वित्त मंत्री से लेकर जेल तक का सफर, हमेशा विवादों में घिरे रहे चिदंबरम
पी चिदंबरम एक अच्छे और समझदार नेता माने जाते है लेकिन कई अवसर पर उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से उनकी आलोचना भी जमकर हुई। साल 2011 में जब जनलोकपाल आंदोलन हो रहे थे तब पी चिदंबरम देश के गृहमंत्री का पद संभाले हुए थे।
भारत में पी. चिदंबरम की गिनती उस शख्सियत में की जाती है जिन्हें पैसे को चलाने का हुनर बखूबी से आता है। भारत के पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम का जन्म 16 सितंबर 1945 को तमिलनाडु के गांव कनाडुकथन में हुआ था। उनका पूरा नाम पलानीअप्पन चिदंबरम है। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई से पूरी की। बोस्टन के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल की। कॅरियर के शुरूआती दौर में चिदंबरम ने चैन्नई हाईकोर्ट में वकलात किया और 1984 में उन्हें वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया गया। उन्होंने राज्यों के हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में वकालत की। परिवार में पत्नी नलिनी चिदंबरम और एक बेटा कार्ति चिदंबरम है।
काफी आलोचनाओं के शिकार हुए चिदंबरम
पी चिदंबरम एक अच्छे और समझदार नेता माने जाते है लेकिन कई अवसर पर उनके द्वारा लिए गए निर्णयों से उनकी आलोचना भी जमकर हुई। साल 2011 में जब जनलोकपाल आंदोलन हो रहे थे तब पी चिदंबरम देश के गृहमंत्री का पद संभाले हुए थे। दिल्ली पुलिस ने कानून व्यव्सथा बिगड़ने का हवाला देकर जब अन्ना हजारे को गिरफ्तार किया गया था और दिल्ली के तिहाड़ जेल में भेज दिया गया था, तब पी चिदंबरम पर उंगली उठाई गई थी। अन्ना हजारे मामले की गिरफ्तारी मामले में चिदंबरम को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। वहीं रामलीला मैदान में योगगुरु बाबा रामदेव के समर्थकों पर लाठीचार्ज होने के मामले में भी पी चिदंबरम पर कई सवाल उठाए गए थे।
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पी. चिदंबरम ने 1972 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता हासिल की और उसके अगले साल ही यानि की 1973 में चिदंबरम ने तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव की कमान संभाली। सक्रिय राजनिति में चिदंबरम साल 1984 में आए, जब वह शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीते। इस सीट से उन्होंने लगातार 6 बार जीत हासिल की। साल 1986 में पी. चिदंबरम ने लोक-शिकायत व पेंशन मंत्रालय के साथ कार्मिक मंत्रालय में भी मंत्री का पद ग्रहण किया। उन्हें इसी साल के अक्टूबर में केन्द्रीय गृह मंत्रालय में,आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई। पी चिदंबरम ने राजीव गांधी सरकार के अतंगर्त कार्मिक मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय में उप-मंत्री के तौर पर भी कार्य किया।
जब मनमोहन की सरकार सत्ता में आई तब पी चिदंबरम को वित्त मंत्रालय सौंपा गया। इस पद पर वह साल 2008 तक रहे। जब 2008 में मुबंई आंतकी हमले हुए तो तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह पर पी चिदंबरम को गृहमंत्री की कमान सौंपी गई।
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हमेशा विवादों में घिरे रहे पी चिदंबरम
विवादों से पी चिदंबरम का अटूट नाता है। ससंद में हिंदी भाषा सासंद और हिंदुओं के खिलाफ टिप्पणी करने के आरोप लगाए गए तो वहीं उनपर यह आरोप भी लगे की वह राजीव गांधी ट्रस्ट के निदेशकों में से एक है।
इंद्राणी मुखर्जी के एक बयान पर चिदंबरम को जाना पड़ा जेल
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सीबीआई हिरासत में ले गई थी। इसका कारण था इंद्राणी मुखर्जी का बयान। इंद्राणी मुखर्जी के एक बयान के कारण चिदंबरम को जेल की हवा खानी पड़ी थी। हालांकि, इंद्राणी जो खुद अपनी बेटी शीना बोरा की हत्या के आरोप में जेल में बंद है, के एक बयान से देश की राजनीति में भूचाल मचा गया था। जानकारी के लिए बता दें कि इंद्राणी मुखर्जी एक पूर्व मानव संसाधन सलाहकार और मीडिया कार्यकारी है। इंद्राणी और उनके प्रेमी सिद्धार्थ दास की बेटी शीना बोरा के मर्डर केस में वो पुलिस की हिरासत में है। इंद्राणी मुखर्जी ने एजेंसी को दिए गए बयान में बताया था, "आईएनएक्स मीडिया द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड को आवेदन दिए जाने के बाद वह अपने पति और कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ चिदंबरम से मिलने उनके दिल्ली के उत्तरी ब्लॉक ऑफिस में गई थी।"
- निधि अविनाश
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