विज्ञापनों तक सीमित हो गई कांग्रेस की नीति, मुख्यमंत्रियों में मची होड़
चुनाव सम्पन्न हो गए और नतीजे भी आ गए और साल 2014 के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटों में एकतरफा इजाफा हुआ। चारों तरफ इश्तहार छपे, नेताओं ने जमकर बधाइयां दीं और कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस 52 सीटों पर सिमट गई लेकिन इन चुनावों से पहले कांग्रेस को तीन हिन्दी राज्य मिल गए।
इतिहास में सभी ने 70 सालों तक राज करने वाले कांग्रेस के बारे में पढ़ा है और आज जो कुछ हो रहा है वो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास होगा। ऐसा में क्या आने वाली पीढ़ियों के बीच से हमारा इतिहास गायब तो नहीं हो जाएगा। यह एक बेहद मुश्किल सवाल है ? जिसके बारे में विचार की करने की आवश्यकता है। राजनीतिक पार्टियों की बात की जाए तो साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ा है और इसी बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए साल 2019 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष में सत्ताधारी पार्टी को कुर्सी से उतारने के लिए महागठबंधन तैयार किया और आरोप लगाए कि चौकीदार चोर है, सरकारी एजेंसियों को समाप्त किया जा रहा वगैरह-वगैरह...
चुनाव सम्पन्न हो गए और नतीजे भी आ गए और साल 2014 के मुकाबले इस बार भाजपा की सीटों में एकतरफा इजाफा हुआ। चारों तरफ इश्तहार छपे, नेताओं ने जमकर बधाइयां दीं और कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस 52 सीटों पर सिमट गई लेकिन इन चुनावों से पहले कांग्रेस को तीन हिन्दी राज्य मिल गए। ये राज्य थे- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं। हालांकि इनके अलावा कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी को पंजाब में बचाए रखा है। ऐसे में अब लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए कांग्रेस ने विज्ञापन का सहारा ले लिया है। लेकिन प्रचार-प्रसार के इस दौर में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की आपस में ही होड़ मची हुई है।
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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के अवसर पर कांग्रेसशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने यहां के समाचार पत्रों को विज्ञापन सौंपा था जो आज के अखबारों में प्रकाशित हुआ है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का विज्ञापन सामान्य ही दिखाई दिया राजस्थान के मुख्यमंत्री की तुलना में। लेकिन जब राजनीति की बात आती है तो मध्य में हमेशा मध्य प्रदेश ही रहा है और भला वह राजस्थान और छत्तीसगढ़ से पीछे कैसा हो जाता। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर दो पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया ताकि लोगों को आभास रहे कि कांग्रेस का अभी अंत नहीं हुआ है।
सबसे पुरानी पार्टी को आज अध्यक्ष नहीं मिल पा रहा है क्योंकि वह कभी गांधी-नेहरू परिवार के इर्द-गिर्द से निकलना ही नहीं चाहती है और रही विज्ञापन की बात तो हाल ही में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि इस सप्ताह हम राजीव गांधी जी की 75वीं जयंती के अवसर पर पूरे देश में स्मृति कार्यक्रम आयोजित करेंगे। उन्होंने देश के आईटी क्षेत्र में राजीव गांधी के योगदान पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि उनके सम्मान में इस सप्ताह हर दिन मैं अपने पिता की एक उल्लेखनीय उपलब्धि की ओर ध्यान खीचूंगा।
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डिजिटल प्लेटफार्म में कांग्रेस ने गंवाई अपनी पहचान
लोकसभा चुनाव के दौरान डिजिटल प्लेटफॉर्म यानी की फेसबुक और गूगल में विज्ञापन देने के मामले में सबसे ऊपर भाजपा रही। भाजपा ने फेसबुक को तकरीबन 5.1 करोड़ रुपए का तो गूगल को 1.2 करोड़ रुपए का विज्ञापन दिया था। जबकि इस मामले में कांग्रेस दूर-दूर तक भाजपा के आस-पास दिखाई नहीं दी और यही वजह थी कि वह लोगों को खुद से जोड़ भी नहीं पाई। कांग्रेस ने इश्तहार के लिए फेसबुक पर 5.6 लाख रुपए और गूगल पर 50 हजार रुपए खर्च किए।
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