दिल्ली उच्च न्यायालय ने मालिकों से शपथपत्र लेकर जब्त कारों को छोड़ने का निर्देश दिया

Delhi High Court
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याचिकाकर्ता की ओर पेश वकील पीयूष शर्मा और आदित्य एन प्रसाद ने बताया कि वह वर्ष 2000 में खरीदी अपनी कार नहीं चला रही थीं और उनकी इसे इलेक्ट्रिक कार में बदलने की योजना थी। इसी तरह, एक अन्य याचिकाकर्ता ने अपनी 12 साल पुरानी डीजल कार जब्त किए जाने को चुनौती देते हुए कहा कि यह ‘‘मरम्मत और अन्य इलेक्ट्रिक काम के लिए खड़ी थी जो कार को किसी अन्य राज्य में भेजने के लिए आवश्यक था।’’ दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को विभाग के सचिव-सह-आयुक्त को निर्देश दिया कि वे सड़क पर अपनी निर्धारित अवधि पूरी कर लेने के बाद खड़े किए गए वाहनों को जब्त करने और उन्हें नष्ट करने के लिए भेजने का काम बंद कर दें।अगर ऐसे वाहन सड़कों पर चलते पाए जाते हैं तो उनके मालिकों पर जुर्माना लगाया जाता है। मंत्री के अनुसार, यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि परिवहन विभाग पुराने वाहनों को जब्त करने का अभियान जारी चला रहा है और उन्हें नष्ट करने के लिए भेज रहा है, भले ही वे सड़क पर क्यों ना खड़े हों।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘‘परिचालन की अवधि पूरी कर लेने वाले’’ वाहनों को उनके मालिकों से एक शपथपत्र लेकर छोड़ने का मंगलवार को निर्देश दिया कि वे उन्हें हमेशा के लिए निजी पार्किंग क्षेत्र में खड़ा कर देंगे या उन्हें शहर से बाहर भेज देंगे। न्यायमूर्ति प्रतीक जालान न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करने पर प्राधिकारियों द्वारा कारों को जब्त किए जाने के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। अदालत ने पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों के 15 साल पूरे होने तथा डीजल से चलने वाले वाहनों के 10 साल पूरा होने के बाद उनके इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया था। अदालत ने दिल्ली सरकार से ऐसे वाहनों से निपटने के लिए एक नीति बनाने को कहा जिनके मालिक यह आश्वासन देना चाहते हैं कि वे इन वाहनों का यहां इस्तेमाल नहीं करेंगे। उसने इस नीति का उचित प्रचार करने का भी निर्देश दिया।

उसने कहा कि इस नीति का उद्देश्य कारों को जब्त करना नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रीय राजधानी प्रदूषण मुक्त हो और अपनी संपत्ति का इस्तेमाल करने के अधिकार तथा पर्यावरणीय हितों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि याचिकाकर्ताओं की शिकायतों से एनजीटी और उच्चतम न्यायालय के आदेशों के क्रियान्वयन के साथ संतुलन बनाकर निपटा जा सकता है जिसके तहत मालिकों को यह शपथपत्र देने का निर्देश देकर वाहनों को छोड़ा जा सकता है कि वे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से अपने वाहन हटा लेंगे और उन्हें प्रदेश के सार्वजनिक स्थलों पर खड़ा नहीं करेंगे या सड़कों पर नहीं चलाएंगे।’’ उसने कहा, ‘‘खड़ी कारों के लिए याचिकाकर्ता एक शपथपत्र देंगे कि वे उन्हें सार्वजनिक पार्किंग स्थलों पर खड़ा नहीं करेंगे।’’

न्यायमूर्ति जालान ने कहा कि मालिकों द्वारा शपथपत्र का उल्लंघन करने पर अदालती कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ताओं में से एक ने दलील दी कि उनके लिए ‘‘काफी भावनात्मक अहमियत’’ रखने वाली उनकी कार को प्राधिकारियों ने इस साल की शुरुआत में अवैध तरीके से और बिना कोई पूर्व नोटिस दिए जब्त कर लिया था जबकि गाड़ी उनके घर के बाहर खड़ी थी। याचिकाकर्ता की ओर पेश वकील पीयूष शर्मा और आदित्य एन प्रसाद ने बताया कि वह वर्ष 2000 में खरीदी अपनी कार नहीं चला रही थीं और उनकी इसे इलेक्ट्रिक कार में बदलने की योजना थी। इसी तरह, एक अन्य याचिकाकर्ता ने अपनी 12 साल पुरानी डीजल कार जब्त किए जाने को चुनौती देते हुए कहा कि यह ‘‘मरम्मत और अन्य इलेक्ट्रिक काम के लिए खड़ी थी जो कार को किसी अन्य राज्य में भेजने के लिए आवश्यक था।’’

दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को विभाग के सचिव-सह-आयुक्त को निर्देश दिया कि वे सड़क पर अपनी निर्धारित अवधि पूरी कर लेने के बाद खड़े किए गए वाहनों को जब्त करने और उन्हें नष्ट करने के लिए भेजने का काम बंद कर दें।अगर ऐसे वाहन सड़कों पर चलते पाए जाते हैं तो उनके मालिकों पर जुर्माना लगाया जाता है। मंत्री के अनुसार, यह ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है कि परिवहन विभाग पुराने वाहनों को जब्त करने का अभियान जारी चला रहा है और उन्हें नष्ट करने के लिए भेज रहा है, भले ही वे सड़क पर क्यों ना खड़े हों।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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