CM Yogi on Gyanvapi: ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ, CM योगी बोले- आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं

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ANI
अभिनय आकाश । Sep 14 2024 4:58PM

गोरखपुर में एक कार्यक्रम में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य शंकर काशी में आए तो साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेकर आई। उन्होंने इस बात को देखा कि प्रात: काल जब ब्रह्म मुहर्त में आदि शंकर गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं तो वो सबसे अछूत कहे जाने वाले व्यक्ति के रूप में उनके मार्ग के सामने खड़े हो जाते हैं।

ज्ञानवापी पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान सामने आया है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं। सीएम ने कहा कि कुछ लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं। यूपी के गोरखपुर में एक कार्यक्रम में एक सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य शंकर काशी में आए तो साक्षात भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेकर आई। उन्होंने इस बात को देखा कि प्रात: काल जब ब्रह्म मुहर्त में आदि शंकर  गंगा स्नान के लिए जा रहे होते हैं तो वो सबसे अछूत कहे जाने वाले व्यक्ति के रूप में उनके मार्ग के सामने खड़े हो जाते हैं। स्वभाविक रूप से आचार्य शंकर के मुंह से निकलता है मेरे मार्ग से हटो। सामने से चंडाल एक प्रश्न पूछता है कि आप तो अपने आप को ज्ञान की मूर्त मानते हैं आप किसे हटाना चाहते हैं? आपका ज्ञान का इस भौतिक काया को देख रही है। इस भौतिक काया के अंदर बसे ब्रह्म को देख रही है। अगर ब्रह्म सत्य है तो आपके अंदर बसा ब्रह्म है वही मेरे अंदर भी है। 

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इस ब्रह्म सत्य को जानकर आप इस ब्रह्म को ठुकरा रहे हैं। इसका मतलब है कि आपका ये ज्ञान सत्य नहीं है। आचार्य शंकर भौतक थे कि एक चंडाल के मुख से इस तरह की बात। उन्होंने कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि आप कौन हैं? जवाब मिला कि जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए बीच में ही योगी रुकते हुए बोलते हैं कि दुर्भाग्य से आज लोग मस्जिद बोलते हैं। लेकिन वो ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं। योगी फिर आचार्य शंकर की कहानी बताते हुए कहते हैं कि चंडाल ने कहा कि जिस ज्ञानवापी की उपासना के लिए आप केरल से चलकर यहां आए हैं मैं उसका साक्षात स्वरूप विश्वनाथ हूं। तो वो उनके सामने नतमस्तक होते हैं।

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गौरतलब है कि ज्ञानवापी दो शब्दों ज्ञान+वापी से मिलकर बना है। जिसका मतलब हुआ ज्ञान का सरोवर। दरअसल, काशी की परंपरा में जल की अहमियत है। ज्ञानवापी मस्जिद जिसे कहा जा रहा है उस परिसर के अंदर एक कुआं है जिसे ज्ञानवापी कहते हैं। हजारों साल पहले से वहां जल के पांच जरिया होते थे।  स्कंदपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव ने स्वयं लिंगाभिषेक के लिए अपने त्रिशूल से ये कुआं बनाया था।  

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