आने की वजह से सस्ते वैकल्पिक कपड़ों की आमद शामिल है। इस समस्या को बुनकरों की कमी और विकराल बना देती है क्योंकि नयी पीढ़ी अन्य स्थानों पर बेहतर अवसरों की तलाश में जा रही है।
यहां बाकी बचे बुनकर कच्चे माल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और सरकार की कम होती मदद के बाद अपने पेशे को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कोटापेटा कॉलोनी में रहने वाले 50 वर्षीय बुनकर के आदिनारायण ने कहा, ‘‘हमारे लिए अपनी कला को बचाए रखना मुश्किल होता जा रहा है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘राज्य सरकार ने 24 हजार रुपये की सलाना सब्सिडी बंद कर दी है जिसकी मदद से हम रेशम और जरी की कीमत में वृद्धि का मुकाबला करते थे।’’ बुनकरों के मुताबिक रेशम की कीमत 2011 में 2600 रुपये प्रति किलोग्राम थी जो अब बढ़कर 5600 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है।
उन्होंने बताया कि यहां तक 2011 में जहां आधा किलोग्राम शुद्ध जरी 1200 रुपये में मिल जाता था अब उसकी कीमत पांच हजार रुपये हो गई है। आदिनारायण ने कहा कि जमानतदार नहीं होने की वजह से कच्चा माल खरीदने के लिए ‘मुद्रा ऋण’ योजना से 50 हजार रुपये भी प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है। बुनकरों की मुश्किल बाजार में पावरलूम से बनी और धर्मावरम साड़ियों के नाम पर बेची जाने वाली सस्ती साड़ियों की बाढ़ ने भी बढ़ा दी है। एक अन्य बुनकर के. शंकरैया(50) ने भी कहा कि उन्हें दो साल से सब्सिडी नहीं मिली है। उन्होंने सरकार से नियमों को आसान बनाने की मांग की ताकि आसानी से ऋण प्राप्त की जा सके।
आगामी विधानसभा चुनाव से धर्मावरम के लोगों को हालात में सुधार होने की उम्मीद है। धर्मावरम में इस समय 48,000 बुनकर, 19,000 हथकरघा और 2,4820 साड़ी की दुकानें हैं। इस विधानसभा क्षेत्र से वाईएसआर कांग्रेस के मौजूदा विधायक के. वेंकट रामी रेड्डी दोबारा उम्मीदवार हैं जबकि कांग्रेस ने रंगना अश्वर्थ नारायण को मैदान में उतारा है। भाजपा की तरफ से यहां वाई. सत्य कुमार मैदान में हैं। आंध्र प्रदेश की 175 सदस्यीय विधानसभा का चुनाव 13 मई को राज्य की 25 लोकसभा सीट के साथ होगा।
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