पहले हिंदी पर धमकाया, अब राज ठाकरे ने पोस्टर लगवाया- हम हिंदू हैं, लेकिन...

ठाकरे के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक इस समय मुंबई में चल रही है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में पेश करने के महाराष्ट्र सरकार के हालिया फैसले का विरोध करने की रणनीति तैयार करना है।
मराठी बनाम हिंदी भाषा की बहस ने एक तीखा मोड़ ले लिया है, राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने हिंदी को बढ़ावा देने के अपने विरोध को और तेज कर दिया है। मराठी बहुल इलाका माने जाने वाले दादर में पार्टी ने भड़काऊ पोस्टर लगाए हैं। स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित करने वाले और राजनीतिक हलकों में बहस को जन्म देने वाले इन पोस्टरों पर लिखा है: हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं। ये पोस्टर कुछ मराठी भाषी समूहों के बीच बढ़ते गुस्से को दर्शाते हैं, जिन्हें लगता है कि क्षेत्रीय भाषा को दरकिनार किया जा रहा है। मनसे ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार हिंदी समर्थक अपने फैसले को वापस नहीं लेती है, तो एक भयंकर संघर्ष अपरिहार्य होगा और इसके परिणामों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार जिम्मेदार होगी।
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ठाकरे के नेतृत्व में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक अहम बैठक इस समय मुंबई में चल रही है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य विषय के रूप में पेश करने के महाराष्ट्र सरकार के हालिया फैसले का विरोध करने की रणनीति तैयार करना है। इससे पहले गुरुवार को राज ठाकरे ने कक्षा 1 से हिंदी को अनिवार्य करने के लिए राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की और कहा कि उनकी पार्टी इस जबरदस्ती को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी। राज ठाकरे ने दसवीं कक्षा में कहा कि राज्य स्कूल पाठ्यक्रम योजना 2024 के अनुसार, महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना इस जबरदस्ती को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगी।
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ठाकरे ने कहा कि पूरे देश को 'हिंदीकृत' करने की केंद्र सरकार की कोशिशों को हम महाराष्ट्र में सफल नहीं होने देंगे। हिंदी कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है। यह देश की अन्य भाषाओं की तरह राज्य की भाषा है। फिर इसे महाराष्ट्र में पहली कक्षा से क्यों पढ़ाया जाना चाहिए? त्रिभाषा सूत्र केवल सरकारी कार्यों तक ही सीमित होना चाहिए, इसे शिक्षा क्षेत्र पर थोपने की कोशिश न करें। इस देश में भाषा के आधार पर राज्यों का गठन हुआ और यह व्यवस्था इतने सालों तक चलती रही। तो अचानक दूसरे राज्य की भाषा को महाराष्ट्र पर थोपने की प्रक्रिया क्यों शुरू हुई? यह भाषाई आधार पर गठित राज्य संरचना के सिद्धांतों का उल्लंघन है। यहाँ यह ध्यान देने वाली बात है कि महाराष्ट्र में भाषा युद्ध तब और तेज़ हो गया है जब राज्य सरकार ने सभी राज्य बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से मराठी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाना अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप लिया गया है।
Language Row Erupts In #Maharashtra : MNS Puts Up Posters Protesting Hindi Saying ‘Hum Hindu Hain, Lekin Hindi Nahi’#MNS https://t.co/C57MacQBmf pic.twitter.com/GXrBBviyWS
— Rajkaran (@rajkarandotcom) April 18, 2025
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