जाति आधारित गणना की प्रामाणिकता संदिग्ध,गणनाकार ने मुझसे मुलाकात नहीं की:रविशंकर

Ravi Shankar Prasad
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बिहार सरकार ने सोमवार को जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किये। जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बिहार की कुल जनसंख्या 130725310 में से 63 प्रतिशत लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) श्रेणी से हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक बिहार की आबादी में 19 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति (एससी) हैं जबकि एक प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) से आते हैं।

भारतीय जनता पार्टी़ (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बिहार में जाति आधारित गणना कराने में नीतीश कुमार सरकार द्वारा अपनाई गयी प्रक्रिया और इस सर्वेक्षण की प्रामाणिकता पर संदेह जताते हुए बुधवार को कहा कि इस कार्य में शामिल गणनाकार यहां सर्वेक्षण के दौरान उनसे या उनके परिवार से मुलाकात कर आंकडे इकट्ठा नहीं किए। पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘भाजपा ने शुरू से ही राज्य में जातिगत सर्वेक्षण का समर्थन किया। भाजपा देश में दलितों, गरीबों और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन हम पूछना चाहते हैं कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य में किस तरह का सर्वेक्षण (जातिगत जनगणना) कराया है, आंकडा कैसे एकत्र किया गया, यह सवाल जरूर पूछा जाएगा।

मैं पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित सांसद हूं, लेकिन गणनाकर्ता इस अभ्यास के दौरान न तो मुझसे और न ही मेरे परिवार के सदस्यों से मिले।’’ उन्होंने कहा कि इसलिए इस सर्वेक्षण को करने में राज्य सरकार द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया और इस सर्वेक्षण की प्रामाणिकता पर निश्चित रूप से सवाल उठाया जाएगा। रविशंकर ने कहा, ‘‘हम सरकार से सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग करते हैं ताकि लोगों को पता चल सके कि गणनाकारों ने कितने परिवारों से संपर्क किया और कुल कितने हस्ताक्षर (परिवार के मुखिया के) लिए गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गणनाकर्ताओं को अभ्यास के दौरान परिवार के मुखिया के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लेना था। मेरे मामले में ऐसा नहीं किया गया। मुझे पता चला है कि कोई (गणनाकर्ता) आया और मेरे घर के बाहर खड़े एक व्यक्ति से मेरे परिवार के बारे में पूछा और चला गया।

हमें बड़ी संख्या में लोगों से ऐसी ही शिकायतें मिल रही हैं। ऐसी खबरें हैं कि कई क्षेत्रों को, जहां एससी-एसटी, ओबीसी और अत्यंत पिछड़े वर्ग के लोग बडी संख्या में हैं , को अभ्यास के दौरान छोड़ दिया गया।’’ रविशंकर ने आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद राज्य सरकार द्वारा एससी-एसटी, ओबीसी और अत्यंत पिछड़े वर्गों के बीच विभाजन पैदा करने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि केंद्र की राजग सरकार एससी-एसटी, ओबीसी और समाज के अत्यंत गरीब वर्गों के सशक्तिकरण और उत्थान के लिए अथक प्रयास कर रही है।

रविशंकर ने कहा कि भाजपा के पास सबसे अधिक संख्या में निर्वाचित सांसद, विधायक हैं जो समाज के इन वर्गों से हैं। बिहार सरकार ने सोमवार को जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किये। जातिगत सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार बिहार की कुल जनसंख्या 130725310 में से 63 प्रतिशत लोग अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) श्रेणी से हैं। सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक बिहार की आबादी में 19 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति (एससी) हैं जबकि एक प्रतिशत लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) से आते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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