ज्ञानवापी मामला: उच्च न्यायालय में सुनवाई पांच मई तक के लिए टली

अपनी पुनरीक्षण याचिका में वादी राखी सिंह ने दलील दी है कि वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण न्याय हित में आवश्यक है और इससे वादी और प्रतिवादी दोनों को लाभ होगा और अदालत को इस मुकदमे में निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिलेगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी की एक अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पांच मई, 2025 तक के लिए टाल दी। वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित वुजूखाना का सर्वेक्षण करने का एएसआई को निर्देश देने से मना कर दिया था।
मंगलवार को जब इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई, अदालत को सूचित किया गया कि 2020 की रिट याचिका संख्या 1246 (अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम केंद्र सरकार एवं अन्य) में उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश पारित किया है जो 21 अप्रैल, 2025 तक प्रभावी है। इस पर अदालत ने सुनवाई टाल दी।
उच्चतम न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया था कि यद्यपि नए वाद दाखिल किए जा सकते हैं, अगले आदेश तक कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं किया जाएगा और उसमें कोई सुनवाई नहीं की जाएगी। साथ ही कोई भी अदालत सर्वेक्षण आदि सहित कोई अंतरिम आदेश या अंतिम आदेश पारित नहीं करेगी।
इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत कर रही है। अदालत ने मस्जिद कमेटी को इस बीच अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय दिया।
अपनी पुनरीक्षण याचिका में वादी राखी सिंह ने दलील दी है कि वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण न्याय हित में आवश्यक है और इससे वादी और प्रतिवादी दोनों को लाभ होगा और अदालत को इस मुकदमे में निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि वुजूखाना क्षेत्र का एएसआई से सर्वेक्षण इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि इससे संपूर्ण संपत्ति का धार्मिक चरित्र निर्धारित हो सकेगा।
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