सीबीआई ने टीएमसी नेता चटर्जी को 3.74 करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले में किया गिरफ्तार

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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता एवं पश्चिम बंगाल में बर्दवान नगर पालिका अध्यक्ष प्रणब चटर्जी को एक चिटफंड योजना संचालित करने वाले एक ट्रस्ट से कथित तौर पर 3.74 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

नयी दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता एवं पश्चिम बंगाल में बर्दवान नगर पालिका अध्यक्ष प्रणब चटर्जी को एक चिटफंड योजना संचालित करने वाले एक ट्रस्ट से कथित तौर पर 3.74 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि प्राथमिकी में चटर्जी का नाम नहीं था और उनकी कथित भूमिका सनमार्ग वेल्फेयर आर्गेनाइजेशन द्वारा कथित तौर पर संचालित चिटफंड योजनाओं के खिलाफ तीन साल तक चली लंबी जांच के दौरान सामने आयी थी।

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चटर्जी को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया और उन्हें आसनसोल की एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें दो दिन की सीबीआई हिरासत में भेज दिया गया। अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान, सीबीआई ने पाया कि चटर्जी ट्रस्ट सनमार्ग वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन और न्यासियों से नजदीकी तौर पर जुड़े थे। चटर्जी ट्रस्ट के पंजीकरण से कथित रूप से जुड़े थे और उन्होंने ट्रस्ट को अपने वाणिज्यिक परिसर से अवैध जमा संग्रह व्यवसाय चलाने की अनुमति दी। सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी ने कहा, ‘‘जांच के दौरान यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी (चटर्जी) ने अन्य आरोपियों (न्यासियों) के साथ साजिश करके विभिन्न तरीकों से निजी इस्तेमाल के लिए ट्रस्ट से 3.74 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।’’ सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया कि आरोपियों, सनमार्ग वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्षसौम्यरूप भौमिक और अन्य ने नियामक प्राधिकरणों से अपेक्षित अनुमति के बिना बड़े पैमाने पर लोगों को अपनी योजनाओं में निवेश करने के लिए आकर्षित किया और उन्हें अवधि पूरी होने पर उच्च दर के साथ रकम वापस करने का वादा किया।

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प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह भी आरोप है कि बड़ी संख्या में निवेशकों ने अपनी मेहनत की कमाई का निवेश ट्रस्ट के में किया। यह भी आरोप लगाया गया कि ट्रस्टी ने निवेशकों को धोखा दिया, उनकी गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग किया, शाखाओं को बंद कर दिया और भाग गए।’’ सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चिटफंड धोखाधड़ी के मामलों की जांच 9 मई 2014 को अपने हाथ में ली थी।

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