Ajit Pawar को क्यों आ रही है Sharad Pawar की याद? क्यों चाचा के पास वापस लौटने को बेताब हैं अजित पवार?

Ajit Pawar
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हम आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव में सुनेत्रा पवार ने महाराष्ट्र की बारामती सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार (राकांपा-एसपी) की प्रत्याशी सुप्रिया सुले को चुनौती दी थी, जो अजित के चाचा शरद पवार की बेटी हैं।

शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य माना जाता है लेकिन अब उनके भतीजे अजित पवार भी खुद को चाणक्य सिद्ध करने में लगे हुए हैं। पहले उन्होंने चाचा की बनाई हुई पार्टी तोड़ी, फिर पार्टी पर कब्जा किया और भाजपा के साथ गठबंधन कर राज्य सरकार में शामिल हो गये। लोकसभा चुनावों में नतीजे अपेक्षा के अनुरूप नहीं आये तो अब अजित पवार संभवतः पाला बदलने की सोच रहे हैं। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पिछले साल भर के समय में लिये गये कई निर्णयों के लिए वह इस समय माफी मांग रहे हैं। वह चाचा का अपमान बर्दाश्त नहीं करने की बात कह रहे हैं। वह कह रहे हैं कि बहन के खिलाफ अपनी पत्नी को चुनाव लड़वा कर गलती कर दी। वह मोदी सरकार की ओर से पूर्व में प्याज के निर्यात पर लगाये गये प्रतिबंध के फैसले को गलत ठहरा रहे हैं। इसके अलावा भी वह अपने कई वक्तव्यों और पार्टी नेताओं के वक्तव्यों के जरिये संकेत भेज रहे हैं कि यदि विधानसभा चुनावों से पहले सीटों पर समझौता उनके मन मुताबिक नहीं हुआ तो वह अलग राह अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं। हम आपको यह भी बता दें कि हाल ही में सुनेत्रा पवार ने शरद पवार के घर जाकर उनसे मुलाकात भी की थी। 

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा है कि उन्होंने हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को चचेरी बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ उतारकर गलती की थी। महाराष्ट्र में साल के अंत में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के बीच पहुंच बनाने की कवायद के तहत राज्य भर में ‘जन सम्मान यात्रा’ निकाल रहे अजित पवार ने कहा कि राजनीति को घर-परिवार से बाहर रखना चाहिए।

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हम आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव में सुनेत्रा पवार ने महाराष्ट्र की बारामती सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरद चंद्र पवार (राकांपा-एसपी) की प्रत्याशी सुप्रिया सुले को चुनौती दी थी, जो अजित के चाचा शरद पवार की बेटी हैं। हालांकि, इस चुनाव में सुनेत्रा को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन बाद में वह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं। हम आपको यह भी याद दिला दें कि पिछले साल जुलाई में अजित पवार और उनके वफादार विधायक एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे राकांपा दो फाड़ हो गई थी। बाद में निर्वाचन आयोग ने अजित के नेतृत्व वाले गुट को असली राकांपा घोषित किया था। दरअसल जुलाई 2023 में अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत कर दी थी और वह राकांपा को तोड़कर भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे।

अब अजित पवार ने कहा है, “मैं अपनी सभी बहनों से प्यार करता हूं। राजनीति को घर-परिवार से बाहर रखना चाहिए। मैंने सुनेत्रा को चुनाव मैदान में अपनी बहन के खिलाफ उतारकर गलती की। ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन (राकांपा के) संसदीय बोर्ड ने यह निर्णय लिया था। अब मुझे लगता है कि यह निर्णय गलत था।” यह पूछे जाने पर कि क्या वह अगले हफ्ते रक्षा बंधन पर अपनी बहन के यहां जाएंगे, अजित ने कहा कि वह अभी एक यात्रा पर हैं और अगर वह और उनकी बहनें उस दिन एक ही जगह पर होंगे, तो वह निश्चित तौर पर उनसे मिलेंगे।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने केवल विकास और किसानों, महिलाओं एवं युवाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं के मुद्दे पर बोलने तथा अपने खिलाफ आलोचना का जवाब नहीं देने का फैसला किया है। अजित ने यह भी कहा कि शरद पवार एक वरिष्ठ नेता और उनके परिवार के मुखिया हैं, इसलिए वह उनकी किसी भी आलोचना का जवाब नहीं देंगे। सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के शरद पवार को निशाना बनाए जाने के सवाल पर अजित पवार ने कहा कि महायुति गठबंधन के सहयोगियों को भी समझना चाहिए कि वे क्या बोल रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब हम साथ बैठते हैं, तो मैं अपनी राय जाहिर करता हूं।” 

संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने विपक्षी नेता शरद पवार को लेकर 'भटकती आत्मा' और 'भ्रष्टाचार के सरगना' संबंधी भाजपा की टिप्पणियों से जुड़े सवालों को टाल दिया। हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान "भटकती आत्मा" संबंधी टिप्पणी की थी जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुणे में भाजपा सम्मेलन के दौरान शरद पवार को "भ्रष्टाचार का सरगना" कहा था। अजित पवार ने कुछ हलकों से आ रहे उन दावों को भी खारिज कर दिया कि शरद पवार द्वारा स्थापित पार्टी को विभाजित करने और शिंदे-भाजपा गठबंधन के साथ आने के अपने फैसले से पहले वह शाह और अन्य भाजपा नेताओं से मिलने के लिए भेष बदलकर दिल्ली गए थे। उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं कर सकते।

हम आपको यह भी बता दें कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार को कहा था कि यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की पेशकश की होती तो वह पूरी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को अपने साथ ले आते। अजित पवार ने वर्तमान मुख्यमंत्री की जीवनी ‘योद्धा कर्मयोगी- एकनाथ संभाजी शिंदे’ के विमोचन के अवसर पर मजाकिया लहजे में कहा कि राजनीति में वह मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दोनों से वरिष्ठ हैं। हम आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में शिंदे और फडणवीस भी मौजूद थे। अजित पवार ने कहा, ‘‘सभी आगे निकल गए और मैं पीछे रह गया।’’ उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस पहली बार 1999 में और शिंदे 2004 में विधायक बने थे, जबकि वह पहली बार 1990 में विधानसभा के सदस्य बने थे। अजित पवार ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘मैंने कुछ लोगों से मजाक में कहा था कि जब आपने (भाजपा की ओर स्पष्ट इशारा करते हुए) एकनाथ शिंदे से कहा था कि वे इतने विधायकों के साथ आएं और उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा...तो आपको मुझसे पूछना चाहिए था। मैं पूरी पार्टी को साथ ले आता।’’ अजित पवार ने बनावटी गंभीरता के साथ कहा, ‘‘जीवन में होता वही है जो भाग्य में लिखा होता है।’’ अजित पवार की इस टिप्पणी पर वहां मौजूद लोग हंस पड़े थे।

हम आपको यह भी बता दें कि अजित पवार ने यह भी कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे का फार्मूला तय करते समय राज्य में सत्तारुढ़ गठबंधन में शामिल तीन दल उन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगे जहां से उनके मौजूदा विधायक हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हर पार्टी को वे सीट मिलेंगी, जितनी वर्तमान में उसके पास हैं। अगर सीट की अदला-बदली की जरूरत पड़ी तो सभी दल इसके लिए तैयार हैं। सीट बंटवारे के फार्मूले को जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा।” मराठा आरक्षण के पेचीदा मुद्दे पर अजित पवार ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी समुदाय को नाराज नहीं करना चाहती। अजित पवार ने कहा कि राज्य विधानसभा ने अतीत में मराठों को आरक्षण देने वाला कानून पारित किया था, लेकिन यह न्यायिक जांच में खरा नहीं उतरा।

साथ ही अजित पवार ने कहा है कि पिछले साल के अंत में प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का केंद्र का कदम एक गलती थी और इस फैसले से राज्य में लोकसभा चुनाव में सत्तारुढ़ 'महायुति' गठबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र प्याज का प्रमुख उत्पादक है। केंद्र सरकार ने आठ दिसंबर, 2023 को प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए 31 मार्च, 2024 तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसका राज्य के किसानों ने विरोध किया था। मार्च में निर्यात प्रतिबंध को अगले आदेश तक बढ़ा दिया गया था, लेकिन मई की शुरुआत में महाराष्ट्र के प्याज उत्पादक क्षेत्र में मतदान से कुछ दिन पहले इसे हटा लिया गया था।

पवार ने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध एक गलती थी और इसके लिए मैं माफी मांगता हूं। प्याज के निर्यात पर दोबारा प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। मैंने केंद्र सरकार को बता दिया है और राज्य सरकार में हम इस बात पर सहमत हैं कि प्याज के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा।" हम आपको बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष अपनी "जन सम्मान यात्रा" के तहत नासिक जिले के निफाड़ में एक सभा को संबोधित कर रहे थे। यह प्याज उत्पादन का प्रमुख केंद्र है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की यह यात्रा अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शुरू की गई है।

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