Dr Death N John Camm गिरफ्तार, फर्जी UK Degree के नाम पर करता था Cardiac Surgeries, कई लोग मार डाले

एक स्थानीय निवासी द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, अस्पताल में कथित तौर पर काम करने वाले व्यक्ति ने ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एन जॉन कैम के नाम का इस्तेमाल करते हुए खुद को विदेश से शिक्षित व प्रशिक्षित बताया था।
डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन फर्जी डॉक्टर शैतान से कम नहीं होता। हम आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में एक ऐसे फर्जी डॉक्टर का मामला सामने आया है जिसने खुद को ब्रिटेन से पढ़ा हुआ बताया और खुद को टॉप हृदय रोग विशेषज्ञ बताया। यहां तक कि उसने अपोलो अस्पताल तक में काम किया। नरेंद्र यादव नाम का यह डॉक्टर बाद में नरेंद्र जॉन कैम कैसे बन गया यह भी एक रहस्य बना हुआ है लेकिन उसका पर्दाफाश तब हो गया जब उसके हाथों सात मरीजों की जान चली गयी। हम आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के दमोह में फर्जी चिकित्सक ने हृदय रोग के इलाज के नाम पर मरीजों का ऑपरेशन किया था। एक स्थानीय निवासी द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, अस्पताल में कथित तौर पर काम करने वाले व्यक्ति ने ब्रिटेन के एक प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एन जॉन कैम के नाम का इस्तेमाल करते हुए खुद को विदेश से शिक्षित व प्रशिक्षित बताया था। पुलिस के मुताबिक, आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण में ‘डॉ. कैम’ का नाम नहीं दिखने के बाद मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने बताया कि चिकित्सक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 315 (4) (बेईमानी से गबन), 338 (जालसाजी), 336 (3) (धोखाधड़ी के इरादे से दस्तावेजों या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को बनाना या बदलना), 340 (2) (जाली दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड) और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।
इस मामले ने जब राजनीतिक रूप से तूल पकड़ा तो पुलिस भी एक्शन में आई और 'फर्जी' हृदय रोग विशेषज्ञ नरेंद्र जॉन कैम को प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया गया है। दमोह के पुलिस अधीक्षक (एसपी) श्रुत कीर्ति सोमवंशी ने बताया, "आरोपी डॉ. नरेंद्र जॉन कैम को प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार किया गया है। हमारी टीम ने छापा मारा और उसे गिरफ्तार कर लिया। हमारी टीम उसे यहां ला रही है।"
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हम आपको बता दें कि इस मामले के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वास्थ्य विभाग को कथित फर्जी चिकित्सक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया था। मोहन यादव ने कहा, “हमें घटना की जानकारी है। हमारी सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है और लगातार केंद्र सरकार के संपर्क में है। मैंने स्वास्थ्य विभाग को अन्य स्थानों पर भी ऐसी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।”
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष भी हुए शिकार!
हम आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के दमोह जिले के एक मिशनरी अस्पताल में सात मरीजों की मौत के मामले में आरोपी फर्जी हृदय रोग विशेषज्ञ ने 2006 में छत्तीसगढ़ के एक निजी अस्पताल में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और कांग्रेस नेता राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की सर्जरी की थी, जिसके बाद राजनेता की मौत हो गई थी। बिलासपुर जिले के कोटा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की 20 अगस्त, 2006 को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर के अपोलो अस्पताल में मौत हो गई थी। उन्होंने 2000 से 2003 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था। शुक्ल के सबसे छोटे बेटे प्रदीप शुक्ल ने कहा कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव 2006 में अपोलो अस्पताल में सेवा दे रहे थे, जब उनके पिता वहां भर्ती थे। उन्होंने कहा, ''नरेंद्र यादव ने मेरे पिता के हृदय की सर्जरी का सुझाव दिया और उसे अंजाम दिया। इसके बाद उन्हें 20 अगस्त, 2006 को मृत घोषित किए जाने से पहले करीब 18 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया।'' प्रदीप शुक्ल ने बताया, ''नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने एक-दो महीने पहले ही अपोलो अस्पताल में अपनी सेवा देना शुरू किया था। तब अपोलो अस्पताल ने उन्हें मध्य भारत के सर्वश्रेष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ के रूप में पेश किया था, जो लेजर का उपयोग करके सर्जरी करते हैं। बाद में, हमें दूसरों से पता चला कि नरेंद्र यादव के पास डॉक्टर की डिग्री नहीं थी और वह एक धोखेबाज था। यहां तक कि उसके खिलाफ पहले भी शिकायतें की गई थी और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की बिलासपुर इकाई ने उनकी जांच की थी।'' उन्होंने कहा, ''मेरे पिता की मृत्यु के बाद, नरेंद्र यादव द्वारा इलाज किए गए रोगियों की मृत्यु के कुछ और मामले सामने आए, जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें अपोलो अस्पताल छोड़ने के लिए कहा।'' उन्होंने कहा कि नरेंद्र यादव द्वारा इलाज किए गए लगभग 80 प्रतिशत रोगियों की अस्पताल में मृत्यु हो गई थी।'' शुक्ल ने कहा, ''एक तरह से, हमारे पिता और अन्य रोगियों की हत्या कर दी गई। जब मेरे पिता की मृत्यु हुई, तब वह विधायक थे और उनके इलाज का खर्च राज्य सरकार ने वहन किया था।'' उन्होंने कहा कि नरेंद्र यादव और अपोलो अस्पताल के खिलाफ जांच की जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने भी सरकार को धोखा दिया है।
वहीं अपोलो अस्पताल के जनसंपर्क अधिकारी देवेश गोपाल ने पुष्टि की कि नरेंद्र यादव ने वहां काम किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में उनके कार्यकाल के दौरान उनसे संबंधित दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं, जिसके बाद उनके बारे में पूरी जानकारी साझा की जाएगी।
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