Meira Kumar Birthday: देश की पहली महिला लोकसभा स्पीकर बन लिखी नई इबारत, ऐसे ली थी राजनीति में एंट्री
देश के प्रख्यात दलित नेता और उपमुख्यमंत्री रहे बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार ने भारतीय राजनीति में नई इबारत लिखी है। आज ही दिन यानि की 31 मार्च को मीरा कुमार का जन्म हुआ था। हालांकि शुरूआत में उनका राजनीति से कोई नाता नहीं था।
भारतीय संसद में लोकसभा की पहली महिला अध्यक्ष मीरा कुमार ने नई इबारत लिखी। मीरा कुमार को सर्वसम्मति से 15वीं लोकसभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। बता दें कि इस पद के लिए निर्वाचित होने वाली मीरा कुमार पहली दलित महिला भी हैं। इसके अलावा वह 8वीं, 11वीं, 12वीं और 15वीं लोकसभा की सदस्य भी रहीं। आज ही के दिन यानि की 31 मार्च को उनका जन्म हुआ था। मीरा कुमार की पहचान एक कुशल भारतीय राजनीतिज्ञ के तौर पर होती है। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर मीरा कुमार की जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें...
जन्म और शिक्षा
बिहार के पटना में 31 मार्च 1945 को जन्मी मीरा कुमार के पिता का नाम बाबू जगजीवन राम और माता का नाम इंद्राणी देवी था। उनके पिता बाबू जगजीवन राम स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक न्याय हेतु संघर्ष करता और उप प्रधानमंत्री थे। वहीं मीरा कुमार की माता इंद्राणी देवी स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता होने के साथ ही एक लेखिका भी थीं। उन्होंने अनेकों पुस्तकें लिखी हैं। वहीं मीरा को बचपन से ही अपने माता-पिता से राजनीति के गुर मिले। उन्होंने अपनी शिक्षा इन्द्रप्रस्थ कॉलेज, मिरांडा हाउस और दिल्ली विश्वविद्यालय से की। मीरा कुमार ने मास्टर ऑफ़ आर्ट्स, विधि स्नातक और स्पैनिश में एडवांस्ड डिप्लोमा की डिग्री हासिल की है। मीरा कुमार की कई भाषाओं में अच्छी पकड़ है।
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शादी और करियर
साल 1968 में मीरा ने उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता मंजुल कुमार से शादी की। इनके एक बेटा और दो बेटियां हैं। बेटे का नाम अंशुल और बेटी का नाम स्वाति और देवांगना है। शादी के बाद साल 1973 में वह भारतीय विदेश सेवा (IAS) का मौका मिला। इसके बाद वह कुछ सालों तक स्पेन, ब्रिटेन और मॉरीशस सर्विस देती रहीं। लेकिन मीरा कुमार को अफसरशाही रास ही नहीं आई और उन्होंने राजनीति में करियर को आगे बढ़ाने का फैसला लिया।
राजनीतिक सफर
मीरा कुमार का राजनीति में प्रवेश 80 के दशक में हुआ था। साल 1985 में वह पहली बार बिजनौर से सांसद चुनी गईं। इसके बाद साल 1990 में उन्हें कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की सदस्य और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की महासचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी गई। फिर साल 1996 में वह दूसरी बार सांसद चुनी गईं और तीसरी पारी की शुरूआत मीरा कुमार ने साल 1998 में की। बिहार के सासाराम से साल 2004 में लोकसभा सीट जीती। बता दें कि मीरा कुमार जी एम सी बालायोगी के बाद दूसरी ऐसी दलित नेता हैं जो इस पद तक पहुंची हैं।
मीरा कुमार शायद देश की पहली महिला नेता हैं, जिन्होंने यूपी, दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों से लोकसभा पहुंचने का गौरव हासिल किया है। वहीं साल 2017 में मीरा कुमार को संयुक्त विपक्ष ने वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के खिलाफ प्रत्याशी बनाया था। लेकिन यहां पर उनको हार का मुंह देखना पड़ा था। मीरा कुमार को राजीव गांधी ने राजनीति में आने का ऑफर किया था। जिसे स्वीकार करने के बाद उन्हें जीवन में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।
कई बार किया हार का सामना
भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाली मीरा कुमार को कई बार हार का भी सामना करना पड़ा। साल 1989 में मीरा कुमार बिजनौर से बिहार आईं और सासाराम सीट से चुनाव लड़ा। लेकिन यहां से उन्हें जनता दल के नेता छेदी पासवान ने शिकस्त दी थी। इसके बाद साल 1991 में और साल 1999 में दिल्ली की करोलबाग सीट से बीजेपी की अनीता आर्या से हार मिली थी। इसके अलावा साल 2014 और 2019 में मोदी लहर होने के कारण मीरा कुमार को सासाराम सीट से एक बार फिर हार मिली थी।
विशेष रुचि
हिंदी में कविताएँ लिखना, जिनमें से बहुत सी प्रकाशित हुई हैं।
राइफल शूटिंग
भारतीय शास्त्रीय संगीत तथा नृत्य।
अश्वारोहण।
अध्ययन (समसामयिक इतिहास, कहानियां)
सांस्कतिक विरासत, प्राचीन स्मारकों, भारतीय शिल्पकला, परिधानों का संरक्षण।
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