सुनिश्चित करें कि नीदरलैंड की कंपनियां पाकिस्तान को हथियार, तकनीक उपलब्ध न कराएं : राजनाथ सिंह

Rajnath Singh
ANI

रक्षा मंत्रालय ने यहां एक बयान में बताया कि दोनों मंत्रियों ने पोत निर्माण, उपकरण और अंतरिक्ष क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की, जिससे दोनों देशों के कौशल, प्रौद्योगिकी में तालमेल को अधिकतम किया जा सके।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पार आतंकवाद पर चिंता व्यक्त करते हुए मंगलवार को नीदरलैंड के अपने समकक्ष रूबेन बर्केलमैन्स से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि उनके देश की कंपनियां पाकिस्तान को हथियार, मंच या तकनीक उपलब्ध न कराएं। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

दोनों नेताओं ने यहां हिंद-प्रशांत तथा कृत्रिम मेधा (एआई) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों सहित व्यापक विषयों पर चर्चा की। सिंह ने बैठक के बाद ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वे द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को ‘और अधिक गहरा और उन्नत’ बनाने के लिए तत्पर हैं।

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान सिंह ने पिछले कई दशकों से पाकिस्तान से उत्पन्न सीमापार आतंकवाद पर चिंता व्यक्त की, जिसके कारण भारत को नुकसान उठाना पड़ा है।

उन्होंने बर्केलमैन्स से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि नीदरलैंड की कंपनियां पाकिस्तान को हथियार, मंच या प्रौद्योगिकी उपलब्ध न कराएं। सिंह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को मंच या प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए हानिकारक है।

रक्षा मंत्रालय ने यहां एक बयान में बताया कि दोनों मंत्रियों ने पोत निर्माण, उपकरण और अंतरिक्ष क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की, जिससे दोनों देशों के कौशल, प्रौद्योगिकी में तालमेल को अधिकतम किया जा सके।

सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “नयी दिल्ली में नीदरलैंड के युवा और गतिशील रक्षा मंत्री रूबेन बर्केलमैन्स से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई। हमने भारत-नीदरलैंड रक्षा सहयोग के पूरे दायरे की समीक्षा की। हम अपनी रक्षा साझेदारी को और गहरा करने और आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। हमारी चर्चा के क्षेत्रों में रक्षा, साइबर सुरक्षा, हिंद-प्रशांत और कृत्रिम बुद्धिमता जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियां शामिल थीं।”

बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने रक्षा, सुरक्षा, सूचना आदान-प्रदान, हिंद-प्रशांत और नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। उन्होंने संबंधित रक्षा प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थानों और संगठनों को जोड़ने के अलावा एआई और संबंधित प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर भी चर्चा की।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़