दुनिया में सबसे तेजी से दौड़ रही इंडियन इकोनॉमी, अमेरिका-चीन को भी पछाड़ा, पढ़ें भारतीय अर्थव्यवस्था का 'आर्थिक विश्लेषण'
युद्ध के माहौल के बीच 2021-22 में 8.7 देश में जीडीपी की ग्रोथ रेट रही है। देश की इकोनॉमी पर संभावित वैश्विक मंदी और युद्ध का ज्यादा असर नहीं हुआ है।
मोदी सरकार को हर रोज अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर घेरने वाली विपक्षी पार्टियों के लिए भारत सरकार ने जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिए हैं। जिसमें दुनिया के बड़े देशों को पीछे छोड़ते हुए भारत की ग्रोथ रेट सबसे ज्यादा रही है। जिसमें जापान, यूएसए, चीन जैसे बड़े देशों को भारत ने पीछे छोड़ दिया है। कोरोना काल से उबरने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ रही है। अब भारत की इकोनॉमी दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है और वार्षिक वृद्धि दर 8.7 फीसदी तक पहुंच गई है। एक तरह यूक्रेन और रूस की जंग चल रही है। उसका पूरी दुनिया पर असर पड़ा है। साथ ही साथ कोरोना काल में जो कुछ भी हमने महामारी के दौर में झेला देश उससे उबरने की कोशिश करता हुआ नजर आ रहा है। ताजा आंकड़ों को देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि हम बहुत हद तक इसमें कामयाब भी हुए हैं। एक-एक आंकड़ें की डिटेल का हमने एमआरआई स्कैन किया और आपके लिए ये विश्लेषण तैयार किया।
युद्ध के माहौल के बीच 2021-22 में 8.7 देश में जीडीपी की ग्रोथ रेट रही है। देश की इकोनॉमी पर संभावित वैश्विक मंदी और युद्ध का ज्यादा असर नहीं हुआ है। इन्फ्रां और माइंस जैसे सेक्टर ने लंबी छलांग लगाई है। हालांकि आखिरी तिमाही में 4.1 के साथ जीडीपी ग्रोथ में थोड़ी सुस्ती देखी गई है। यानी पिछली तिमाही से ये आंकड़ा कम जरूर रहा है। लेकिन भविष्य के लिए अच्छे संकेत देता हुआ साफ तौर पर नजर आ रहा है।
जीडीपी क्या होती है इसे थोड़ा आसान भाषा में समझ लेते हैं
जीडीपी को हिंदी में सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। सकल का मतलब सभी, घरेलू मतलब घर संबंधी। यहां घर का आशय देश है। उत्पाद का मतलब प्रोडक्ट से है। कुल मिलाकर देश में हो रहा हर तरह का उत्पादन, उत्पादन कहां होता है खेतों, कारखानों में। कुछ साल पहले इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य बैंकिंग और कंप्यूटर जैसी अलग-अलग सेवाओं को भी जोड़ दिया गया। इस तरह उत्पादन और सेवा क्षेत्र की तरक्की या गिरावट का जो आंकड़ा होता है उसे जीडीपी कहते हैं। पिछले साल यानी वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ बेहतर हुई है। यानी कि पिछले साल की तुलना में इस साल प्रोडक्शन बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक चौथी तिमाही में देश की जीडीपी बढ़कर 40.78 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है, जो कि पिछले साल की चौथी तिमाही में 39.18 लाख करोड़ रुपये थी।
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चालू वित्त वर्ष | ग्रोथ रेट |
पहली तिमाही | 20.1 % |
दूसरी तिमाही | 8..4 % |
तिसरी तिमाही | 5.4 % |
चौथी तिमाही | 4.1 % |
औसत | 8.7 % |
कोरोना महामारी के बाद तेजी से उछाल
इसके औसत के आंकड़े को देखें जो 8.7 % हो वो सरकार के 8.9 % के अनुमानित आंकड़े से थोड़ा ही कम है। ये हमारे मुल्क के लिए बहुत ही अच्छे संकेत है। ऐसे वक्त में जब दुनिया संकट के बड़े दौर से गुजरती हुई नजर आ रही है। 2021-22 की चारो तिमाही के आंकड़ों को मिला दें तो ये 8.7 % होती है। बैक डेटा सीरिज के मुताबिक 22 साल में ये सबसे ज्यादा ग्रोथ है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि आने वाले वक्त में हमारी इकोनॉमी बेहतर दशा में होगी। महामारी और लॉकडाउन की वजह से 2020-21 में ग्रोथ रेट 6.6 % थी। एनएसओ के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीडीपी 147.36 लाख करोड़ रुपये हो गई जबकि एक साल पहले ये 135.58 लाख करोड़ रुपये रही थी। हालांकि मार्च 2022 में समाप्त वित्त वर्ष का वृद्धि आंकड़ा एनएसओ के पूर्वानुमान से कम रहा है।
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हम कितने मजबूत इन 5 प्वाइंट से समझें
भारत | विश्व |
जीडीपी ग्रोथ रेट में सबसे मजबूत नजर आ रहा है। | पूरी दुनिया की डीजीपी ग्रोथ रेट का जिक्र किया जाए तो वो डांवाडोल स्थिति में है। |
भारत में महंगाई जरूर बढ़ी है, लेकिन नियंत्रण में है। | कई देशों में महंगाई नियंत्रण से बाहर जा चुकी है। |
भारत में बाजार में पर्याप्त पैसा है। | विश्व में बाजार में लिक्विडिटी की कमी है। |
भारत में पर्याप्त ऊर्जा मौजूद है। | विश्व में कुछ देशों में युद्ध की वजह से भीषण ऊर्जा संकट है। |
कुछ अपवादों को छोड़कर भारत में भरपूर खाद्य भंडार है। | विश्व के कई देशों में भीषण खाद्य संकट के पक्के संकेत हैं। |
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इन सेक्टर्स में आया उछाल
वित्त वर्ष 2021-22 में होटल, ट्रांसपोर्ट जैसे संपर्क से चलने वाले सर्विस सेक्टर को छोड़ अन्य सभी सेक्टर में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कोरोना पूर्व के वित्त वर्ष 2019-20 से बेहतर रहा। बिजली, गैस, जल आपूर्ति एवं अन्य सेवा क्षेत्रों की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही जो एक साल पहले 3.6 प्रतिशत की दर से घट गई थी। वित्त वर्ष 21-22 में निजी खपत भी कोरोना पूर्व के वित्त वर्ष से आगे निकल गई। मैन्यूफैक्चरिंग, माइनिंग, कंस्ट्रक्शन, फाइनेंस, प्रोफेशनल्स सर्विसेज जैसे सभी सेक्टर का प्रदर्शन वित्त वर्ष 2019-20 से बेहतर दिखा। वहीं वित्तीय, रियल एस्टेट और प्रोफेशनल सर्विस सेक्टर की वृद्धि दर एक साल पहले के 2.2 प्रतिशत की तुलना में 4.2 प्रतिशत पर रही।
प्रमुख सेक्टर्स का हाल
सेक्टर | फाइनेंसिशल ईयर 2022 ग्रोथ |
मैन्युफैक्चरिंग | 9.9 |
माइनिंग एक्टिविटीज | 11.5 |
कंस्ट्रक्शन | 11.5 |
ट्रेड, होटल एंड ट्रांसपोर्ट | 11.1 |
पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड डिफेंस | 12.6 |
प्रति व्यक्ति आय 1 साल में 7.5 प्रतिशत बढ़ी
एनएसओ के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में प्रति व्यक्ति आय मौजूदा मूल्य पर 18.3 प्रतिशत बढ़कर 1.5 लाख रुपये सालाना रही। एक साल पहले यह 1,26,855 रुपये थी। देश की वार्षिक प्रति व्यक्ति आय 2021-22 में स्थिर कीमतों पर 91,481 रुपये रही। एक साल पहले प्रति व्यक्ति आय 85,110 रुपये आंकी गई थी। स्थिर मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय आय के आधार पर प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2021-22 में इससे पिछले वर्ष के मुकाबले 7.5 प्रतिशत बढ़ी है।
अभिनय आकाश
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