CSIR ने की उत्पादकता, किसानों की आय बढ़ाने के लिए तकनीक-संचालित पहल

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ANI

मिट्टी की गुणवत्ता मापने और फसल के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करेंगे। धान में सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बाद इन प्रौद्योगिकियों का अन्य फसलों जैसे कि केसर, सेब, जरबेरा, पुदीना और लेमनग्रास आदि की फसलों में इस्तेमाल किया जाएगा।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने दक्षिण भारत में धान के लिए क्षेत्र-विशिष्ट स्मार्ट कृषि-प्रौद्योगिकियां विकसित करने के लिए एक अनूठा अभियान शुरू किया है जिसका मकसद मिट्टी की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार लाना और किसानों की आय बढ़ाना है।

एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि इस प्रयास से केंद्र सरकार को भविष्य में कृषि के क्षेत्र में तकनीक, सेंसर, ड्रोन और कृत्रिम मेधा वाले साजो सामान के इस्तेमाल में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह उन पहली परियोजनाओं में से एक है जिनकी कल्पना की गयी है और जिन्हें धरातल पर लागू किया गया है।’’

इसके तहत वे मिट्टी की गुणवत्ता मापने और फसल के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करेंगे। धान में सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बाद इन प्रौद्योगिकियों का अन्य फसलों जैसे कि केसर, सेब, जरबेरा, पुदीना और लेमनग्रास आदि की फसलों में इस्तेमाल किया जाएगा। डॉ. रमेश के वी, डॉ. राकेश वी और डॉ. शाहिद रसूल समेत सीएसआईआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक इस अभियान को सफल बनाने के लिए समन्वित प्रयास कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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