Himachal Crisis: विक्रमादित्य ने फिर बढ़ाई कांग्रेस की टेंशन, बदला फेसबुक प्रोफाइल, सुक्खू बोले- मुझे नहीं पता

vikramaditya singh
ANI
अंकित सिंह । Mar 2 2024 2:25PM

राज्यसभा चुनाव में हार के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार लगभग गिर गई और तब से वह संघर्ष की स्थिति में है। छह बार के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कल नई दिल्ली रवाना होने से पहले अन्य बागी कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की।

हिमाचल के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपने फेसबुक बायो से अपना आधिकारिक पदनाम हटाने के बाद कांग्रेस नेतृत्व को फिर से परेशानी में डाल दिया है। पूर्व में लोक निर्माण मंत्री और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में पहचाने जाने वाले उनके बायो में अब केवल "हिमाचल का सेवक" लिखा हुआ है। राज्यसभा चुनाव में हार के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार लगभग गिर गई और तब से वह संघर्ष की स्थिति में है। छह बार के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कल नई दिल्ली रवाना होने से पहले अन्य बागी कांग्रेस विधायकों से मुलाकात की।

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इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शनिवार को कहा कि मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं फेसबुक, ट्विटर नहीं देखता, मुझे नहीं पता विक्रमादित्य ने क्या हटाया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी कमजोर नहीं है, प्रदेश अध्यक्ष बेहतर बता सकती हैं, पर जनता कांग्रेस के साथ है। सूत्र बताते हैं कि सिंह दिल्ली में प्रमुख भाजपा नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल जैसे प्रमुख लोग शामिल हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कांग्रेस पर उनके पिता का अपमान करने का आरोप लगाया है, भले ही उन्होंने पिछले विधानसभा चुनावों में उनके नाम पर वोट मांगे थे।

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उसी दिन कांग्रेस ने खुद को बचाने के लिए आखिरी पैंतरा अपनाया और सदन की प्रभावी ताकत कम करने और राज्य का बजट पारित करने के लिए 15 भाजपा विधायकों को निष्कासित कर दिया। इसके तुरंत बाद विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। राजनीतिक गाथा आज सुबह 11 बजे हिमाचल प्रदेश कैबिनेट की बैठक में सामने आएगी। संकट तब बढ़ गया जब छह विद्रोहियों और तीन निर्दलीय विधायकों, जिन्होंने अपना समर्थन जताया था, ने इस सप्ताह के राज्यसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के लिए मतदान किया और फिर पार्टी ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया।

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