Prabhasakshi NewsRoom: Myanmar में GPS Snoofing के जरिये IAF के विमानों को भटकाने का हुआ प्रयास, मगर जांबाज पायलटों ने कमाल कर दिया

IAF aircraft
ANI

‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम स्पूफिंग’ को साइबर हमले का एक ऐसा रूप माना जा सकता है जिसमें विमान को गुमराह करने के लिए गलत ‘जीपीएस सिग्नल’ पैदा किए जाते हैं और इनके परिणामस्वरूप नेविगेशन उपकरण गुमराह हो जाते हैं। यह विमानों के लिए अत्यंत खतरनाक स्थिति होती है।

पिछले महीने भूकंप प्रभावित म्यांमा में राहत सामग्री ले जा रहे भारतीय वायुसेना के विमान के ‘जीपीएस स्पूफिंग’ का शिकार होने संबंधी रिपोर्ट सामने आने के एक दिन बाद वायुसेना ने कहा है कि उसके चालक दल ऐसी स्थितियों से निपटने में पूरी तरह सक्षम हैं और ‘‘प्रत्येक मिशन योजना के अनुसार पूरा किया गया।’’ रक्षा सूत्रों ने बताया कि वायुसेना के पायलटों ने सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करने के लिए तुरंत आंतरिक नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस) पर स्विच कर दिया था। हम आपको बता दें कि ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) स्पूफिंग’ को साइबर हमले का एक ऐसा रूप माना जा सकता है जिसमें विमान को गुमराह करने के लिए गलत ‘जीपीएस सिग्नल’ पैदा किए जाते हैं और इनके परिणामस्वरूप नेविगेशन उपकरण गुमराह हो जाते हैं। यह विमानों के लिए अत्यंत खतरनाक स्थिति होती है।

हम आपको यह भी बता दें कि भारत-पाकिस्तान सीमा के पास भी इसी तरह की स्पूफिंग की घटनाएं हुई हैं। नवंबर 2023 से अब तक अमृतसर और जम्मू के पास 465 मामले सामने आए हैं। म्यांमा में वायुसेना के समक्ष जो कठिनाई सामने आई उसके बारे में कहा जा रहा है कि यह समस्या चीन की ओर से उत्पन्न की गयी हो सकती है क्योंकि चीन भी म्यांमा में राहत अभियान चला रहा है। ऐसे में जबकि यूएसएड बंद होने पर म्यांमा में भूकंप राहत अभियानों में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है तब चीन तेजी से राहत अभियान चलाकर सबका दिल जीतने का प्रयास कर रहा है और दुनिया को दिखाना चाहता है कि अमेरिका ने भले जरूरतमंदों को मदद देना बंद कर दिया हो लेकिन चीन सबके साथ खड़ा है। जब चीन ने यह देखा कि भारतीय राहत कर्मी भी म्यांमा में बड़ा बचाव अभियान चला रहे हैं तो संभव है कि भारत के प्रयासों को बाधित करने के लिए इस तरह की हरकत की गयी हो।

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जहां तक इस पूरे घटनाक्रम पर भारतीय वायुसेना की ओर से जारी किये गये बयान की बात है तो आपको बता दें कि उसने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जीपीएस की खराब उपलब्धता की संभावना को मांडले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे द्वारा नोटम के रूप में प्रकाशित किया गया था और ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती गईं।’’ हम आपको बता दें कि नोटम या ‘नोटिस टू एयरमैन’ ऐसा नोटिस होता है जो संभावित खतरों के बारे में विमान के पायलट को सचेत करने का प्रयास करता है। वायुसेना की ‘पोस्ट’ में कहा गया, ‘‘भारतीय वायुसेना के चालक दल ऐसी अनुपलब्धता से निपटने में सक्षम हैं। वे साथ ही विमान की सुरक्षा सुनिश्चित करने और निर्दिष्ट कार्य या मिशन को पूरा करने में सक्षम है। तदनुसार, प्रत्येक मिशन योजना के अनुसार पूरा किया गया।’’

हम आपको बता दें कि भारत ने 29 मार्च को सी-130जे विमान से राहत सामग्री की पहली खेप म्यांमा भेजी थी और इसके पायलटों ने बताया था कि जब विमान म्यांमा के हवाई क्षेत्र में था तो उसके ‘जीपीएस सिग्नल’ के साथ छेड़छाड़ की गई थी। उन्होंने बताया कि नयी दिल्ली ने राहत सामग्री एवं बचाव दल ले जाने के लिए म्यांमा में कुल छह सैन्य विमान भेजे थे जिनमें से अधिकतर को ‘जीपीएस स्पूफिंग’ की समस्या झेलनी पड़ी थी। सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने के अंत में म्यांमा में राहत सामग्री ले जा रहे भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान को ‘जीपीएस स्पूफिंग’ का सामना करना पड़ा, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं उत्पन्न हो गईं और पायलटों को ‘बैकअप’ प्रणालियों पर निर्भर रहना पड़ा।

हम आपको याद दिला दें कि भारत ने 28 मार्च को म्यांमा में आए भीषण भूकंप के बाद उसे सहायता प्रदान करने के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया था। 28 मार्च को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिसमें 3,649 लोग मारे गए और 5,000 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके तुरंत बाद सौ से अधिक झटके आए। भूकंप के झटके पड़ोसी थाईलैंड और पूर्वोत्तर भारत में भी महसूस किए गए। भारत ने भूकंप प्रभावित म्यांमार में खोज और बचाव (एसएआर), मानवीय सहायता, आपदा राहत और चिकित्सा सहायता सहित आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया था।

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