Delhi Air Pollution: गैस चैंबर बनी दिल्ली, बेहद खराब श्रेणी में पहुंची हवा की गुणवत्ता

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रितिका कमठान । Nov 1 2023 12:51PM

पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 15 प्रतिशत) और पराली जलाने (सात प्रतिशत से 15 प्रतिशत) का सबसे ज्यादा योगदान है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मानें तो दिल्ली में हवा की गुणवत्ता लगातार बहुत खराब स्तर पर बनी हुई है। राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता का स्तर 373 दर्ज किया गया है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता लगातार खराब स्तर पर बनी हुई है। मंगलवार को भी हवा में धुंध छाई रही। धुंध के कारण स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है।

धुंध के कारण लोगों को आंखों में जलन, घुटन, थकावट, सांस लेने में तकलीफ जैसे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 10 बजे 372 दर्ज किया गया, जो इस माौसम में अब तक का सबसे अधिक है। 24 घंटे की अवधि का मंगलवार को औसत एक्यूआई359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 दर्ज किया गया था। शहर के भीतरी इलाके जैसे नेहरू नगर (402), सोनिया विहार (412), रोहिणी (403), वजीरपुर (422), बवाना (403), मुंडका (407), आनंद विहार (422), और न्यू मोती बाग (435) में हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच गई है। इन स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से छह से सात गुना अधिक रही। 

पड़ोसी गाजियाबाद में एक्यूआई 280, फरीदाबाद में 318, गुरुग्राम में 254, नोएडा में 333 और ग्रेटर नोएडा में 372 था। पुणे स्थित भारतीय ऊष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान द्वारा विकसित एक संख्यात्मक मॉडल-आधारित प्रणाली के अनुसार, वर्तमान में शहर की खराब वायु गुणवत्ता में वाहन उत्सर्जन (11 प्रतिशत से 15 प्रतिशत) और पराली जलाने (सात प्रतिशत से 15 प्रतिशत) का सबसे ज्यादा योगदान है। 

ऐसा रहेगा आज का दिन

बता दें कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने भी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए निर्देश जारी किए है। निर्देशों के मुताबिक बुधवार यानी एक नवंबर को दिल्ली और एनसीआर इलाके में आने वाले हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के शहरों और कस्बों के बीच केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस6-श्रेणी की अनुपालना वाली डीजल बसों को ही संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। प्रदूषण के स्तर को कम करने की कोशिश के तहत केंद्र ने अप्रैल 2020 में घोषणा की थी कि भारत में बेचे जाने वाले सभी वाहनों को भारत स्टेज-6 (बीएस6) उत्सर्जन मानकों के अनुरूप होना चाहिए। दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के अनुसार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता कुछ और दिन तक ‘बेहद खराब’ श्रेणी में रहने के आसार हैं।

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