Survey of Mathura Idgah: Ayodhya भी सजा दी है, Kashi भी सजा दी है, घनश्याम कृपा कर दो Mathura भी सजा देंगे...गाना गा रहे हैं लोग
हम आपको बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने के लिए अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने के लिए याचिका दायर की गयी थी।
अयोध्या, काशी और मथुरा...एक के बाद एक जिस तरह हिंदू आस्था के इन प्रमुख स्थलों से संबंधित विवाद हल होते जा रहे हैं उसको देखते हुए देश में खुशी की लहर देखी जा रही है। हम आपको बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के निकट शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमीश्नर नियुक्त करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद से सोशल मीडिया पर खासतौर पर लोग लिख रहे हैं कि कृष्णलला हम आयेंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे। हम आपको बता दें कि अदालत का यह फैसला ऐसे समय आया है जब देश 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य राम मंदिर में रामलला की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए जोरशोर से तैयारी कर रहा है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही देश ने काशी विश्वनाथ मंदिर के भव्य कॉरिडोर के उद्घाटन की पहली वर्षगाँठ धूमधाम से मनायी है।
हम आपको बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने के लिए अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने के लिए याचिका दायर की गयी थी। न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने 16 नवंबर को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। यह याचिका भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।
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अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की याचिका में कहा गया है कि वहां कमल के आकार का एक स्तंभ है जोकि हिंदू मंदिरों की एक विशेषता है और शेषनाग की एक प्रतिकृति है जो हिंदू देवताओं में से एक हैं और जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी। याचिका में यह भी बताया गया है कि मस्जिद के स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक हैं और नक्काशी में ये साफ दिखते हैं। याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया था कि निर्धारित समय सीमा के भीतर सर्वेक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपने के विशेष निर्देश के साथ एक आयोग का गठन किया जाये। इस पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराने का भी अनुरोध किया गया था। हम आपको याद दिला दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस वर्ष मई में मथुरा की अदालत में लंबित श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े सभी मुकदमे अपने पास स्थानांतरित कर लिए थे। अब अपना फैसला सुनाते हुए अदालत ने सर्वे की मंजूरी दे दी है। हाईकोर्ट ने सर्वे की मंजूरी के साथ ही साथ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने को भी कहा है। बताया जा रहा है कि मथुरा में होने वाला सर्वे ज्ञानवापी से थोड़ा अलग होगा।
इस बीच, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट और इस मामले के याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। वहीं दूसरी ओर अदालत के फैसले पर भड़कते हुए AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कानून का मजाक बना दिया गया है। ओवैसी ने अदालत का फैसला आने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, ''इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने की इजाजत दे दी। बाबरी मस्जिद मामले में आये फैसले के बाद मैंने कहा था कि संघ परिवार की शरारत बढ़ेगी।'' ओवैसी ने दावा किया कि मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद कमेटी और मंदिर ट्रस्ट ने आपसी सहमति से सुलझा लिया था। ओवैसी ने भड़कते हुए कहा कि जब एक पक्ष मुस्लिमों को लगातार निशाना बनाने में रुचि रखता है तो हमें देन-लेन का उपदेश ना दें। उन्होंने कहा कि कानून मायने नहीं रखता बल्कि मुसलमानों के सम्मान को ठेस पहुंचाना ही इनका मकसद है।
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