चीन ने LAC पर की घुसपैठ की कोशिश, भारत ने दिया मुंहतोड़ जवाब: राजनाथ
राजनाथ ने ऐलान किया कि पैंगोंग को लेकर चीन से समझौता हुआ है और आपसी सहमति से सेनाएं पीछे हटेंगी। समझौते के मुताबिक 48 घंटों में दोनों सेनाएं पीछे हट जाएंगी। उन्होंने कहा कि चीन ने LAC पर की घुसपैठ की कोशिश की थी जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
एलएसी पर भारत और चीन के बीच में तनाव को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज राज्यसभा में बयान दिया। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत 3 सिद्धांतों पर समाधान चाहता है। सबसे पहले, दोनों पक्षों को एलएसी पर सहमत होना चाहिए और इसका सम्मान करना चाहिए। दूसरे, किसी भी पक्ष द्वारा एकतरफा स्थिति बदलने का प्रयास नहीं होना चाहिए। तीसरा, सभी समझौतों पर दोनों पक्षों द्वारा पूरी तरह से सहमति होनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि हमारी सेना कई अहम लोकेशन पर मौजूद है और हम LAC में मजबूत स्थिति में है। राजनाथ ने ऐलान किया कि पैंगोंग को लेकर चीन से समझौता हुआ है और आपसी सहमति से सेनाएं पीछे हटेंगी। समझौते के मुताबिक 48 घंटों में दोनों सेनाएं पीछे हट जाएंगी। उन्होंने कहा कि चीन ने LAC पर की घुसपैठ की कोशिश की थी जिसका भारत ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
राजनाथ ने साफ तौर पर कहा कि भारत पर 1 इंच भी अपनी जमीन किसी को लेने नहीं देगा। बातचीत के लिए हमारी रणनीति तथा दृष्टिकोण माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी के इस दिशा निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच ज़मीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं। उन्होंने कहा कि चीन द्वारा पिछले साल भारी संख्या में एलएसी पर गोला बारूद इकट्ठा कर लिया गया था। हालांकि हमारी सेनाओं ने उपायुक्त जवाबी कार्रवाई की थी। सितंबर में दोनों पक्षों के बीच बातचीत शुरू हुई। फिलहाल यथास्थिति बनाना हमारा पहला लक्ष्य है।Our sustained talks with China have led to agreement on disengagement on the north and south banks of Pangong Lake. After this agreement, India-China will remove forward deployments in a phased, coordinated manner: Defence Minister Rajnath Singh in Rajya Sabha pic.twitter.com/eJgtU4aJWJ
— ANI (@ANI) February 11, 2021
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राज्यसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि फ्रिक्शन क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट जो एक-दूसरे के बहुत नजदीक हैं वे दूर हो जाएं और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थाई एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं। पिछले साल से, हमने चीन के साथ सैन्य और राजनयिक स्तरों पर संबंध बनाए रखा है। वार्ता के दौरान, हमने चीन से कहा कि हम तीन सिद्धांतों पर आधारित मुद्दे का समाधान चाहते हैं।
हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देंगे: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं। राज्यसभा में सिंह ने कहा कि भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। हमारे दृढ़ संकल्प का ही फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं।’’ रक्षा मंत्री ने कहा कि विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘‘पहला, दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए। दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए। तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए।’’
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रक्षा मंत्री ने देश को आश्वस्त किया कि ‘‘इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है’’। उन्होंने बताया ‘‘मैं सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूं कि अभी भी एलएसी पर तैनाती और निगरानी के बारे में कुछ मुद्दे बचे हैं। उन्होंने कहा,‘‘इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा।’’ सिंह ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौतों तथा प्रोटोकॉल के तहत सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द कर ली जाए। उन्होंने कहा, ‘‘चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है। यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर शेष मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा।’’ सीमा पर विषम परिस्थितियों के बीच जवानों की बहादुरी की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री नेकहा, ‘‘यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे जगत को जायेगा।
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