NASA को भी चकमा दे रहे पराली वाले किसान? कोरियाई सेटेलाइट के चौंकाने वाले आंकड़े कर देंगे हैरान
नासा की सैटेलाइट पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और दिल्ली समेत भारत के ज्यादातर राज्यों पर नजर रखती हैं। इस सेटेलाइट में ये पकड़ में आ जाता है कि कहां-कहां पराली जलाई जा रही है। लेकिन नासा के वैज्ञानिकों का शक है कि पंजाब और हरियाणा के किसान सेटेलाइट को चकमा दे रहे हैं।यह सामने आया है कि पंजाब राज्य में किसान कथित तौर पर उपग्रह निगरानी से बचने के लिए चतुर रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं ताकि यह दर्शाया जा सके कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही हैं।
भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए भारत के कई राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में पराली जलाने की घटनाएं एक बड़ी चिंता का विषय बनती जा रही हैं। हालाँकि, हाल की रिपोर्टों से पता चला है कि पंजाब अभी भी खेतों में आग लगने की घटनाओं में सबसे आगे है, लेकिन पिछले वर्षों की तुलना में इसमें काफी कमी आई है। इसे एक स्वागतयोग्य बदलाव के तौर पर देखा गया। लेकिन, अब विशेषज्ञों ने संकेत दिया है कि पराली जलाने में गिरावट दिखाने वाला डेटा भ्रामक हो सकता है और किसान आग की घटनाओं की निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सैटेलाइट को धोखा दे सकते हैं। इस तरह की पर्यावरणीय चिंताओं पर नज़र रखने और उन्हें कम करने के लिए उपग्रह निगरानी एक मुख्य उपकरण बन गई है। एनडीटीवी द्वारा विशेष रूप से रिपोर्ट किए गए नए सबूतों से पता चला है कि किसान सैटेलाइट सर्विलांस से बचने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पराली जलाने के समय में बदलाव, पहचान से बचने के लिए किसानों द्वारा किया गया एक सुनियोजित प्रयास हो सकता है।
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पराली जलाने की घटनाओं में कैसे आई कमी?
नासा की सेटेलाइट द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में खेतों में आग लगने की संख्या नाटकीय रूप से कम हो गई है। 2021 में लगभग 79,000 से घटकर 2023 में लगभग 32,000 हो गई है। 10 नवंबर तक, पंजाब राज्य में किसानों द्वारा पराली जलाने की सिर्फ 6,611 घटना दर्ज की गई है, जो कि 32000 से कम है। इसी तरह हरियाणा में साल 2020 में 3710, 2021 में 6094, 2022 में 3272, 2023 में 2031 और 2024 में अब तक सिर्फ 1082 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। अब सवाल ये उठ रहा है कि जब प्रदूषण का स्तर नहीं घट रहा, तो फिर पराली जलाने की घटनाएं साल-दर-साल कम कैसे हो रही।
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नासा की सैटेलाइट करती है निगरानी
नासा की सैटेलाइट पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और दिल्ली समेत भारत के ज्यादातर राज्यों पर नजर रखती हैं। इस सेटेलाइट में ये पकड़ में आ जाता है कि कहां-कहां पराली जलाई जा रही है। लेकिन नासा के वैज्ञानिकों का शक है कि पंजाब और हरियाणा के किसान सेटेलाइट को चकमा दे रहे हैं।यह सामने आया है कि पंजाब राज्य में किसान कथित तौर पर उपग्रह निगरानी से बचने के लिए चतुर रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं ताकि यह दर्शाया जा सके कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं कम हो रही हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में 71% की कमी लाने के लिए पंजाब की प्रशंसा की। हालाँकि, वैज्ञानिक सवाल कर रहे हैं कि क्या आग की घटनाओं में बताई गई गिरावट जमीनी हकीकत को पर्याप्त रूप से दर्शाती है। नासा से जुड़े वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने कहा कि यह सच नहीं है कि पंजाब और हरियाणा में खेतों में आग लगने की घटनाएं कम हो गई हैं। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह पंजाब में खेत में आग लगने की घटनाएं अकेले 7000 का आंकड़ा पार कर गईं और 400 नए मामले सामने आए।
किसानों ने कैसे ढूंढ़ी नासा सैटेलाइट से बचने की राह
नासा की सैटेलाइट पंजाब और हरियाणा के ऊपर से लगभग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट के आसपास गुजरती है। नासा के वैज्ञानकिों का अनुमान है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों को ये टाइमिंग पता चल गई है। अब ज्यादातर किसान अपने खेत में पराली डेढ़ बजे के बाद जला रहे हैं। जिससे ये सैटेलाइट की पकड़ से बच जा रहे हैं। पराली की आग कुछ घंटों में ही बुझ जाती है। ऐसे में दोबारा इन जगहों से सैटेलाइट के गुजरने से एरिया साफ नजर आता है।
कैसे खुली पोल?
दक्षिण कोरिया ने नासा के दावे पर मुहर लगा दी है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार कोरियाई वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पंजाब और हरियाणा के किसान दोपहर के बाद ही पराली जला रहे हैं। दक्षिण कोरिया की एक सेटेलाइट हर 10 मिनट में इन शहरों के ऊपर से गुजरती है। इस सेटेलाइट के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा और पंजाब में दोपहर के बाद पराली जलाई जा रही हैं।
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