Prabhasakshi NewsRoom: 370 वाले फैसले पर चीन ने उगली आग, RSS ने पलटवार कर कहा- PoK के साथ China Occupied Kashmir (CoK) भी वापस आना चाहिए

Indresh Kumar
ANI

हम आपको यह भी बता दें कि अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बहाल रखने के फैसले पर माओ ने मंगलवार को कहा था, ''कश्मीर के मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट और अडिग रहा है।''

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगाई तो पाकिस्तान से लेकर चीन और इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी तक खलबली मच गयी। पाकिस्तान ने हास्यास्पद बयान देते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 पर भारत के उच्चतम न्यायालय के फैसले का ‘कोई कानूनी महत्व नहीं’ है तो वहीं इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अपनी एकजुटता दर्शाते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले पर चिंता प्रकट कर दी। वहीं चीन ने दो बयान दिये। पहले में उसने कहा कि कश्मीर पर उसके रुख में परिवर्तन नहीं हुआ है और लद्दाख के मुद्दे पर ड्रैगन ने कहा है कि हम केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता ही नहीं देते। दूसरी ओर चीन की इस ड्रैगन गिरी पर आरएसएस ने कहा है कि हमें सिर्फ पीओके वापस नहीं चाहिए हमें चीन के कब्जे वाला कश्मीर यानि सीओके भी वापस चाहिए। हम आपको बता दें कि आरएसएस का यह बयान ऐसे समय आया है जब मोदी सरकार के कई मंत्री यह बयान दे रहे हैं कि पीओके को वापस भारत में मिलाकर रहेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोमवार को संसद में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो विधेयकों पर चर्चा का जवाब देते हुए था कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है और कोई भी इसे छीन नहीं सकता।

जहां तक चीन के बयान की बात है तो आपको बता दें कि उसने कहा है कि भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 पर दिए गए उस फैसले का असर भारत-चीन सीमा के पश्चिमी हिस्से को लेकर उसके दावे पर नहीं पड़ेगा जिसमें जम्मू-कश्मीर से अलग करके लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के केंद्र के निर्णय को बरकरार रखा गया है। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत सरकार के फैसले की वैधता को बरकरार रखने वाले अदालत के फैसले के बारे में पूछे जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने सवांददाताओं से कहा, ‘‘चीन ने कभी भी तथाकथित केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को मान्यता नहीं दी है जिसे भारत ने एकतरफा और अवैध तरीके से बनाया हैं”। चीन की सरकारी मीडिया कंपनी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में निंग ने कहा, ''भारत के घरेलू न्यायिक फैसले से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी हिस्से के तथ्य नहीं बदलेंगे और वह हमेशा चीन का रहा है।’’

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हम आपको यह भी बता दें कि अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बहाल रखने के फैसले पर माओ ने मंगलवार को कहा था, ''कश्मीर के मुद्दे पर चीन का रुख स्पष्ट और अडिग रहा है।’’ उन्होंने कहा, ''अतीत से चले आ रहे कश्मीर मुद्दे का संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौते के अनुसार शांतिपूर्ण और उचित तरीके से समाधान करने की आवश्यकता है।’’ अनुच्छेद 370 को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए चीन ने कहा कि कश्मीर मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद और मंत्रणा के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।

दूसरी ओर, संघ के बयान की बात करें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा है कि न सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) बल्कि चीन के कब्जे वाला कश्मीर (सीओके) भी भारत में होना चाहिए। इंद्रेश कुमार ने एक समाचार एजेंसी को दिये साक्षात्कार में दावा किया कि अब वह दिन दूर नहीं जब देश को इसमें भी सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘‘अब तो पीओके ही नहीं सीओके भी आना चाहिए। कैलाश मानसरोवर चीन से मुक्त होना चाहिए। लद्दाख का जो बहुत बड़ा भू-भाग, जम्मू-कश्मीर का जो भू-भाग चीन के कब्जे में है, वह भी आना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह दिन दूर नहीं है, जब इसमें सफलता मिलेगी।’’ हम आपको बता दें कि चीन के कब्जे वाले कश्मीर (सीओके) में 37,555 वर्ग किलोमीटर अक्साई चीन और 5,180 वर्ग किलोमीटर शक्सगाम और छीना हुआ क्षेत्र शामिल है। इस पर चीन का अवैध कब्जा है। भारत का कहना है कि अक्साई चीन सहित पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है जबकि चीन ने हमेशा दावा किया है कि अक्साई चिन शिनजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र (शिनजियांग उइगुर) है।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर के घर-घर और गांव-गांव में आज खुशहाली आई है और वहां एक नए सूर्य का उदय हुआ है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जहां पहले ‘भारत माता की जय’ के नारे तक नहीं लगाए जाते थे आज वहां न सिर्फ यह नारा लगता है बल्कि ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा’ भी गुनगुनाया जाता है। 

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