Bangladesh में नया राज, रिश्तों का नया आगाज, वो खास कनेक्शन जो यूनुस को भारत से जोड़ सकता है

Bangladesh
@Yunus_Centre
अभिनय आकाश । Aug 9 2024 1:30PM

बांग्लादेश इस संक्रमणकालीन चरण में प्रवेश कर रहा है, अमेरिका हो या चीन, भारत हो या पाकिस्तान सभी की निगाहें मुहम्मद युनूस पर जा टिकी हैं कि वो जो भरोसा उन पर दिखाया गया है उस उम्मीद पर वो खड़े उतर पाते हैं या नहीं।

5 अगस्त 2024 जगह बांग्लादेश की राजधानी ढाका लाखों की भीड़ प्रधानमंत्री शेख हसीना के सरकारी आवास गोणोभवन की तरफ बढ़ती है। पुलिस और सेना के जवान उन्हें रोकते नहीं है। जब तक भीड़ प्रधानमंत्री आवास के करीब पहुंचती है। सेना के बड़े अवसर प्रधानमंत्री से कहते हैं कि अब आपको इस्तीफा देना होगा। हम आपकी सुरक्षा अब नहीं कर पाएंगे। शेख हसीना मामला समझ जाती हैं। वो पहले तो अपना इस्तीफा सौंपती हैं फिर मिलिट्री हेलीकॉप्टर में बैठकर ढाका छोड़ देती हैं। वो फिलहाल भारत में हैं। सेना ने सामने आकर कहां कि अंतरिम सरकार का गठन होगा और इसमें अवामी लीग को छोड़कर सभी पार्टियों का प्रतिनिधित्व होगा। ऐसे में बड़ा सवाल था कि अंतरिम सरकार का प्रमुख कौन होगा। क्या सेना खुद कमांड अपने हाथ में रखेगी या फिर जेल से रिहा हुई पूर्व पीएम खालिदा जिया को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी। तमाम अटकलों और कयासों के बाद ये खोज नोबेल पुरस्कार विजेता 84 साल के अर्थशास्त्री पर जाकर खत्म हुई। मुहम्मद यूनुस ने 8 अगस्त को अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली है। राष्ट्रपति शहाबुद्दीन ने मुहम्मद यूनुस को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।  अंतरिम मंत्रिमंडल के 16 अन्य सदस्य मुख्य रूप से नागरिक समाज से जुड़े लोग हैं और इसमें छात्र आंदोलन के दो नेता भी शामिल हैं। मंत्रिमंडल के सदस्यों का चयन छात्र नेताओं, नागरिक समाज के प्रतिनिधियों और सेना के बीच हुई चर्चा के बाद किया गया। जैसे ही बांग्लादेश इस संक्रमणकालीन चरण में प्रवेश कर रहा है, अमेरिका हो या चीन, भारत हो या पाकिस्तान सभी की निगाहें मुहम्मद युनूस पर जा टिकी हैं कि वो जो भरोसा उन पर दिखाया गया है उस उम्मीद पर वो खड़े उतर पाते हैं या नहीं। 

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गरीबों का बैंकर नाम से मशहूर

यूनूस नोबेल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें सबसे गरीब लोगों का बैंकर भी कहा जाता है। पेशे से अर्थशास्त्री और बैंकर यूनुस को गरीब लोगों, विशेष रूप से महिलाओं की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट के उपयोग में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए 2006 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यूनुस ने 1983 में ग्रामीण बैंक की स्थापना की ताकि उन उद्यमियों को छोटे ऋण उपलब्ध कराए जा सकें जो सामान्यतः उन्हें प्राप्त करने के योग्य नहीं होते। लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में बैंक की सफलता ने अन्य देशों में भी इसी तरह के लघु वित्त पोषण के प्रयासों को बढ़ावा दिया। 

शेख हसीना से पुरानी अदावत

हसीना ने यूनुस को विदेशी ताकतों की कठपुतली बताया। देश में जब भी कुछ गलत होता तो वे इसका इल्जाम यूनुस पर लगातीं। एक बार हसीना ने यूनुस को खून चूसने वाला’कहा था। यूनुस हसीना के कटु आलोचक और विरोधी माने जाते हैं। उन्होंने हसीना के इस्तीफे को देश का दूसरा मुक्ति दिवस ​​बताया है। यूनुस को 2008 में हसीना सरकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ा जब उनके प्रशासन ने यूनुस के खिलाफ कई जांच शुरू कीं। यूनुस ने पहले घोषणा की थी कि वह 2007 में एक राजनीतिक पार्टी बनाएंगे, हालांकि उन्होंने अपनी योजना पर अमल नहीं किया। उनकी सरकार ने बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक को 2011 में उन्हें ग्रामीण बैंक के एमडी पद से हटा दिया था। इस जनवरी में यूनुस को श्रम कानूनों के उल्लंघन के लिए छह महीने जेल की सजा सुनाई गई थी। जून में, उन्हें और 13 अन्य लोगों को एक अन्य मामले में एक अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया था, जिसमें उनके द्वारा स्थापित एक दूरसंचार कंपनी के श्रमिकों के कल्याण कोष से 2 मिलियन डॉलर का गबन शामिल था।

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चल रहे 100 से अधिक केस 

2010 में, नॉर्वेजियन डॉक्यूमेंट्री में यूनुस के ग्रामीण बैंक पर कर चोरी करने का आरोप लगाया गया था। 2011 में बांग्लादेश के सरकार-नियंत्रित केंद्रीय बैंक ने उन्हें ग्रामीण बैंक के प्रमुख के पद से हटा दिया, यह कहते हुए कि उन्होंने 60 वर्ष की कानूनी सेवानिवृत्ति की आयु पार कर ली है। यूनुस कई कानूनी मामलों में उलझे रहे, जिनके बारे में उनका दावा था कि ये मामले राजनीति से प्रेरित थे। समाचार रिपोर्टों के अनुसार, यूनुस पर हसीना सरकार द्वारा 190 से अधिक मामलों में आरोप लगाए गए हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट ने 6 महीने जेल की सजा सुनाई थी। मोहम्मद यूनुस शेख हसीना को बांग्लादेश में लोकतंत्र का कातिल बताते हैं। उनका कहना है कि हसीना भारत की शह पर तानाशाह बनीं और बांग्लादेश की सत्ता पर जबरदस्ती काबिज हुईं।

यूनुस राज में रिश्तों का नया आगाज

बांग्लादेश में चाहे शेख हसीना रही हो चाहे जनआक्रोश में उपजी हिंसा और तख्तापलट के बाद अब मुहम्मद यूनुस हो। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मुहम्मद युनूस के हाथों में कुछ समय के लिए देश की बागडोर आने के बाद सबसे अहम सवाल यही है कि भारत के साथ बांग्लादेश संबंध कैसे होंगे। क्या शेख हसीना की तरह बेहतर रहेंगे। या फिर इस पर चीन पाकिस्तान की काली छाया पड़ेगी। हालांकि जिस तरह मुहम्मद यूनुस के समर्थन में बंगाल नेशनलिस्ट पार्टी की मुखिया खालिदा जिया धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की बात कर रही हैं। उससे लगता है कि बांग्लादेश भटकाव का रास्ता इख्तियार नहीं करेगा। उन्होंने जेल से रिहा होने के बाद अपने पहले संबोधन में कहा कि हमें नया बांग्लादेश बनाना है। गणतंत्र और धर्मनिरपेक्ष बांग्लादेश बनाना है। ऐसा देश जहां किसी का शोषण न हो। इसके साथ ही उन्होंने छात्र और युवाओं को देश का भविष्य बताया है। यूनुस भी इन बातों को समझते हैं। उन्होंने नई जिम्मेदारी की पेशकश स्वीकारने के बाद यह साफ कर दिया कि भारत से रिश्ते सुधारने के कई मौके मिलेंगे और यह उनकी प्राथमिकता में है। भारत भी हर मौके पर यह साफ करता रहा है कि बांग्लादेश के आंतरिक मामलों से सम्मानजनक दूरी बनाए रखते हुए भी वह न केवल उसके साथ विशिष्ट और करीबी रिश्ता कायम रखना चाहता है बल्कि विकास की उसकी यात्रा में योगदान भी जारी रखना चाहता है।

भारत के साथ दोस्ती बनाकर रखना बांग्लादेश की बाध्यता

तख्तापलट के बाद बांग्लादेश कौन सा रास्ता अख्तियार करेगा भारत समेत पूरे दुनिया की निगाहे इस पर टिकी है। उम्मीद है मुहम्मद यूनुस से जो कि खुद एक अर्थशास्त्री हैं। वो लोकतंत्र की राह पर चलते हुए वो विकास की अहमियत को समझते हैं। इस टारगेट को पूरा करने के लिए भारत के महत्व को भी बखूबी जानते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस को नई जिम्मेदारियों संभालने पर मेरी शुभकामनाएं। हम हिंदुओं और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामान्य स्थिति में शीघ्र वापसी की उम्मीद करते हैं। भारत शांति, सुरक्षा और विकास के लिए दोनों देशों के लोगों की साझा आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए बांग्लादेश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम मोदी की पहल के बाद बदले हालात के बावजूद भारत बांग्लादेश के रिश्तों की गर्माहट बने रहने की उम्मीदें बरकरार हैं। 

जमात पर लगाम लगाना एक चुनौती

बांग्लादेश की राजनीति पिछले तीन दशक से दो राजनीतिक धुरी में घूम रही है। एक तरफ शेख हसीना थी तो दूसरी तरफ खालिया जिया हैं। पाकिस्तान हो या चीन दोनों से ही शेख हसीना के अच्छे संबंध नहीं थे। लेकिन खालिदा जिया के संबंध दोनों देशों से बेहतर हैं। उसी तरह शेख हसीना के साथ अमेरिका के संबंधों में भी मिठास नहीं थी। हालांकि खालिदा जिया भी अमेरिका की बहुत करीबी नहीं हैं। बांग्लादेश में कट्टरपंथी ताकतों को शेख हसीना से नाराजगी थी। लेकिन खालिदा जिया के साथ उनके रिश्ते अच्छे हैं। अब शेख हसीना देश और सत्ता दोनों से बाहर हैं। वहीं खालिदा जिया जेल से तो बाहर हैं लेकिन सत्ता से वो भी दूर हैं। अब देश की कमान मुहम्मद यूनुस के पास है। अंतरिम सरकार एक तात्कालिक व्यवस्था ही है जिसका उद्देश्य देश में सामान्य स्थिति कायम करके जल्द से जल्द एक एक निर्वाचित सरकार के हाथों में सत्ता सौंपना है। ऐसे में देखना होगा कि अगले कुछ दिनों और महीनों में वहां किस तरह का माहौल बनता है और लोकतांत्रिक शक्तियां मौजूदा चुनौतियों का सामना कितनी मजबूती से करती हैं।

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