ED ने लगाया कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस और दो अन्य पर आरोप, कहा सरकारी धन की हेराफेरी
ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने धनशोधन निवारण कानून के प्रावधानों के तहत उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित 15 कृषि भूखंड और डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट की कुछ बैंक जमा राशि को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है।
नयी दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद और दो अन्य ने अपने निजी लाभ के लिए केंद्र सरकार के 71.50 लाख रुपये का ‘‘शोधन’’ किया। ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित 15 कृषि भूखंड और डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट की कुछ बैंक जमा राशि को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। इसमें कहा गया है कि कुर्क किये गये भूखंडों का मूल्य 29.51 लाख रुपये है और ट्रस्ट के चार बैंक खातों से कुर्क राशि 16.41 लाख रुपये है।
प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले महीने लखनऊ स्थित अपने क्षेत्रीय कार्यालय में लुईस खुर्शीद का बयान दर्ज किया था। ईडी ने दावा किया कि एक जांच में यह पाया गया है कि ‘‘ट्रस्ट को प्राप्त 71.50 लाख रुपये के अनुदान का इस्तेमाल भारत सरकार द्वारा स्वीकृत शिविरों के आयोजन के लिए नहीं किया गया था, बल्कि इसका इस्तेमाल ट्रस्ट के प्रतिनिधि प्रत्यूष शुक्ला, सचिव मोहम्मद अतहर और परियोजना निदेशक लुईस खुर्शीद द्वारा ट्रस्ट के हित और अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए किया गया था।’’
एजेंसी ने कहा है कि इस प्रकार अनुदान के तौर पर प्राप्त धनराशि को अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया और यह अपराध से अर्जित आय की श्रेणी में आया। धनशोधन का यह मामला उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा की 17 प्राथमिकी से उत्पन्न हुआ है। पुलिस ने अतहर और लुईस खुर्शीद के खिलाफ आरोप-पत्र दायर किया है। पिछले महीने उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की एक सांसद/विधायक अदालत ने दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।
विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया था कि 2009-10 के दौरान बरेली जिले के भोजीपुरा क्षेत्र में विकलांग व्यक्तियों के लिए डॉ. जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा कृत्रिम अंग और उपकरण वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। निधि के इस्तेमाल में गड़बड़ी के कुछ आरोप लगने के बाद राज्य सरकार ने मामले की जांच कराई।
अभियोजक ने अदालत को बताया कि यह पाया गया कि कार्यक्रम में नकली मोहरों और हस्ताक्षरों का उपयोग करके सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया था। शुक्ला की कुछ साल पहले मृत्यु हो गई थी और ईडी के सूत्रों ने कहा था कि उसने शुक्ला की पत्नी और कुछ अन्य लोगों के बयान दर्ज किए हैं। शुक्ला के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही समाप्त कर दी गई है।
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