Adityan L1 अपने लक्ष्य के बेहद नजदीक पहुंचा, ISRO Chief ने बताई अहम जानकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सूर्य मिशन आदित्य एल 1 को लेकर कहा कि सूर्य का अध्ययन करने से जुड़े भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के तहत प्रक्षेपित ‘आदित्य एल1’ अंतरिक्ष यान अपने अंतिम चरण के करीब है।
भारत का महत्वपूर्ण मून मिशन आदित्य एल 1 इन दिनों सूर्य के बारे में अध्ययन करने के लिए निकल चुका है। आदित्य एल 1 को लेकर अब नई जानकारी सामने आई है, जिसको जानकर देश भर में खुशी का माहौल है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के इस बेहद महत्वाकांक्षी मिशन आदित्य एल 1 से संबंधित नया अपडेट सामने आया है। इसे लेकर खुद इसरो अध्यक्ष ने जानकारी साझा की है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सूर्य मिशन आदित्य एल 1 को लेकर कहा कि सूर्य का अध्ययन करने से जुड़े भारत के पहले अंतरिक्ष मिशन के तहत प्रक्षेपित ‘आदित्य एल1’ अंतरिक्ष यान अपने अंतिम चरण के करीब है। उन्होंने संभावना जताई कि एल1 बिंदु में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है।
इस संबंध में इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि पहले ध्वनि रॉकेट प्रक्षेपण के 60वें वर्ष के उपलक्ष्य में विक्रम साराबाई अंतरिक्ष केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आदित्य रास्ते में है। मुझे लगता है कि यह अपने अंतिम चरण में लगभग पहुंच गया है।’’ उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान के एल1 बिंदु में प्रवेश की अंतिम तैयारियां लगातार आगे बढ़ रही हैं। सोमनाथ ने कहा, ‘‘एल1 बिंदु में प्रवेश करने की अंतिम प्रक्रिया संभवत: सात जनवरी, 2024 तक पूरी हो जाएगी।’’ ‘आदित्य एल1’ का दो सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था।
इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा। ‘एल1’ बिंदु को सूर्य के सबसे निकट माना जाता है। ‘आदित्य एल1’ सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा।
जानें क्या है आदित्य एल 1
बता दें कि इसरो ने चंद्रयान की सफलता के बाद देश का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल 1 लॉन्च किया था। इस मिशन का मकसद करीब से सूर्य का निरीक्षण, इसके वातावरण और चुंबकीय क्षेत्र के बारे में स्टडी करना है। इसकी अहमियत इस बात से भी लगाया जा सकता है कि सोलर सिस्टम पर पड़ने वाले प्रभाव उपग्रह की कक्षा और उसके जीवन को बाधित कर सकते हैं। अंतरिक्ष के वातावरण को समझने के लिए यह मिशन खास है। भारत पहली बार सूरज पर रिसर्च करने जा रहा है। लेकिन अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। इन मिशन को पूरा करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपीयन स्पेस एजेंसी शामिल हैं। सबसे ज्यादा मिशन नासा ने भेजे हैं।
क्या है आदित्य-एल1 का उद्देश्य
आदित्य-एल1 का उद्देश्य ऊपरी सौर वायुमंडल की गतिशीलता का अध्ययन करना, सूर्य के चारों ओर प्लाज्मा वातावरण का निरीक्षण करना, कोरोना पर विभिन्न क्षेत्रों के तापमान, वेग और घनत्व को मापना, सौर गतिविधियों के अनुक्रम की पहचान करना, अंतरिक्ष मौसम के लिए चालकों का अध्ययन करना है।
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