विद्युत संशोधन विधेयक के विरोध में हैं भगवंत मान, बोले- ...ये फेडरल स्ट्रक्चर के लिए अच्छी बात नहीं
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि विद्युत संशोधन विधेयक लाना ही नहीं चाहिए था अगर इसे आते ही स्थायी समिति में भेजना था। इसका मतलब सरकार को पता चल गया कि इसका कितना विरोध होगा। आप राज्यों से जो अधिकार छीन रहे हो ये फेडरल स्ट्रक्चर के लिए अच्छी बात नहीं है। हम इसका विरोध करते हैं।
नयी दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को विद्युत संशोधन विधेयक 2022 पेश किया गया। जिसका विपक्षी दलों के सांसदों ने विरोध किया और इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री आर के सिंह ने कहा कि वह इस विधेयक को विचार के लिए संसद की स्थायी समिति को भेजने का आग्रह करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं इस विधेयक को विचारार्थ संसद की स्थायी समिति के समक्ष भेजने का आग्रह करता हूं। इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस विधेयक को लेकर सरकार की आलोचना की।
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भगवंत मान ने किया विधेयक का विरोध
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि विद्युत संशोधन विधेयक लाना ही नहीं चाहिए था अगर इसे आते ही स्थायी समिति में भेजना था। इसका मतलब सरकार को पता चल गया कि इसका कितना विरोध होगा। आप राज्यों से जो अधिकार छीन रहे हो ये फेडरल स्ट्रक्चर के लिए अच्छी बात नहीं है। हम इसका विरोध करते हैं।
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विद्युत संशोधन विधेयक 2022 में बिजली वितरण क्षेत्र में बदलाव करने, नियामक तंत्र को मजबूत बनाने एवं व्यवस्था को सुसंगत बनाने का प्रस्ताव किया गया है। निचले सदन में ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने विद्युत संशोधन विधेयक 2022 पेश किया। हालांकि विपक्षी दलों के विरोध के बाद इसे स्थायी समिति को भेजने का आग्रह किया गया।
इससे पहले सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से मूल कानून के उद्देश्य प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निजीकरण की दिशा में कदम है।
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